Demat trading account kya hota hai | डीमैट ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है
पहले शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए स्टॉक एक्सचेंज पर जाकर स्टॉक ट्रेडिंग की जाती थी, खरीदने वाला कैश लेकर और बेचने वाला अपने शेयर के दस्तावेज लेकर स्टॉक एक्सचेंज जाते थे, वहाँ ट्रेडिंग होती थी लेकिन अब जमाना बदल गया है अब ट्रेडिंग करना बहुत आसान है, अब डीमैट ट्रेडिंग अकाउंट भी डिजिटल हो गए है।
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दूसरा योगदान शेयर को खरीदने बेचने के लिए डिपोजिटरी का होता है जहाँ लोगों द्वारा खरीदे जाने वाले शेयर को स्टोर किया जाता है, यह डीमैट अकाउंट खोलने की सर्विस देती है।
तीसरा योगदान शेयर खरीदने और बेचने में स्टोक ब्रोकर का होता, इसलिए क्योंकी स्टॉक एक्सचेंज में डायरेक्ट ट्रेडिंग नही होती इस में ट्रेड एक ब्रोकर के माध्यम से होती है।
Depository
NSDL, CDSL, डिपोजिटरी के पास शेयर स्टोर होते है
clearing house, आप के रुपए का लेन देन करते हैं
NSE ka clearing house NSDL
BSE ka clearing house ICCL
Depository or clearing house Direct काम नहीं करते हैं, इनके क्लीनिंग पार्टनर होते हैं जो कि ब्रोकर होते हैं। क्लीनिंग बैंक होते हैं, ब्रोकर के अपने क्लियरिंग अकाउंट होते हैं, डिपोजिटरी में।
डीमैट अकाउंट (demat account)/ ट्रेडिंग अकाउंट (trading account) कैसे खोलें?
आप अपना ट्रेडिंग अकाउंट और डीमेट अकाउंट दोनों आसानी से खोल सकते हैं किसी भी ब्रोकर के पास आजकल सारी प्रोसेस ऑनलाइन होती है,बस आपके पास अधार कार्ड, पैनकार्ड, बैंक खाता की जरूरत होती है।
स्टॉक ब्रोकर क्या है
स्टॉक ब्रोकर भी तीन प्रकार के होते हैं:
1. बैंक ब्रोकर्स (bank brokers):
इसका मतलब कुछ बैंक है जो अपने कस्टमर को अपने बैंक में डीमैट ओर ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की सर्विस देती है उन्हे बैंक ब्रोकर कहा जाता है।भारत में बैंक ब्रोकर आमतौर पर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के साथ रजिस्टर्ड होते हैं और उन्हें नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
बैंक ब्रोकर अपने कस्टमर्स को यह सब सर्विसेस देते हैं:
- निवेश सलाह
- पोर्टफोलियो मैनेजमेंट
- रिस्क असेसमेंट
- फाइनेंशियल प्लानिंग
- लोन एप्लीकेशंस
- क्रेडिट कार्ड एप्लीकेशंस
- बीमा पॉलिसी
जरूरी बातें
- बैंक ब्रोकर सेबी से रजिस्टर्ड होना चाहिए।
- कस्टमर्स को बैंक ब्रोकर की सर्विसेस की फीस पता होनी चाहिए।
- बैंक ब्रोकर के फाइनेंशियल प्रोडक्ट के नियम और कंडीशन को अच्छे से समझने की जरूरत होती है।
भारत में कई बैंक ब्रोकर काम कर रहे हैं, जिनमें से कुछ नीचे दिए हैं:
1.ICICI Securities Ltd.
2.HDFC Securities Ltd. 3.Kotak Securities Ltd.
4.Axis Securities Ltd. 5.Edelweiss Securities Ltd.
6.Motilal Oswal Securities Ltd. 7.Sharekhan Ltd.
8.Angel Broking Ltd. 9.Indiabulls Ventures Ltd.
10. Karvy Stock Broking Ltd.
2. फुल सर्विस ब्रोकर्स (full service brokers) :
फुल सर्विस ब्रोकर अपने कस्टमर को डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट के साथ ट्रेडिंग करने और इन्वेस्टिंग करने में ओर भी सर्विस देते है।
फुल सर्विस ब्रोकर्स फाइनेंशियल मीडियम हैं जो अपने कस्टमर्स को यह सर्विसेस देते हैं:
- निवेश कहां करना चाहिए?
- प्रोडक्ट की पूरी रिसर्च रिपोर्ट
- फाइनेंशियल प्लानिंग
- पोर्टफोलियो मैनेजमेंट
ये डिस्काउंट ब्रोकर्स से ज्यादा फीस लेते हैं, लेकिन अपने कस्टमर्स को टॉप लेवल सर्विस देते हैं।
भारत में, कई फुल सर्विस ब्रोकर्स हैं, जिनमें से कुछ हैं:
1. ICICI SECURITIES :
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज भारत में फुल सर्विस ब्रोकर्स में से एक है, जो 70 से ज्यादा शहरों में है। वे इक्विटी, डेरिवेटिव, करेंसी और कमोडिटी ट्रेडिंग, निवेश बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हैं।
2. HDFC SECURITIES:
एचडीएफसी सिक्योरिटीज एचडीएफसी बैंक की सहायक कंपनी है और इक्विटी, डेरिवेटिव्स, करेंसी और कमोडिटी ट्रेडिंग, म्यूचुअल फंड निवेश और रिसर्च रिपोर्ट जैसी सर्विसेस देती है।
3.KOTAK SECURITIES:
कोटक सिक्योरिटीज कोटक महिंद्रा बैंक की सहायक कंपनी है और इक्विटी, डेरिवेटिव्स, करेंसी और कमोडिटी ट्रेडिंग, आईपीओ निवेश और मनी मैनेजमेंट जैसी सर्विसेस देती है।
4. SHAREKHAN :
शेयरखान एक फुल सर्विस ब्रोकर् है जो इक्विटी, डेरिवेटिव, करेंसी और कमोडिटी ट्रेडिंग, म्यूचुअल फंड निवेश और रिसर्च रिपोर्ट जैसी सर्विसेस देता है।भारत के 550 से अधिक शहरों में है।
5. ANGEL BROKING :
एंजेल ब्रोकिंग भारत में फुल सर्विस ब्रोकर्स में से एक है, जो इक्विटी, डेरिवेटिव, करेंसी और कमोडिटी ट्रेडिंग, म्यूचुअल फंड निवेश और रिसर्च रिपोर्ट जैसी सर्विसेस देती है।
ये भारत के 1,800 से अधिक शहरों में है।
ये भारत में फुल सर्विस ब्रोकर्स के कुछ उदाहरण हैं। अपना खुद का रिसर्च करना और एक ब्रोकर चुनना महत्वपूर्ण है जो आपकी इन्वेस्टमेंट प्लान और गोल्स को सबसे अच्छा पूरा करता है।
3. डिस्काउंट ब्रोकर (discount brokers) :
डीमैट अकाउंट पर सिर्फ ट्रेडिंग पर ही चार्ज लेता है, डिलेवरी ट्रेड पर 0 कोई चार्ज नहीं लेते।
डिस्काउंट ब्रोकर एक प्रकार की ब्रोकरेज फर्म है जो फुल सर्विस ब्रोकर्स की तुलना में कम फीस में ट्रेडिंग सर्विसेस देती है।
वे आम तौर पर केवल ट्रेडिंग टूल्स और सर्विसेस देते हैं, और ट्रेडों के लिए कम कमीशन लेते हैं।
भारत में, कई डिस्काउंट ब्रोकर हैं जो हाल के वर्षों में लोकप्रिय हो गए हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध हैं:
1.Zerodha -
यह भारत में सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय डिस्काउंट ब्रोकरों में से एक है। यह स्टॉक, कमोडिटीज, करेंसी और म्यूचुअल फंड में 20 रुपये प्रति ट्रेड की दर पर ट्रेडिंग प्रदान करता है। ज़ेरोधा में एक user-friendly ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है और beginners के सीखने के लिए जेरोधा वार्सिटी जैसे एप देता है, जिससे कोई भी ट्रेडर या इन्वेस्टर बनने के लिए बेसिक जानकारी सीख सकता है।
2. UpStox -
अपस्टॉक्स भारत में एक और डिस्काउंट ब्रोकर है। यह प्रति ट्रेड 20 रुपये का एक फ्लैट फीस लेता है, और ट्रेडर्स के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म भी प्रदान करता है।
3. 5 Paisa -
5पैसा एक डिस्काउंट ब्रोकर है जो स्टॉक, डेरिवेटिव, करेंसी और कमोडिटी में ट्रेड प्रदान करता है। यह प्रति ट्रेड 20 रुपये की फ्लैट फीस लेता है, और चलते-फिरते सुविधाजनक ट्रेडिंग के लिए एक मोबाइल ट्रेडिंग ऐप भी देता है।
4. Angel One -
एंजेल ब्रोकिंग एक अच्छी तरह से स्थापित फुल सर्विस ब्रोकर है जो एंजेल ब्रोकिंग फ्लैट फीस प्लान नामक एक डिस्काउंट ब्रोकरेज सर्विस भी देता है। इसके ग्राहक 20 रुपये प्रति ट्रेड के फ्लैट फीस पर स्टॉक और डेरिवेटिव में ट्रेड कर सकते हैं।
5.TradeSmart -
TradeSmart एक डिस्काउंट ब्रोकर है जो स्टॉक, डेरिवेटिव, मुद्राओं और वस्तुओं में व्यापार प्रदान करता है। यह प्रति व्यापार 15 रुपये का एक फ्लैट फीस लेता है, और ट्रेडर्स के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म भी देता है।
ये भारत में काम करने वाले कई डिस्काउंट ब्रोकरों में से कुछ हैं।
तीनों तरह के ब्रोकर अपने हिसाब से अलग सर्विस देते हैं
और इनके चार्ज भी अलग होते हैं।
ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट में लेन देन कैसे होता है :
जब कोई व्यक्ति अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट ऑनलाइन खोलता है तो सबसे पहले अपने बैंक अकाउंट से अपने रुपए को ट्रेडिंग अकाउंट में ट्रांसफर करता है, उसके बाद वह अपने ट्रेडिंग अकाउंट से कोई भी शेयर खरीद सकता है और
खरीदे हुए शेयर उसके डीमेट अकाउंट में स्टोर कर दिए जाते हैं 2 दिन के बाद अब उन शेयर को जब तक चाहे अपने पास रख सकता है, और जब चाहे बेच सकता है।
यह प्रोसेस इस तरह होती है:
एक व्यक्ति शेयर खरीदने वाला है, जिसके ट्रेडिंग अकाउंट में रुपए है, वह buyer है।
दूसरा व्यक्ति जिसके पास शेयर हैं, उसके डीमैट अकाउंट में स्टोर है, वह seller है।
दोनों बायर और सेलर के बीच होने वाला सौदा ब्रॉकर और स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होता है,
जो खरीदने वाला व्यक्ति है उसके ट्रेडिंग अकाउंट से ब्रोकर के पास रुपए ट्रांसफर हो जाते है
ब्रोकर एक्सचेंज से शेयर खरीदता है, रुपए एक प्रोसेस से सेलर के ट्रेडिंग अकाउंट में जाते है, और शेयर उसके डीमैट से प्रोसेस के माध्यम से ट्रांसफर होकर खरीदने वाले के डीमैट में होल्ड हो जाते हैं, यह होने में 2 दिन का समय लगता है।
1 खरीदने वाला ऑर्डर करता है अपने ब्रोकर के पास
2 बेचने वाला ऑर्डर करता है अपने ब्रोकर के पास
NSE, BSE पर ऑटोमेटिक सिस्टम होता है,खरीदने और बेचने वाले के भाव को डिटेक्ट करता है, प्राइस के एक समान होने पर ट्रेड को पूरी कर देता है, जिसे ट्रेड एक्सीक्यूशन कहते हैं।
रुपए का ट्रांजेक्शन ट्रेडिंग अकाउंट में कैसे होता है?
ट्रेड पूरी होने पर रुपए, खरीदने वाले के अकाउंट से काट के ब्रोकर के पास जाते हैं, ब्रोकर वह रुपए क्लियरिंग बैंक को ट्रांसफर करता है, क्लियरिंग बैंक से रुपए सेलर के ट्रेडिंग अकाउंट में ट्रांसफर कर देता है।
शेयर ट्रांजेक्शन डीमैट अकाउंट में कैसे होता है?
सेलर के डीमैट अकाउंट से स्टॉक कट हो कर डिपोजिटरी पार्टनर मतलब ब्रोकर के पास आता है,
ब्रोकर शेयर को खरीदने वाले के अकाउंट में ट्रांसफर कर देता है
इस तरह से दो लोगों के बीच शेयर को खरीदा और बेचा जाता है।
खरीदने वाला अपने ब्रोकर के माध्यम से और बेचने वाला अपने ब्रोकर के माध्यम से ट्रेडिंग करते हैं, डायरेक्ट सेल या बाय नहीं किया जा सकता,
खरीदने वाले का ब्रोकर और बेचने वाले का ब्रोकर अलग कंपनी भी हो सकती है या सेम भी हो सकती है।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से जुड़े कुछ ज़रूरी पूछे जाने वाले सवाल और उसके जवाब:
ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट में क्या अंतर है?
ट्रेडिंग अकाउंट से शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की जाती है और डीमैट अकाउंट में मार्केट से जो शेयर खरीदे जाते हैं,वो डीमैट अकाउंट में स्टोर किए जाते हैं।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट की प्रकृति के बीच अंतर क्या है?
Demat Account:
प्रकृति : डीमैट अकाउंट, सामान्य बैंक खाते की तरह ही होता है जिसका इस्तेमाल सिक्योरिटीज को उनके इलेक्ट्रॉनिक रूप में मतलब कोडिंग द्वारा सुरक्षित रखा जाता है।
डीमैट खाते में शेयर्स, बांड्स, म्यूचुअल फंड्स और अन्य सिक्योरिटीज को सुरक्षित रखा जाता है।
उद्देश्य: डीमैट अकाउंट का उद्देश्य आपके निवेश को आसानी से इलेक्ट्रॉनिक रूप में मैनेज करने और सुरक्षित और आसान बनाना है।
काम: डीमैट अकाउंट ऐसा खाता है जिसमें आप जब भी किसी शेयर, बॉन्ड, सिक्योरिटीज आदि में निवेश करेंगे, तो वह ट्रांजेक्शन आपके नाम से इलेक्ट्रॉनिक रूप में जमा हो जाएगी और बेचने पर निकल जाएगी। वैसे ही जैसे बैंक खाते में होता है।
मेंटेनेंस: डीमैट खाता खुलवाने और इसे सही तरीके से चलाने या मेंटेन करने के लिए आपको अपने डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DPs) को निर्धारित चार्ज चुकाना पड़ता है जो सालाना रूप से होता है।
Trading Account:
प्रकृति: ट्रेडिंग अकाउंट को खास स्टॉक मार्केट में ऑर्डर्स को buy और sell करने के लिए ही बनाया गया है। इसका इस्तेमाल ट्रेड करने और विभिन्न निवेश करने के लिए होता है।
उद्देश्य: ट्रेडिंग अकाउंट का उद्देश्य आपको मार्केट में अलग अलग सिक्योरिटीज़ को खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करने का होता है। यह आपके और स्टॉक एक्सचेंज के बीच माध्यम का काम करता है।
काम: ट्रेडिंग अकाउंट आपको ऑर्डर लगाने, मार्केट प्राइस को जांचने, और आपके पोर्टफोलियो को मैनेज करने में मदद करता है।
मेंटेनेंस: डीमैट अकाउंट की तरह ही ट्रेडिंग अकाउंट के लिए भी आपको चार्जेस देने होते हैं जैसे ब्रोकरेज फीस, ट्रांजेक्शन चार्ज, आदि।
ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है?
ट्रेडिंग अकाउंट की सहायता से शेयर बाजार में शेयर, म्यूचुअल फंड्स, ईटीएफ, आदि, में खरीदी और बिक्री कर सकते हैं।ट्रेडिंग अकाउंट आप किसी भी स्टॉक ब्रोकर के पास खुलवा सकते हैं।डीमैट अकाउंट क्या होता है?
डीमैट अकाउंट NSDL और CDSL डिपोजिटरी के माध्यम से खोला जा सकता है। डीमैट अकाउंट में आपके द्वारा खरीदे जाने वाले शेयर, इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स डिजिटल फॉर्म में स्टोर होते हैं।ट्रेडिंग के लिए कौनसा अकाउंट बेस्ट है?
ट्रेडिंग के लिए आप डिस्काउंट ब्रोकर के पास अपना ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं,अगर आप को ट्रेडिंग की अच्छी समझ है । अगर आपको ट्रेडिंग का कम अनुभव है तो आप फुल सर्विस ब्रोकर्स को चुन सकते हैं लेकिन इनके चार्जेस ज्यादा होते हैं।ट्रेडिंग अकाउंट के क्या फ़ायदे हैं?
ट्रेडिंग अकाउंट बैंक अकाउंट की तरह ही होता है जैसे बैंक अकाउंट में आप अपने पैसों को सेव करते हैं, उसी प्रकार ट्रेडिंग अकाउंट में आप शेयर, म्यूचुअल फंड्स, ईटीएफ, बांड्स, इक्विटी को जमा कर सकते हैं। बढ़ते इनफ्लेशन की वजह से आपकी आमदनी और रुपए की वैल्यू कम होती है, आप अपने कमाए पैसों का कुछ हिस्सा इक्विटी, बांड्स, ईटीएफ, शेयर में निवेश करें जहां से आपको अच्छा रिटर्न मिल सके तो आप इनफ्लेशन से बच सकते हैं।ट्रेडिंग अकाउंट में कितने पैसे लगते हैं?
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए अलग अलग ब्रोकर्स अलग अलग चार्जेस लेते हैं,जिरोधा जैसे डिस्काउंट ब्रोकर्स 200रुपए चार्ज लेते हैं, जबकि एंजल ब्रोकिंग में 0रुपए चार्जेस लगते हैं।ट्रेडिंग अकाउंट में कितने पैसे रखने चाहिए?
ट्रेडिंग अकाउंट में रुपए रखने की ज्यादा या कम लिमिट नहीं होती है, आप अपनी सुविधा के हिसाब से अपने ट्रेडिंग अकाउंट में रुपए रख सकते हो।एक व्यक्ति कितने ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकता है?
एक व्यक्ति कानूनी रूप से 2 ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकता है लेकिन 1डिपोजिटरी या ब्रोकर के साथ नही होना चाहिए। दोनों अलग अलग ब्रोकर और अलग अलग डिपोजिटरी में होना चाहिए।भारत में कितने डीमैट खाते हैं?
भारत में 10.05 करोड़ डीमैट खाते हैं।डीमैट अकाउंट कौनसी बैंक में खुलता है?
डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा SBI, HDFC, ICICI, जैसे अन्य और बैंक भी देते हैं, जिन्हें बैंक ब्रोकर्स कहा जाता है।डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सही उम्र कितनी हो?
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए 18 वर्ष की होनी चाहिए।सबसे सस्ता ब्रोकर कौनसा है?
सस्ते ब्रोकर्स एंजल वन और जिरोधा है।डीमैट अकाउंट खोलने में कितना समय लगता है?
डीमैट अकाउंट खोलने की प्रोसेस तो 15मिनट में पूरी हो जाती है लेकिन आप ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग 24 से 48 घंटों के अंदर ईमेल से प्राप्त यूजर आईडी और पासवर्ड के बाद लॉगिन करके कर सकते हैं।भारत में कितने शेयर ब्रोकर्स हैं?
भारत में NSE के तहत कुल शेयर ब्रोकर्स 279 पंजीकृत हैं जिसमें 20% परसेंट ब्रोकर्स के पास 100% परसेंट में से 75% परसेंट ग्राहकों का हिस्सा है।डीमैट को हिंदी में क्या कहते हैं?
डीमैट अकाउंट को डिमेटरीलाईजेशनअकाउंट कहते हैं।
डीमैट अकाउंट का मतलब क्या होता है?
डीमैट अकाउंट बैंक अकाउंट की तरह ही होता है, जिस तरह बैंक में रुपए जमा होते हैं उसी प्रकार डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में सर्टिफिकेट्स, सिक्योरिटीज रखे जाते हैं।आप NSE, BSE , NSDL और CDSL की अधिक जानकारी के लिए, लिंक पर क्लिक करके उनके बारे में पूरे विस्तार से पढ़ सकते हैं।
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