निवेश करने के सबसे अच्छे तरीके, मिलेगा लाभ, जानें क्या हैं तरीके।

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निवेश करने के सबसे अच्छे तरीके, मिलेगा लाभ, जानें क्या हैं तरीके। 


By Javed / May'10,2023:


Very Useful

अगर आप भी एक अच्छे निवेशक बनना चाहते हैं या आप निवेश कर रहे हैं तो, अच्छा निवेशक इन बातों पर बहुत ध्यान देता है जो निवेश के जोखिम को कम करती हैं और रिटर्न की क्षमता को बढ़ा सकती हैं।

 

एक अच्छा निवेशक हमेशा अच्छे रिसर्च और एनालाइज और रूल्स रेगुलेशंस को फॉलो करके ही अपनी मेहनत से कमाए पैसों को निवेश करता है, जिससे उसे निवेश में लाभ मिल सके।


nivesh karne ke sabse ache tarike


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Title  : निवेश करने के सबसे अच्छे तरीके, मिलेगा लाभ, जानें क्या हैं तरीके। 

Article          : निवेश के तरीके।


Category     : शेयर बाजार 

Year             : 2023

Subject        : निवेश 

Country        : भारत



स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले किसी को क्या सावधानी रखनी चाहिए?



अगर आप निवेश करने का सोच रहे हैं तो आपको निवेश करने से पहले वित्तीय ज्ञान हासिल करना चाहिए और अपने अंदर वित्तीय समझ विकसित करना चाहिए।


एक बेहतर निवेशक अपने रुपए को बहुत अच्छे से मैनेज करता है। वह निवेश करने से पहले अच्छे से रिसर्च करता है। उसके पास बेहतर फाइनेंशियल प्लानिंग होती है और एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाकर, एक निवेश रणनीति को प्लान करके वह रुपए निवेश करता है।


1. जोखिम को समझना:


निवेशक को क्या सावधानी रखनी चाहिए, निवेशक को सबसे पहले अपने धन की सुरक्षा करनी चाहिए इसलिए वह रिस्क मैनेजमेंट सीखे।


2. महंगाई दर से ज्यादा रिटर्न:


अपने लिए निवेशक को अपनी जरूरत के हिसाब से सुरक्षित निवेश के विकल्प का चुनाव करना भी बहुत जरूरी है। विकल्प ऐसा हो जो मुद्रास्फीति मतलब इन्फ्लेशन से ज्यादा रिटर्न देता हो और सुरक्षित भी हो।


3. पोर्टफोलियो बनाना:


एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाना निवेशक के लिए बहुत जरूरी होता है। पोर्टफोलियो में निवेशक अपने धन को निवेश के अलग-अलग विकल्पों को चुनकर उसमें थोड़े-थोड़े रुपए निवेश करता है।


4. लंबे समय के लिए निवेश:


लंबी अवधि के लिए निवेश करना, वैल्यू इन्वेस्टिंग पर अपना ध्यान लगाना, निवेश के लिए बहुत जरूरी है।


5. रुपए को सही से निवेश करना: 


डॉलर कॉस्ट एवरेजिंग फार्मूला का इस्तेमाल करना, एक निवेशक के लिए बहुत अच्छा हो सकता है। इस फॉर्मूले में हर महीने एसआईपी करना होता है, लॉन्ग टर्म गोल के लिए इसमें एक तय राशि, एक पोर्टफोलियो बनाकर, अलग अलग निवेश के विकल्प में निवेश करना होता है। इसमें बाजार के उतार-चढ़ाव को और बढ़ती घटती कीमत को नहीं देखा जाता है। इसमें लगातार निवेश किया जाता है।


6. अच्छा निवेशक कम में खरीदता और ज्यादा में बेचता है:


निवेश की रणनीतियों में से यह एक महत्वपूर्ण रणनीती है, जिसमें किसी भी ऐसेट या सिक्योरिटीज़ को तब खरीदा जाता है, जब उनकी कीमत बहुत कम होती हैं और उनमें भविष्य में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद हो।

जब मार्केट में उनके दाम बढ़ जाते हैं तो निवेशक उन्हें बेच कर अच्छा खासा प्रॉफिट कमा सकते हैं।



इस रणनीति का लक्ष्य, मार्केट में होने वाले उतार चढ़ाव में अच्छे कैपिटल के माध्यम से लाभ हासिल करना होता है।



इस रणनीति से लाभ उठाने के लिए निवेशक को पहले खरीदी जाने वाली एसेट या सिक्योरिटीज़ के बारे में पूरी रिसर्च कर लेनी चाहिए। इस रणनीति से लाभ कमाने के लिए अलग अलग एसेट के इंट्रिंसिक वैल्यू जांचना, मार्केट का क्या ट्रेंड है मतलब किस सेक्टर में आनेवाले समय में तेजी या मंदी देखने को मिलेगी अच्छे से समझ लेना चाहिए। साथ ही निवेशक के लिए अपने रिस्क को मैनेज करना भी जरूरी है।



7.निवेश पोर्टफोलियो में विभिन्नता लाना:


अपने निवेश के पोर्टफोलियो में अलग-अलग निवेश के इंस्ट्रूमेंट को शामिल करें ।



जैसे एसेट क्लासेस में से विभिन्न इंडस्ट्रीज, जियोग्राफिक रीजंस और सिक्योरिटीज के अलग-अलग तरह के इंस्ट्रूमेंट जिससे जोखिम कम किया जा सके और मिलने वाले रिटर्न्स को बढ़ाया जा सके। डायवर्सिफिकेशन का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने का है। 



इसे उदाहरण से समझते हैं :



मान लें, आपके पास ₹100000 रुपए हैं और आप ने अपने  सारे पैसों को एक स्टॉक में डालने के बजाए उसको अलग-अलग निवेश के इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर रहे हैं तो, 



आपको स्टॉक्स में 40 परसेंट यानी ₹40000 रुपए के आपने स्टॉक्स खरीद सकते हैं, उसमें आप कुछ टेक्नोलॉजी के, हेल्थ केयर के कंज्यूमर गुड्स के और एनर्जी स्टॉक्स शामिल कर सकते हैं, यह आपको मदद करेगा हानि कम करने में, और लाभ को बढ़ाने में। 

यदि कोई एक सेक्टर में लॉस होता है और दूसरे में फायदा होता है और तीसरे में बहुत अच्छा परफॉर्मेंस निकलता है तो आपका लॉस कवर हो सकता है। 



30 परसेंट आपको बांड्स में इन्वेस्ट करना चाहिए, जैसे कि गवर्नमेंट बॉन्ड्स, म्युनिसिपल बॉन्ड्स और कॉरपोरेट बॉन्ड्स। बॉन्ड्स को स्टॉक से कम जोखिम वाला बताया जाता है। इस तरह से आपको अपने लॉस को कवर करने में मदद कर सकता है ।



20 परसेंट आपने म्यूच्यूअल फंड और ईटीएफ में निवेश किया। 



10 परसेंट रियल स्टेट में जिससे आपकी सोर्स ऑफ इनकम भी बन जाएगी।



इस तरह निवेश करने से आपका पोर्टफोलियो स्टेबल हो जाएगा और आपको ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने का मौका मिलेगा।



8.लंबी अवधि तक निवेश को रखना:



इस रणनीति में कोई भी व्यक्ति या संस्था कुछ सालों या दशकों तक के लिए निवेश को होल्ड करने की नियत से निवेश करते हैं। इसके लिए डिसिप्लिन और पेशेंस की बहुत जरूरत होती है क्योंकि इस प्रकार की रणनीति का उद्देश्य लंबे समय में ग्रोथ और संपत्ति में बढ़ोतरी हासिल करना होता है।



लंबे समय के लिए इन्वेस्ट करने के लिए कुछ पहलुओं को ध्यान में रखना ज़रूरी है:



लंबी अवधि के निवेश में समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि समय के साथ इस प्रकार के निवेश में कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है, जिससे जितने समय तक आप निवेश को जारी रखेंगे, आपको कंपाउंडिंग का उतना ज्यादा फायदा मिलेगा।



लंबी अवधि के निवेश में क्या ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आपके निवेश में डायवर्सिफिकेशन हो जिससे जोखिम कम किया जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा रिटर्न हासिल किए जा सकते हैं।



निवेश में यह नीति अपनाने के लिए निवेशक को अपने जोखिम को समझना बहुत जरूरी है, जिसमें होने वाली हानि भी शामिल हो। इसके लिए आपको अपने रिस्क की क्षमता को जांच लेना चाहिए। अपने फाइनेंशियल गोल्स को क्लियर रखना चाहिए और अपने समयावधि को पहले ही तय कर लेना चाहिए।



इस प्रकार के निवेश में निवेशक को धैर्य रखना और किसी भी तरह के इमोशनल होकर फैसले लेने से बचना चाहिए। बाजार के उतार-चढ़ाव में कोई जल्द बाजी में फैसला लेने से बचना चाहिए और अपने लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्लांस को ही फॉलो करना चाहिए।



निवेश की रणनीति में अपने किए गए निवेश को समय-समय पर जाचतें रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर कोई बदलाव करना चाहिए या फिर जोखिम और लाभ को बराबर मैनेज करते रहना चाहिए।



लंबी अवधि में निवेश की रणनीति को सफल बनाने के लिए यह जरूरी है की आपने सही तरीके के निवेश इंस्ट्रूमेंट का चुनाव किया हो। इसके लिए आपको रिसर्च निवेश के फंडामेंटल और लंबी अवधि में ग्रोथ के पोटेंशियल को जरूर चेक कर लेना चाहिए। जिन निवेश इंस्ट्रूमेंट्स में लगातार अच्छा परफॉर्मेंस और अच्छे फाइनेंशियल्स साथ ही भविष्य में ग्रोथ करने की उम्मीद हो वही लंबी अवधि के निवेशकों के लिए उचित है।



9.निवेश में चल रहे ट्रेंड को फॉलो करें :



इस रणनीति में मार्केट में जो चल रहा है, उसे समझना और फॉलो करना शामिल है। इसके लिए विभिन्न तरीके के इंडिकेटर्स का इस्तेमाल किया जाता है जैसे, प्राइस मूवमेंट्स, ट्रेडिंग वॉल्यूम और मार्केट सेंटीमेंट्स जिससे किसी भी असर या सेक्टर किस दिशा में बढ़ेगा या घटेगा, वह समझ आ सके। ट्रेंड्स को फॉलो करते हुए निवेशकों को वर्तमान मार्केट में मोमेंटम के अनुसार निवेश करने पर अच्छे रिटर्न्स की उम्मीद होती है।

 


हालांकि यह भी जान लेना जरूरी है कि कोई भी ट्रेंड फुलप्रूफ नहीं होता और उसमें कुछ ना कुछ जोखिम होता ही है, इसलिए इस रणनीति को इस्तेमाल करने से पहले अपनी तरफ से रिसर्च करना और अपने जोखिम को मैनेज करना निवेशकों के लिए बहुत जरूरी है।



10.निवेश से पहले अपनी कोशिश करना:



निवेश करने से पहले निवेश से जुड़ी रिसर्च और एनालिसिस अच्छे से करना चाहिए जिस में शामिल है कंपनी की महत्वपूर्ण जानकारी, उसकी फाइनेंशियल हेल्थ और उसकी मैनेजमेंट टीम कैसी है । कॉम्पिटेटिव लैंडस्केप, कंपनी के क्या इंडस्ट्री ट्रेंड्स हैं और उससे जुड़ी दूसरी जानकारी निवेश करने से पहले ही सारी जानकारी जुटाकर निवेशक अपने लिए सूचित विकल्पों पर फैसला कर सकता है और अपने जोखिम को कम कर सकता है। यह रणनीती निवेशक को अपने लिए उचित विकल्प चुनने और अपने कम्फर्ट के अनुसार जोखिम और पोटेंशियल रिटर्नस हासिल करने में मदद करता है।



11.निवेश करते समय अपनी भावनाओं पर काबू रखें:



एक निवेशक को निवेश करते समय किसी भी तरह की जल्दबाजी में फैसले लेने से बचना चाहिए। उसे अपने इमोशंस को कंट्रोल करना आना चाहिए। 



निवेश करते समय भावनाएं जैसे, डर, लालच और पैनिक, निवेशक के जजमेंट को गलत कर सकते हैं और इंपल्सिव एक्शंस लेने पर मजबूर कर सकते हैं। निवेशक की निवेश स्ट्रेटजी के विरुद्ध काम करने से उसको नुकसान उठाना पड़ सकता है। 



इसलिए जरूरी यह है की अपने माइंडसेट को शांत और ऑब्जेक्टिव रखा जाए। निवेश करते समय आप अपने लॉन्ग टर्म प्लांस को ध्यान में रखें और अपनी प्लानिंग के ही तहत काम करें और मार्केट के उतार-चढ़ाव के असर में ना आए। 



कोई भी फैसला लेने से पहले निवेशक अपने एनालिसिस को ध्यान में रखें ना कि मार्केट ट्रेंड्स के उतार-चढ़ाव में फैसले लें। जो निवेशक इमोशनली डिसिप्लिन होते हैं, वह एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो को मैनेज कर सकते हैं और अपने लॉन्ग टर्म गोल को फोकस करके आगे बढ़ते हैं।



12.अपने साधनों में ही रहना:



अपने साधनों में रहने का मतलब है एक निवेशक को बहुत ज्यादा रिस्क या फाइनेंशियल बोझ लेने से बचना चाहिए और जितनी उसकी क्षमता हो उतना ही निवेश करना चाहिए। 



यह इस बात के महत्व को समझाता है कि जितना फंड्स आप बिना अपने वित्तीय क्षमता की स्थिरता को गवांए या अपने बेसिक नीड्स को कंप्रोमाइज किए बगैर जितना लॉस आप झेल सकते हैं, उतने ही फंड्स निवेश के लिए इस्तेमाल करें। 



यह नियम किसी भी निवेशक को अपने निवेश के लक्ष्य को रियलिस्टिक रखने, अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग निवेश के इंस्ट्रूमेंट चुनने और जितना आसानी से हैंडल कर सके उतना ही निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। जब आप अपने साधन के अनुसार निवेश करेंगे इससे आपकी और आपके परिवार की जीवन शैली पर किसी भी तरीके का प्रभाव नहीं पड़ेगा और आप अपना निवेश का करियर सुचारू रूप से चला सकते हैं बगैर किसी वित्तीय परेशानी का सामना किए।



13.अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर एडजस्ट करते रहना :



एक निवेशक के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह अपने गोल्स को ध्यान रखते हुए, अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर जांच करता रहे, की उसके लोंग टर्म गोल्स को वह कितने समय में हासिल कर लेगा और वह सही दिशा में है या नहीं। 



रिबेलेंसिंग में शामिल है समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की रिव्यु करना और उसके डिस्ट्रीब्यूशन को रीएडजेस्ट करना , जैसे कि अलग-अलग एसेट क्लासेस में शामिल हैं स्टॉक्स, बॉन्ड्स, साथ ही उनसे जुड़े रिस्क टोलरेंस और मार्केट में चल रही स्थितियों को देखना।



रिबेलेंसिंग का उद्देश्य मार्केट फ्लकचुएशंस की वजह से मार्केट के उतार-चढ़ाव की वजह से जिन असेट्स में फर्क आया हो, उन्हें री स्टोर करना और अपने जोखिम को कम करना।



रिबेलेंस द्वारा निवेशक अपने रिस्क को कंट्रोल कर सकता है, ओवर परफॉर्मिंग करने वाली असेट्ज को बेचकर और अंडर परफॉर्म करने वाली असेट्स को खरीद कर वह अपने पोर्टफोलियो को लोंग टर्म गोल्स के लिए मार्केट वोलेटिलिटी के अनुसार इंश्योर कर सकता है।



14.वित्तीय सलाहकार की सलाह लेना:


जरूरत पड़ने पर किसी वित्तीय सलाहकार की मदद लेना अपने निवेश के लिए अच्छा साबित होता है। 



प्रोफेशनल वित्तीय सलाहकार जिन्हें निवेश से जुड़ी एक्सपर्टीज हासिल होती है और एक्सपीरियंस होता है, वह किसी भी निवेशक के लिए निवेश डिसीजंस में फायदा उठाने के लिए मददगार साबित होगा।

 


वित्तीय सलाहकारों के पास मार्केट ट्रेंड्स, रिस्क एसेसमेंट और विभिन्न प्रकार की निवेश की रणनीती की बहुत ही गहराई से जानकारी होती है, जो उन्हें किसी भी निवेशक के सरकमस्टेंसस और उसके लोंग टर्म गोल्स को ध्यान में रखते हुए अच्छा और सही गाइडेंस प्रदान कर सकते हैं। 



प्रोफेशनल से मदद लेने पर निवेशक को भी वित्तीय लैंडस्केप, उससे जुड़ी रिस्क और रिस्क को कम करना और पोटेंशियल रिटर्नस को बढ़ाने की अच्छी समझ हासिल हो सकती है। 



प्रोफेशनल सलाहकारों की सलाह से निवेशक को  कठिन निवेश ऑप्शंस को भी समझने में मदद होगी। वित्तीय सलाहकारों की सलाह लेने से किसी भी निवेशक के लिए अच्छा निवेश के विकल्प को चुनना और अपने लिए बेहतरीन वित्तीय रिजल्ट्स पाना आसान हो सकता है।



निवेश का सबसे अच्छा साधन क्या है?


निवेश करने के लिए हर व्यक्ति के लिए अपनी जरूरत, रिस्क और कैपिटल के हिसाब से अपना साधन अलग अलग हो सकता है। हमारे देश भारत में सबसे ज्यादा लोग बैंक एफडी या प्रॉपर्टी में निवेश को अच्छा साधन मानते हैं। इन दोनों निवेश के साधनों में रिस्क भी बहुत कम या ना के बराबर होता है। इन दोनों विकल्पों के अलावा बॉन्ड्स, इंडेक्स फंड, गोल्ड, ईटीएफ जैसे साधन भी निवेश के अच्छे विकल्प हो सकते हैं।


सबसे बढ़िया इन्वेस्टमेंट क्या है?


निवेश के अलग अलग बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं और सबके अलग रिस्क और रिटर्न होते हैं। विकल्प कोई भी अच्छा या बुरा नहीं होता है अगर आप अच्छे से स्टडी करेंगे तो आपको दुनिया में अलग अलग प्रकार के निवेश के विकल्प में निवेश करने वाले निवेशक मिलेंगे, जिनके लिए वो इन्वेस्टमेंट बढ़िया है जिसमें वे निवेश करते हैं।


अगर आप कहीं निवेश करने के विकल्प चुन रहे हैं तो आप को उस विकल्प के बारे में अच्छे से स्टडी करना चाहिए और विकल्प के सभी पहलू को समझ कर रिस्क और रिटर्न दोनों के हिसाब से एक बेहतरीन रणनीति बना कर निवेश करना चाहिए जिससे आप को अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न प्राप्त हो सके।


अलग अलग निवेश के विकल्प और सबके अपने अलग रिस्क और रिटर्न विकल्प से तय नहीं होता की आप का इन्वेस्टमेंट बढ़िया है, इन्वेस्टमेंट को बढ़िया इन्वेस्टमेंट से जुड़ा ज्ञान बनाता है। आप जहां भी निवेश कर रहे हैं उसके बारे आप कितनी समझ रखते हैं, आपको निवेश के विकल्प में जितनी ज्यादा जानकारी होगी आपके लिए वह इन्वेस्टमेंट विकल्प उतना ज्यादा बढ़िया हो सकता है। किसी भी निवेश के विकल्प के चुनाव से पहले उसके बारे में सही जानकारी हासिल करे और उसे समझें, जब आपको लगे कि हां मैं इस विकल्प को अच्छे से समझ गया हूं, और यहां से मैं अच्छे रिजल्ट प्राप्त कर सकता हूं, तब वह इन्वेस्टमेंट बढ़िया हो सकती है।


जरूरी बात:


निवेश करना एक जटिल काम है और सब की जरूरत और फाइनेंशियल स्थितियां अलग-अलग होती हैं। हर व्यक्ति अपनी हैसियत के हिसाब से निवेश करता है, लेकिन एक अच्छा निवेशक अच्छे पोर्टफोलियो बनाकर, अपने धन की सुरक्षा के साथ, एक अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग करके अपने सभी वित्तीय लक्ष्य बनाकर, उन्हें धीरे-धीरे पाने का प्रयास करता है।


एक अच्छा निवेशक अच्छी रिसर्च करता है, वह भावनाओं में कोई भी डिसीजन नहीं लेता है। वह ना ज्यादा लालच करता है ना ही वह डर रखता है। उसे अपने रिस्क को, रिटर्न को अच्छे से कैलकुलेट करना आता है। वह हमेशा जरूरत के हिसाब से अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करता रहता है, जिससे उसके रिटर्न बढ़े और जोखिम कम हो।


अच्छा निवेश करने के तरीके निवेशक हमेशा सीखता रहता है। उसे निवेश से जुड़ी हर जानकारी में रुचि रहती है। वह अच्छी किताबें, अच्छे ब्लॉग पढ़ता है, जिससे वह अपने लिए सही डिसीजन लेता है।


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लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद।