What is Book value hindi/बुक वैल्यू क्या होता है?

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What is Book value hindi: बुक वैल्यू क्या होता है?

By Javed / May' 24, 2023:


बुक वैल्यू किसी भी स्टॉक की कंपनी की टोटल इक्विटी के हिसाब से तय प्रति शेयर की कीमत होती है। निवेशक फंडामेंटल एनालिसिस करते समय स्टॉक की बुक वैल्यू को देखते हैं, स्टॉक अभी अंडर वैल्यूड है या ओवर वैल्यूड है यह पता करने के लिए।


बुक वैल्यू कंपनी की पूरी संपत्ति से उसके सभी खर्च और कर्ज़ को घटा कर निकाली जाती है। टोटल शेयर के हिसाब से प्रति शेयर की निकलने वाली कीमत को बुक वैल्यू कहा जाता है।


मार्केट प्राइस बाजार के उतार चढ़ाव के कारण घटती और बढ़ती है जिसके कारण स्टॉक कभी बुक वैल्यू से ज्यादा भाव पर ट्रेड करता है तो कभी बुक वैल्यू के बराबर या उससे कम पर ट्रेड करता है।


बुक वैल्यू का महत्व शेयर बाजार में निवेश करने वाला निवेशक ही जानता है जब भी कोई निवेशक शेयर बाजार में निवेश करता है तो वह कंपनी के फंडामेंटल्स को अच्छी तरीके से समझता है और देखता है जिसमें से एक पहलू है कंपनी का बुक वैल्यू जो यह दर्शाती है कि जो शेयर निवेशक अपने लिए खरीद रहा है उसकी सही वैल्यू क्या है और फिर निवेश करता है।



यह लेख के माध्यम से बुक वैल्यू से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आपको प्राप्त हो सकती हैं इसीलिए लेख को आप ध्यानपूर्वक पढ़े और समझें बुक वैल्यू का महत्व क्या है, बुक वैल्यू की गणना कैसे की जाती है, बुक वैल्यू से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख द्वारा आपको प्राप्त होगी।



What is Book value hindi/बुक वैल्यू क्या होता है?

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बुक वैल्यू को समझते हैं 

बुक वैल्यू किसी भी स्टॉक की एक सही वैल्यू को दर्शाती है, यह मार्केट प्राइस से अलग होती है। बुक वैल्यू के माध्यम से निवेशक स्टॉक अभी सस्ता है या महंगा है, वर्तमान समय में चल रहे बाजार के स्टॉक के प्राइस पर। 


बुक वैल्यू और मार्केट प्राइस एक स्टॉक की अलग अलग हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, एक कंपनी है उसका मार्केट प्राइस ₹90 है, तो उसकी बुक वैल्यू उससे कम ₹50 हो सकती है या फिर ₹90 से ज्यादा ₹120 बुक वैल्यू हो सकती है, जिसे देखकर निवेशक स्टॉक की पहचान करते हैं की स्टॉक प्राइस अभी महंगा है या सस्ता। बुक वैल्यू एक वैल्यू इन्वेस्टर के लिए बहुत जरूरी टर्म है, इसके बारे में इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बुक, वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट बुक यह दोनों किताबों में लेखकों ने समझाया है। यह दोनों किताबें निवेश पर लिखी बहुत अच्छी किताबें हैं।


जब कोई कंपनी अच्छा प्रॉफिट कमाती है तो उससे वह ज्यादा कैश अपने पास जमा करती है या फिर अपने एसेट को बढ़ाती है। कंपनी अपनी कमाई को बढ़ाने के समय के साथ नए एसेट खरीदती है जिससे उसके स्टॉक की बुक वैल्यू बढ़ती है।


बुक वैल्यू इक्विटी शेयर होल्डर की वर्थ को बताती है की कंपनी अपने शेयर होल्डर की इक्विटी की वर्थ को बढ़ा रही है या नहीं। इसके लिए बुक वैल्यू को मार्केट प्राइस से कंपेयर किया जाता है जिससे एक निवेशक स्टॉक को एनालाइज करता है की स्टॉक का मार्केट प्राइस अभी सस्ता है या नहीं है।


वैल्यू इन्वेस्टिंग में बुक वैल्यू, पीबी रेश्यो, PE रेश्यो, EPS, ROE जैसे रेश्यो का उपयोग होता है किसी भी कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस करते समय।


बुक वैल्यू कैसे निकालते हैं?


बुक वैल्यू की गणना करने के लिए कुल एसेट्स (संपत्ति) में से इनटेंजिबल असेट्स जैसे, गुडविल, पेटेंट आदि और लायबिलिटीज को घटाया जाता है।



निवेश करने के लिए देखी जाने वाली बुक वैल्यू में निवेशक नेट या या ग्रास खर्च जैसे, ट्रेड करते समय होने वाले खर्च, सेल्स टैक्स, सर्विस के चार्जेस, आदि जैसे खर्चे शामिल होते हैं।



बुक वैल्यू की गणना उदाहरण से समझें:


बुक वैल्यू (Book Value) की गणना को एक उदाहरण समझते हैं:


मान लें कि आपके पास एक कंपनी है जिसका कारोबारिक रिकॉर्ड निम्नलिखित रूप में है:


कंपनी के संपत्ति:  20,00,000 रुपये

कंपनी के देय राशि:  5,00,000 रुपये

कंपनी के अपूर्ण ऋण: 2,00,000 रुपये

शेयर के संख्या: 1,00,000 शेयर



अब हम बुक वैल्यू की गणना करेंगे:


पहले, कंपनी की खुदरा संपत्ति को देय राशि से घटा देंगे:

खुदरा संपत्ति = 20,00,000 - 5,00,000 = 15,00,000 रुपये


अब, खुदरा संपत्ति से अपूर्ण ऋण को घटा देंगे:

खुदरा संपत्ति - अपूर्ण ऋण = 15,00,000 - 2,00,000 = 13,00,000 रुपये


अंत में, बुक वैल्यू को शेयर की संख्या से भाग करेंगे:

बुक वैल्यू = खुदरा संपत्ति - अपूर्ण ऋण / शेयर की संख्या

= 13,00,000 रुपये / 1,00,000 शेयर

= 13 रुपये प्रति शेयर



इसलिए, इस कंपनी की बुक वैल्यू 13 रुपये प्रति शेयर होगी। यही बुक वैल्यू उस समय के लिए निर्धारित होगी जब यह बुक वैल्यू निर्धारित हुई थी। 



बुक वैल्यू एक कंपनी की वित्तीय स्थिति को मापने का एक मानक है। यह उस संख्या को दर्शाता है जो शेयरहोल्डर्स को मिलेगी अगर कंपनी को सभी संपत्तियाँ बेच दी जाएं और सभी देय राशियाँ चुका दी जाएं।



इस उदाहरण में, कंपनी की खुदरा संपत्ति 15,00,000 रुपये है, जिसमें से अपूर्ण ऋण की राशि 2,00,000 रुपये है। इसलिए, उस समय के लिए यदि कंपनी को बेचा जाए और देय राशियाँ चुका दी जाए, तो शेयरहोल्डर्स को कुल 13,00,000 रुपये (खुदरा संपत्ति - अपूर्ण ऋण) मिलेंगे। यह राशि 1,00,000 शेयरों में बांटी जाएगी, इसलिए प्रति शेयर बुक वैल्यू 13 रुपये होगा।



यह उदाहरण बुक वैल्यू की एक साधारण गणना दिखा रहा है, हालांकि वास्तविकता में बुक वैल्यू की गणना कंपनी के वित्तीय तथ्यों, मूल्यों और अन्य कारकों पर निर्भर करेगी। 



Book Value Formula:


बुक वैल्यू पर शेयर: 

एक शेयर पर बुक वैल्यू की गणना करने के लिए फॉर्मूला है: 


बुक वैल्यू पर शेयर=

कॉमन स्टॉकहोल्डर्स इक्विटी - प्रीपेड स्टॉक / कंपनी के कुल शेयर्स।



BVPS क्या होता है | बुक वैल्यू पर शेयर 




किसी भी कंपनी में शामिल इक्विटी शेयरहोल्डर्स के एक शेयर की कितनी कीमत होगी, इसका निर्धारण करने के लिए जो विधि है उसे बुक वैल्यू पर शेयर कहा जाता है। 



यदि कंपनी डिसॉल्व होती है तो उसकी सारी संपत्ति लिक्विडेट करने और कर्ज का भुगतान करने के बाद कंपनी के पास जो भी कीमत रहती है वह उसके कॉमन शेयरहोल्डर्स को प्रति शेयर की कीमत के हिसाब से दी जाती है। 



यदि किसी कंपनी का बीवीपीएस यानी बुक वैल्यू पर शेयर, उसकी मार्केट वैल्यू पर शेयर से ज्यादा होता है,तो इसका मतलब है हम उस कंपनी के स्टॉक को अंडरवैल्यूड यानी अपनी कीमत से कम में बिकने वाला स्टॉक मान सकते हैं।



पर्सनल फाइनेंस में बुक वैल्यू


पर्सनल फाइनेंस में बुक वैल्यू किसी भी निवेश का वह प्राइस होता है, जो सिक्योरिटी या डेब्ट इंवेस्टमेंट निवेश दर्शाता है। जब कोई कंपनी अपने स्टॉक्स बेचती है तो निवेश में दिखाई जाने वाली सेलिंग प्राइस में से बुक वैल्यू को घटाकर कंपनी का कैपिटल गैन या लॉस पता किया जा सकता है।



बुक वैल्यू पर शेयर को निकालने के लिए किसी कंपनी के कॉमन स्टॉकहोल्डर्स इक्विटी में से प्रीपेड स्टॉक की संख्या को घटाया जाएगा और कंपनी के कुल शेयर्स द्वारा भाग किया जाएगा।



बुक वैल्यू को नेट बुक वैल्यू भी कहा जाता है और यूनाइटेड किंगडम में किसी भी फर्म की नेट ऐसेट वैल्यू के नाम से भी जाना जाता है।



Book Value per share formula BVPS


बुक वैल्यू पर शेयर=

कॉमन स्टॉकहोल्डर्स इक्विटी - प्रीपेड स्टॉक / कंपनी के कुल शेयर्स



बुक वैल्यू के लिए अच्छी कीमत क्या है?



1.0 पीबी रेश्यो कंपनी के शेयर की कीमत उसकी बुक वैल्यू के बराबर होना दर्शाता है। 

निवेशकों के लिए यह एक अच्छा सिग्नल माना जाता है किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदने का क्योंकि कंपनी की मार्केट प्राइस उसकी बुक वैल्यू से ज्यादा होने पर निवेशकों को अपने निवेश पर प्रीमियम हासिल करने का लाभ मिलता है।



आप बुक वैल्यू का उपयोग कैसे करते हैं?


किसी भी कंपनी के एकाउंटिंग में बुक वैल्यू के मुख्य रूप से दो उपयोग होते हैं:



पहला, बुक वैल्यू किसी भी कंपनी की संपत्तियों की कुल कीमत दर्शाती है, जो भविष्य में यदि कंपनी लिक्विडेट होती है तो शेयरहोल्डर्स को प्राप्त होती है।



दूसरा, बुक वैल्यू को कंपनी की मार्केट वैल्यू से कंपेयर किया जाता है, तो बुक वैल्यू किसी भी स्टॉक की सही कीमत को तय करने में मदद करती है जैसे कि वह अपनी कीमत पर बिक रहा है ज्यादा पर बिक रहा है।



बुक वैल्यू के नुकसान क्या हैं?



हालांकि बुक वैल्यू में कुछ कमियां भी हैं जिनके कारण इसे हमेशा सही दिशा देने वाला नहीं माना जा सकता है।

जैसे, संपत्तियों पर मार्केट वैल्यू के बढ़ने और घटने पर ही यह सही तरह से अप्लाई हो पाता।



उदाहरण के लिए


एक कंपनी द्वारा रियल एस्टेट में होने वाला लाभ समय के साथ बढ़ सकता है जबकि उसके लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनरी की कीमत उस में होने वाले तकनीकी एडवांसमेंट की वजह से समय के साथ कम हो सकती है। इस तरह के हालात में बुक वैल्यू किसी भी संपत्ति की या कंपनी की वक्त के साथ सही वैल्यू में कमी दर्शाती है, जबकि कंपनी की मार्केट वैल्यू अच्छी होती है।



Price To Book Value या P/B Ratio क्या हैं?


प्राइस टू बुक रेश्यो:


प्राइस टू बुक रेश्यो एक ही इंडस्ट्री की दो अलग-अलग कंपनी की तुलना करने के लिए एक अच्छा और महत्वपूर्ण मानक साबित होता है। इस रेश्यो का उपयोग  एक ही इंडस्ट्री टाइप या सेक्टर की विभिन्न कंपनियां जो अपनी संपत्तियों के वैल्यूएशन के लिए एक जैसा अकाउंटिंग मेथड का उपयोग करती हों, की तुलना करने में हो सकता है।



हालांकि, यह अलग अलग सेक्टर्स की कंपनियों की संपत्ति मूल्यांकन में काम नहीं करतीं हैं।



जिसके कारण एक अधिक P/B ratio को संपत्ति मूल्यांकन पर प्रीमियम मूल्यांकन नहीं माना जा सकता और ना ही कम P/B ratio को डिस्काउंट मूल्यांकन माना जा सकता है।



यह लेख भी पढ़ें : जिस तरह से किसी शेयर को खरीदने के लिए स्टॉक की बुक वैल्यू देखी जाती है, इसी तरह डेट इक्विटी रेश्यो को भी देखना बहुत ही महत्वपूर्ण है, किसी भी कंपनी के स्टॉक को खरीदने से पहले।


P/B Ratio का उपयोग


बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू में अंतर


बुक वैल्यू किसी भी कंपनी या फर्म की फिक्स्ड असेट्स और सिक्योरिटीज की कीमत को ही कंसीडर करती है जिसे लिक्विडेट होना होता है। यह इंटेंजिबल एसेट्स को जैसे कि पेटेंट ब्रांड वैल्यू और गुडविल की गणना को शामिल नहीं करती है और ना ही कंपनी के मैनपावर की, या समय के साथ होने वाले किसी भी फर्म या कंपनी द्वारा प्राप्त किए गए लाभ और विकास को जोड़ती है।



मार्केट वैल्यू

कंपनी की मार्केट वैल्यू जिसमें इन सभी का वैल्यूएशन शामिल होता है वह बुक वैल्यू से ज्यादा होती है।



बुक वैल्यू को क्यों बुक वैल्यू कहा जाता है?


पुराने समय में जब कोई भी कंपनी अपने रिकॉर्ड लिखा करते थे, तो उनकी बैलेंस शीट उनकी भाषा में कंपनी की बुक्स होती थी , वहां से ही इसे बुक वैल्यू नाम प्राप्त हुआ। पुराने समय में अकाउंटिंग भी बुक कीपिंग के नाम से ही जानी जाती थी इसलिए बुक वैल्यू को अकाउंटिंग वैल्यू भी कहा जाता है।



book value in hindi FAQ:



शेयर मार्केट में बुक वैल्यू क्या होती हैं?

बुक वैल्यू किसी भी कंपनी के कुल एसेट्स (संपत्तियां) में से उसके कुल लायबिलिटीज (दायित्व) को घटा देने पर निकलने वाली राशी को कहते हैं । 



बुक वैल्यू ज्यादा होनी चाहिए या कम?

किसी भी स्टॉक के मार्केट प्राइस को बुक वैल्यू से कंपेयर करने पर अगर बुक वैल्यू से मार्केट प्राइस 20 से 30 परसेंट बड़ी है तो स्टॉक महंगा (overvalued) हो सकता है।



फेस वैल्यू और बुक वैल्यू क्या है?

फेस वैल्यू एक शेयर का नाममात्र का मूल्य होता जो फिक्स होता है, जबकि बुक वैल्यू कुल एसेट्स (संपत्तियां) में से उसके कुल लायबिलिटीज (दायित्व) को घटा देने पर निकलने वाली वैल्यू कहलाती है।



मार्केट वैल्यू और बुक वैल्यू में क्या अंतर है?

मार्केट वैल्यू और बुक वैल्यू में अंतर यह है:



मार्केट वैल्यू: यह उस व्यक्ति, कंपनी, या संपत्ति की मूल्यांकन है जो बाजार में उपलब्ध निवेशकों द्वारा किया जाता है। इसमें बाजार की प्रतिस्पर्धा, आपूर्ति-मांग, वित्तीय स्थिरता, निवेशकों के भावुकता और अन्य कारकों का प्रभाव होता है।



बुक वैल्यू: यह वित्तीय निवेश के बाजार में किसी कंपनी के शेयर या संपत्ति की वास्तविक मूल्यांकन होती है। इसमें कंपनी की निपटान, आपूर्ति-मांग, उपायुक्त संबंध, आर्थिक दिलचस्पी और नवीनतम वित्तीय जानकारी का प्रभाव होता है।



बुक वैल्यू कितना होना चाहिए?

शेयर बाजार में एक स्टॉक की बुक वैल्यू की उसके वर्तमान मार्केट प्राइस से तुलना करने पर, स्टॉक की बुक वैल्यू अगर स्टॉक की मार्केट प्राइस से ज्यादा है तो यह स्टॉक की कीमत का अंडरवेल्यू होना दिखाता है और अगर यह कम है तो स्टॉक का ओवरवैल्यूड होना बताता है। हालांकि, अच्छी ग्रोथ की संभावना वाली कंपनियां अपनी बुक वैल्यू से ज्यादा पर भी ट्रेड होती हैं।



बुक वैल्यू कैसे निकालते हैं?

बुक वैल्यू को निकालने के लिए कंपनी के कुल संपत्तियों में से उसकी इंटेंजिबल एसेट्स और कुल देनदारियों को घटाना होता है।



फेस वैल्यू और बुक वैल्यू क्या है?

फेस वैल्यू कंपनी के आईपीओ जारी करते समय प्रति शेयर मूल्य होता है, जबकि बुक वैल्यू कंपनी के लिक्विडिफिकेशन पर शेयरहोल्डर्स को मिलने वाली उनके प्रति शेयर पर कीमत होती है, जो कंपनी की देनदारियां चुकाने के बाद भुगतान की जाती है।



बुक वैल्यू का महत्व क्या है?

बुक वैल्यू निवेशकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्टॉक के मार्केट प्राइस के साथ तुलना करने पर निवेशक को स्टॉक के अंडरवैल्यूड/ओवरवैल्यूड कीमत का अनुमान दर्शाती है और इसके साथ ही यह कंपनी के लिक्विडिफिकेशन के समय मिलने वाली कीमत बताती है, जो कंपनी की देनदारियां चुकाने के बाद इसके शेयरहोल्डर्स को मिलती है।



क्या होगा अगर बुक वैल्यू शेयर प्राइस से ज्यादा है?

बुक वैल्यू के स्टॉक की मार्केट प्राइस (शेयर प्राइस) से ज्यादा होना, स्टॉक का अपनी कीमतों से कम पर ट्रेड होना दिखाता है, इसे निवेशकों द्वारा अच्छा सिग्नल माना जाता है अगर कंपनी के सभी फंडामेंटल्स सही हों तो।



क्या बुक वैल्यू एक अच्छा इंडिकेटर है?

बाकी सभी इंडिकेटर्स और फंडामेंटल एनालिसिस के साथ ही इसका उपयोग करना अच्छा साबित हो सकता है, हालांकि केवल बुक वैल्यू के आधार पर फैसला गलत होगा।



कोई कंपनी बुक वैल्यू से नीचे ट्रेड क्यों करेगी?

कोई भी कंपनी अपनी बुक वैल्यू से नीचे ट्रेड कर सकती है, यह निर्भर करता है कंपनी के फंडामेंटल्स और बाजार की स्थितियों पर और बुक वैल्यू से नीचे ट्रेड करने के और बहुत से कारण हो सकते हैं।


जरूरी बात:

किसी भी स्टॉक को एनालिसिस करना एक जटिल काम है, जिसे स्टॉक रिसर्च, फंडामेंटल एनालिसिस कहा जाता है जिसमें बहुत सी चीजों पर रिसर्च की जाती है। कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट के साथ बिजनेस मॉडल, प्रोडक्ट और उसके बाजार में क्या डिमांड है, कंपनी बाजार कितने साल तक अच्छा प्रदर्शन कर सकती है, कंपनी अपने प्रोडक्ट को बेचकर कितना प्रॉफिट कमा सकती है और खुद को भविष्य में कितना बढ़ा सकती है, ऐसी और भी बहुत सारी चीजों पर रिसर्च की जाती है। 


उसका एक हिस्सा है बुक वैल्यू, जिसे स्टॉक रिसर्च में महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आप खुद को बेहतर बनाना चाहते हैं स्टॉक को फंडामेंटल समझने के लिए, तो आपको एक बार इंटेलिजेंट इन्वेस्टर किताब जरूर पढ़ना चाहिए जिससे आपको बेहतर ढंग से समझ आएगा, फंडामेंटल एनालिसिस के बारे में। 


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यह लेख लिखने का उद्देश्य आपको बुक वैल्यू से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देना है। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो आप हमें व्हाट्सएप चैनल पर फ़ॉलो करें और नीचे दिए गए सोशल मीडिया शेयर बटन से अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार वालों के साथ शेयर ज़रूर करें जिससे उनका भी नॉलेज बढ़े।

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लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद

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