psychology of money hindi/ पैसों का मनोविज्ञान क्या है

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psychology of money hindi/ पैसों का मनोविज्ञान क्या है  


By Javed / 19 September, 2023:


पैसों के मनोविज्ञान को एक मानसिक अवस्था कहा जा सकता है। दुनिया के हर एक इंसान की सोच और समझ एक दूसरे से अलग होती है इसलिए हर इंसान की मानसिक अवस्था भी अलग अलग होती है, जिसे हम आम भाषा में माइंडसेट कहते हैं। जिस तरह दुनिया की किसी दूसरी चीज को लेकर दो लोगों के बीच की सोच बिल्कुल अलग होती है उसी तरह पैसों के प्रति भी हर दूसरा व्यक्ति अपने अलग विचार रखता है और उसकी भावना भी पैसों के प्रति अलग होती है।


साइकोलॉजी ऑफ मनी पर एक किताब लिखी है मोर्गन हाउसन ने, मोर्गन एक अवार्डविनिंग ऑथर हैं जिन्होंने अपनी किताब के माध्यम से बहुत आसान शब्दों में पैसों के मनोविज्ञान के बारे में समझाया है। किस तरह अमीर आदमी की साइकोलॉजी और गरीब आदमी की साइकोलॉजी में अंतर होता है, अमीर आदमी के सोचने का तरीका गरीब आदमी के सोचने के तरीके से अलग होता है। 


इस दुनिया में कौन कितना धन कमाता है यह उसकी साइकोलॉजी के ऊपर निर्भर करता है मतलब व्यक्ति के पैसों के प्रति विचार और भावनाएं कैसी हैं। हां, यह सुनने में जैसा भी लगे लेकिन यह सच है। एक इंसान को कामयाब उसके विचार और उसकी सोचने की क्षमता ही बनाती है।


psychology of money hindi/ पैसों का मनोविज्ञान क्या है

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| शीर्षक | psychology of money hindi/ पैसों मनोविज्ञान क्या है  |


| श्रेणी | सेविंग्स |


| विवरण | psychology of money hindi/ पैसों मनोविज्ञान क्या है |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत | 


पैसों का मनोविज्ञान सीखें:


साइकोलॉजी ऑफ मनी, पैसों का मनोविज्ञान को समझना बहुत जरूरी है, हर व्यक्ति के लिए। इंसान की जिंदगी का हर डिसीजन व्यक्ति सोच और विचार कर लेता है। व्यक्ति के सोचने का तरीका नेगेटिव है या पॉजिटिव, डिसीजन उसके आधार पर लेता है, डिसिजन के बाद ही व्यक्ति कोई काम करता है।


सफल और असफल व्यक्ति के बीच उसकी सोच का अंतर होते है, अमीर आदमी अमीरी की सोच रखता है जबकि गरीब आदमी गरीबी की सोच, जिसे साइकोलॉजी को मनी कहा जाता है।


अगर आप अपनी साइकोलॉजी ऑफ मनी को समझना और यह कैसे काम करती है, जानना चाहते हैं तो आपको द सीक्रेट किताब पढ़ना चाहिए जिससे आपको अपने है एक्शन की ताकत पता चलेगी और आप किताब के माध्यम से जान पाएंगे की व्यक्ति जो सोचता है, महसूस करता है, उसका क्या महत्व है उसकी जिंदगी में। हर एक्शन के पीछे रिएक्शन होता है, यह बात आपने कहीं सुनी तो होगी, लेकिन यह कैसे होता है यह किताब आपको बताएगी।


आपको पावर ऑफ सबकंशियस माइंड किताब को भी पढ़ना चाहिए, कैसे चेतन मन और अवचेतन मन काम करते हैं, कैसे एक विचार कितना ताकतवर होता है, कैसे विचार और अवचेतन मिलकर आपकी दुनिया की जिंदगी पर असर डालते हैं।


अगर आप अपनी पैसों की साइकोलॉजी को बदल कर अपने जीवन में सफलता, सेहत, रुपए या और कुछ भी जो आप अपने लिए चाहते हैं तो आपको लेख में बताई गई किताबों को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए, यह किताबें आपकी साइकोलॉजी को सही करने में बहुत मददगार होंगी।


आप की पैसों के बारे में कैसी सोच है?


साइकोलॉजी ऑफ मनी के हिसाब से अमीर साइकोलॉजी का इंसान पैसों को अपनी ओर आकर्षित करता है। उदाहरण के लिए, मान लें दुनिया का सारा पैसा दुनिया के हर एक इंसान को एक बराबर में बांट दें, तो वह पैसा कुछ दिन में दुनिया के कुछ लोगों के पास लौट जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकी गरीब आदमी का पैसों के प्रति रवैया और सोच , अमीर से बिल्कुल विपरीत होती है। 


अपने देखा होगा हमारे देश भारत में कितने लोगों ने अमिताभ बच्चन के शो कौन बनेगा करोड़पति में करोड़ों रुपए जीते, लेकिन आप अभी सर्च करेंगे तो 10 में से 2 लोग भी नही मिलेंगे जो अभी अमीर होंगे। ज्यादा की स्थिति पहले जैसी या उससे भी खराब हो सकती है, ऐसा पैसे की साइकोलॉजी की वजह से होता है।

Psychology of money Hindi।पैसों का मनोविज्ञान क्या है।


अमीर की सोच 


अमीर व्यक्ति गरीब के विचार से खुद को बचाता है। अमीर की साइकोलॉजी अमीरी वाली होती है, जो उसे अमीर बनाती है। अमीर व्यक्ति कभी भी पैसों के पीछे नहीं भागता है। वह अपने गोल्स और ड्रीम पर फोकस करता है, वह खुदको जल्दी फाइनेंशियल फ्री करना चाहता है। 


इसका उदाहरण आपको रॉबर्ट कियोसकी की बुक रिच डैड पूअर डैड में लेखक ने बहुत प्यारे अंदाज में समझा दिया जिसमें एक तरफ पढ़े लिखे डैड की सोच और दूसरी ओर सिर्फ 8वी पास अपने दोस्त के डैड अपने 2 डैड के बारे में किताब में लेखक ने लिखा है, किस तरह उनके अमीर डैड की सोच होती है , किस तरह पूअर डैड की सोच अलग होती है। किस तरह से एक डैडी बहुत अमीर होते हैं और दूसरे डैडी हमेशा गरीबी में जीते हैं, उससे अच्छा एग्जांपल मेरे हिसाब से कोई नहीं होगा। 

आपको वह किताब पढ़ना चाहिए या फिर उसकी ऑडियो सुनना चाहिए, जिससे आपको पैसों के मनोविज्ञान समझ आ सके और साइकोलॉजी ऑफ मनी को समझकर आप अपना जीवन बदल सकें।


अभी आप कहां हैं, और कहां जाना चाहते हैं:


अभी आप की स्थिति कुछ भी हो, लेकिन आप अपने लिए कितना धन कमाना चाहते हैं इसकी क्लियरिटी आपके मन में होना चाहिए, जो आपका लक्ष्य हो सकता है। हर इंसान के अपने सपने होते हैं और अपनी अलग जरूरत, कोई इंसान 15,000 की तनख्वाह से खुश हो सकता है, किसी को लाखों रुपए कम लगते हैं।


हर इंसान में दो भावनाएं होती हैं एक डर और दूसरी लालच, जो इंसान को आगे बढ़ने से रोकती हैं। 


डर 


गरीब साइकोलॉजी का इंसान पैसों के प्रति हमेशा नेगेटिव सोचता है, उसकी सोच पैसों के प्रति हमेशा उल्टी रहती है। वह सोचता है पैसा बुरी चीज है, पैसेवाले लोग बुरे होते हैं, या जिनके पास पैसा है वह कुछ गलत काम करते हैं। पैसा कमाना आसान नहीं होता , मैं अमीर नही बन सकता क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं या मेरे घरवाले गरीब हैं, यह सारी सोच वह बचपन से जैसे माहौल में पला, बढ़ा और बड़ा हुआ, वहा से उसके अंदर आती हैं जिससे व्यक्ति अपनी सोच का एक दायरा बना लेता है जिसे कंफर्ट जोन कहते हैं और सारी जिंदगी इंसान का दिमाग उसी कंफर्ट जोन में रहता है, जो है डर की भावना।


लालच 


लालच की भावना भी बहुत बुरी होती है, गरीब सोच का व्यक्ति किसी भी वस्तु को देखकर लालच में आ जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि उसका मन और इच्छा उसके कंट्रोल में नहीं होती है। लालच की भावना उसे डिसिप्लिन में जाने से रोकती है। जैसे किसी व्यक्ति के पास जॉब नहीं थी लेकिन अभी उसकी नई जॉब लगी, अब वह अपने काम पर जाता है, वहां उसके साथ और लोग भी काम करते हैं। अब वह देखेगा उसकी जो नौकरी जितनी सैलरी पर लगी उससे कई गुना ज्यादा सैलरी भी लोगों को मिलती है, जिससे उसके अंदर लालच पैदा होगा और वह खुदको और लोगों से कंपेयर करता है जिसके कारण उसके अंदर दूसरों के प्रति जलन पैदा होती है जिससे उसके विचार नेगेटिव होते हैं। अगर व्यक्ति यह ना भी करे तो क्या। 


दूसरी गलती यह होती है उसके पास पैसों की समझ न होने के कारण वह अपने मेहनत से कमाए पैसों को सही मैनेज नही करता , जहां मन करता वहां खर्च करता है, जो दिल चाहता है वह खरीदता है, जब सैलरी से भी पूरा नहीं पड़ता तो अब क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन लेकर कमाई से ज्यादा खर्च करता है और सैलरी मिलने पर ईएमआई और अपने जरूरी खर्च , एंटरटेनमेंट पर हर महीने खर्च करता है। जिंदगी भर यही चलता है जिसके कारण वह बहुत स्थिति में गरीबी वाला जीवन जीता है।


इंवेस्टमेंट साइकोलॉजी कैसी होना चाहिए?



अगर आप एक निवेशक हैं या निवेश करने का प्लान कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको अपने माइंडसेट पर काम करना चाहिए और अपनी साइकोलॉजी को समझ कर उसे एक प्रोफेशनल निवेशक जैसे बनना चाहिए।


अगर आप अपने सोचने और बाजार को देखने के नज़रिए को बदल कर दुनिया की भीड़ से अलग एक प्रोफेशनल की तरह बनकर निवेश करेंगे तो आप एक बेहतर निवेशक बन सकते हैं।


लोगों की भीड़:


अक्सर लोग अपने धन को बिना किसी रिसर्च के, उम्मीद और अनुमान लगाकर निवेश करते हैं, वह अपने सभी निवेश के फैसले अखबार और टीवी पर देखी न्यूज के सहारे लेते हैं। जब बाजार ऊपर चढ़ता है और हर तरफ खरीदी हो रही होती है, लोगों की भीड़ बिना सोचे समझे महंगे दामों पर भी शेयर ख़रीद रहे होते हैं और जब बाज़ार गिरता है और हर तरफ डर का माहौल होता है तो लोगों की भीड़ अच्छी कंपनी के शेयर, जो उन्होंने ज्यादा भाव में खरीदे थे अब उन्हें कम भाव पर बाज़ार में बेच रहे होते हैं।

एक प्रोफेशनल निवेशक:

एक निवेशक के पास अपना गोल सेट होता है, उसके पास एक अच्छा प्लान होता है, जिसमें कितना निवेश करना है, कहां निवेश करना है, कितने टाइम के लिए निवेश करना है, उसके पास प्लानिंग होती है। वह एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाकर, लॉन्ग टर्म के लिए, हर महीने अपनी बचत का उतना हिस्सा निवेश करता है, जिसकी उसे अभी या आने वाले कुछ सालों तक कोई जरूरत नहीं होती है।


एक प्रोफेशनल निवेशक जानता है, बाजार में उतार-चढ़ाव होंगे और उसे उतार-चढ़ाव में अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना होगा, उसे उत्साहित होकर तेज बाजार में ज्यादा खरीदी से बचना है और जब बाजार गिर रहा हो तो उसे अपनी डर की भावना से बचना है। ऐसी स्थिति में उसे अपने म्युचुअल फंड और शेयर को बेचना नहीं है, उसे तो अपने लक्ष्य के लिए बनाए गए प्लान के हिसाब से निवेश करना है।


एक निवेशक जानता है डॉलर कॉस्ट एवरेजिंग क्या होती है, कंपाउंडिंग कैसे काम करती है, मुझे हर महीने एसआईपी के माध्यम से अपने पोर्टफोलियो में एक तय राशि निवेश कैसे करनी है और लंबे समय में मुझे क्या रिटर्न मिल सकते हैं। निवेशक ने अपने दिमाग को इस तरह शिक्षित किया होता है कि वह हर परिस्थिति में क्या करना है और क्या नहीं यह सब जानता है।


एक निवेशक को सही शिक्षा के साथ अच्छे माइंडसेट की जरूरत होती है। अच्छा माइंडसेट, गलत माइंड सेट, गलत निर्णय लेने से बचाता है, चीजों और परिस्थितियों को अच्छे से समझने में मदद करता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं पर काबू नहीं पा सकता है और खुद की नेगेटिव सोच से सुरक्षा नहीं कर सकता है तो वह एक सफल निवेशक कभी नहीं बन सकता है। निवेश में निवेशक को हर समय स्थितियां अलग-अलग मिलती हैं, स्थिति के हिसाब से निर्णय लेना होता है और वह भी सही निर्णय, व्यक्ति को अपनी भावनाओं और विचार को कंट्रोल करके अच्छे से चीजों को समझ कर फैसले लेने होते हैं।

आपका धन और आपका दिमाग:


मार्केट बहुत लुभावना होता है। हर व्यक्ति को लगता है कि मैं मार्केट से धन कमा लूंगा, अपने लिए संपत्ति बना लूंगा और वह बाजार में निवेश करने लगता है। उसे बाजार की समझ नहीं होती है, ना ही उसका माइंडसेट और साइकोलॉजी एक निवेशक की तरह होती है।


मनोवैज्ञानिक ने यह अपने शोध में दर्शाया है कि अगर आप लोगों के सामने कुछ क्रम रहित संख्याएं रखें और उनसे कहें आप उनके बारे में पूर्वानुमान नहीं लगा सकते हैं, लेकिन लोग फिर भी अनुमान लगाने की कोशिश करेंगे।

उदाहरण के लिए, कोई फुटबॉल मैच में उनके पसंद का प्लेयर कितने गोल करेगा, क्रिकेट मैच में कोई प्लेयर कितने रन बनाएगा या कोई लॉटरी में कौन सा नंबर खुल सकता है, लोग पहले अनुमान लगाते हैं, हमारा दिमाग इसी तरह काम करता है। इसी तरह शेयर को खरीदते समय लोग उसके भाव का अनुमान लगाते हैं कि उनके भाव बढ़ेगा या घटेगा और अनुमान लगाकर निवेश करते हैं, जिसे स्पैक्यूलेशन कहा जाता है, जो जुए सट्टे की तरह होता है। ऐसा एक प्रोफेशनल और सही साइकोलॉजी का निवेशक नहीं करता है।


धन से हर किसी को प्यार होता है और हर किसी की भावना धन से जुड़ी होती है। जिसका असर इंसान के दिमाग पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार कोई व्यक्ति निवेश करके ₹10000 कमाए, उसके मन को जितनी खुशी मिलती है। अगर उसको उतना ही नुकसान हो जाए तो उसकी कमाई होने पर जितनी खुशी मिली थी, उससे दुगनी उसे तकलीफ होगी, इसलिए निवेशक को भावना और सोच पर अपना कंट्रोल रखना जरूरी है।


कितना पैसा चाहिए हो सकता है?


दुनिया में हर इंसान की अपनी जरूरत होती है, जिसके लिए वह सुबह उठकर काम करने जाता है और सारा दिन मेहनत करता है, वह इसलिए की उसे तनख्वाह मिलेगी जिससे वह अपनी जरूरत पूरी करता है और सारी जिंदगी इंसान काम करता है, सिर्फ पैसा कमाने के लिए क्योंकि पैसों से जरूरत पूरी होती है।


अगर आप अपने जीवन को बदलना चाहते हैं, तो आपका जीवन बदल सकता है, बस आपको उसके लिए थोड़ा अवेयर होने की जरूरत है। आप कितना कमाते हो उससे कोई फर्क नही पड़ता, आप खर्च कैसे करते हैं यह पता करें। जब आप एक महीना अपने खर्च को लिखेंगे तो आपको पता चल जाएगा की आप कितना कमाते हैं और कहां कितना खर्च करते हैं। कुछ लोग जो अपनी कमाई से ज्यादा भी खर्च करते हैं, ऐसा मैने इसलिए लिखा जिससे आपको पता चले आपकी जरूरत कितनी है, जिससे आपको पता करने में आसानी हो आपको कितना पैसा चाहिए।


फाइनेंशियल फ्रीडम क्या है


अगर आपको अपने महीने के खर्च के बारे में पता चल गया तो आप आसानी से अपनी जरूरत के लिए धन की संख्या पता कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आप की उम्र 25 वर्ष है, और आप अभी 15,000 रुपए कमाते हैं, जिससे आपके खर्च चल सकते हैं, तो आपको इतनी राशि जोड़ना है और सेविंग के साथ इन्वेस्ट करनी है जिससे आपके पास इतने पैसे आएं की आप बिना काम किए , आपके महीने के सारे खर्च पूरे हो सकें, इसे फाइनेंशियल फ्रीडम कहते हैं।


अमीर आदमी ज्यादा पैसे कमाने के लालच से बचता है। वह अपना फोकस अपने गोल और कार्य पर करता है। वह हर दिन कुछ सीखता है जिससे उसका जीवन बदले, वह रिस्क भी लेता है लेकिन बहुत सोच समझकर। वह धीरे धीरे आगे बढ़ने पर भरोसा करता है, वह अपनी कमाई को बहुत सोच कर खर्च करता है, वह पैसा बचाता है और उसे सही जगह निवेश करता है जिससे वह सबसे पहले फाइनेंशियल फ्री होता है। थोड़ा थोड़ा बचा कर, सही से निवेश कर के धीरे धीरे डिसिप्लिन के साथ वह अपने लिए संपत्ति खरीदता है और एक दिन वह फाइनेंशियल फ्री होता है। अब वह पैसों के लिए 9 से 5 जॉब ना करे तो उसको अपनी संपत्ति से अपने महीने का खर्च मिलता है और संपत्ति की वैल्यू समय के साथ बढ़ती है इसलिए समय के साथ अमीर और अमीर होते जाते हैं।


कंपाउंड इफैक्ट क्या होता है 


कंपाउंडिंग को दुनिया का आठवां अजूबा भी कहा जाता है, जिसे आम लोग नही जानते, जो किसी को इतना अमीर बना सकता है और किसी को गरीब। अगर आप अमीर बनना चाहते हो तो आप को कंपाउंडिंग के प्रिंसिपल को अच्छे से समझना बहुत जरूरी है। कंपाउंडिंग और समय आपकी छोटी सी राशि को बहुत बढ़ा सकती है। कंपाउंडिंग के बारे में डीटेल में लेख ब्लॉग पर है, उसे जरूर पढ़ें।


अमीर होना और अमीर दिखना 


अक्सर मिडिल क्लास व्यक्ति अमीरों जैसी लाइफ जीते हैं। अच्छा घर, अच्छी गाड़ी आजकल आपको किसी के पास भी देखने को मिल जाएगा। जिसके पास अच्छा घर और गाड़ी और लाइफस्टाइल है इसका मतलब वह अमीर नहीं है, क्योंकि आज के इस वक्त में आप लोन लेकर कुछ भी खरीद सकते हैं। ज्यादातर लोग कर्ज लेकर अपने लिए अच्छा घर और गाड़ी खरीदते हैं जिससे सोसायटी में लोग उन्हें अमीर समझें।


एसेट और लाइबिलिटी में फर्क


अक्सर लोगों को एसेट और लाइबिलिटी में फर्क पता नहीं होता है। दुनिया में ज्यादातर लोग अपनी मेहनत की कमाई से लायबिलिटी खरीदते हैं। लाइबिलिटी होती है जो आपकी जेब से हमेशा खर्च करती हो, एसेट हमेशा आपको पैसा कमा कर देती है, यही एसेट और लाइबिलिटी में अंतर होता है।

पैसों का मनोविज्ञान कब पढ़ा जाए

पैसों का मनोविज्ञान कोई भी उम्र का व्यक्ति पढ़ सकता है। व्यक्ति जितनी कम उम्र में पैसों की साइकोलॉजी को समझ ले उसके लिए उतना अच्छा है। व्यक्ति उसके मन की अवस्था और उसके विचार और अपनी भावना सही रखना सीख जाता है,  जिससे वह अपना जीवन अच्छे से जी सकता है और अपनी ओर धन को आकर्षित कर के बहुत सारा धन अपने लिए कमा सकता है और उससे अपने लिए अच्छी संपत्ति बना सकता है।


जरूरी बात:


साइकोलॉजी ऑफ मनी मतलब पैसों का मनोविज्ञान क्या है उम्मीद है आपको हमारे द्वारा लिखे लेख से समझ आया हो। यहां बताई गई बातें बहुत ध्यान से समझने की हैं। अगर आप अपने जीवन में पैसा, खुशी और शांति चाहते हैं तो आपको खुद पर काम करना पड़ेगा। आपको अपनी सोच को बदलना होगा, चीजों को सीखकर , अच्छी आदतें अपने अंदर विकसित करनी होंगी। जीवन में आपको अपने गोल्स को सेट करना होगा, उनके पाने का एक बेहतरीन प्लान बनाकर जहां हैं वहां से शुरुआत करना होगा। रास्ते में चुनौतियां आएंगी, आप फेल भी होंगे लेकिन आपको अपने अंदर एक मजबूत इच्छा शक्ति पैदा करनी होगी। हार जैसा कुछ भी नही होता , लगातार प्रयास करने की आदत आपको कामयाब बनाती है।  फेल्योर तो लर्निंग होती है जो आपको बताती है की आप अपना काम सही तरीके से नहीं कर रहे हैं। आपको अपना प्लान और कार्य की कमी को ढूंढकर उसे सही कर फिर अपने लक्ष्य को पाने में लग जाना है।


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लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद

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