Price to book ratio kya hota hai | पी बी रेश्यो क्या होता है

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Price to book ratio kya hota hai | पी बी रेश्यो क्या होता है

By Javed / June 14,2023:


Price to book ratio, PB ratio एक फाइनेंशियल मैट्रिक है जिसे किसी भी कंपनी के स्टॉक को एनालाइज और रिसर्च में उपयोग किया जाता है।


निवेशक जब भी किसी स्टॉक के बारे में रिसर्च करते हैं तो वह उसका pb ratio को देखते और समझते हैं कि स्टॉक अभी निवेश करने लायक है या नहीं।


PB ratio के माध्यम से स्टॉक अभी जिस प्राइस पर मार्केट में ट्रेड कर रहा है वह सस्ता है या महंगा है, निवेशक यह उसके pb ratio के माध्यम से पता करने की कोशिश करते हैं।


1.0 pb ratio अच्छा माना जाता है, 1.0 से कम pb ratio वाला स्टॉक इससे ज्यादा pb वाले स्टॉक से अच्छा माना जाता है। निवेशक स्टॉक के पीबी रेश्यो को कंपनी के सेक्टर pb से भी कंपेयर करते हैं।


इंटेलिजेंट इन्वेस्टर हमेशा अपने लिए सस्ता सौदा ढूंढता है। एक सस्ते स्टॉक को एनालाइज करने के लिए pb ratio बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा EPS, PE Ratio, ROE, बुक वैल्यू भी बहुत महत्वपूर्ण फाइनेंशियल मैट्रिक हैं, जिनका उपयोग स्टॉक को रिसर्च करने के लिए किया जाता है।



Pb ratio kya hota hai | पी बी रेश्यो क्या होता है

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प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो क्या होता है / Price to Book (P/B) Ratio


Price to book ratio (P/B) ratio कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन को उसकी बुक वैल्यू से तुलना करता है और बताता है कि कौन सी कंपनी अपने तय कीमत से कम दाम पर मिल रही है इससे निवेशक को को अपने निवेश की पूंजी पर ज्यादा लाभ कमाने की उम्मीद बनती है इस रेश्यो को की गणना करने के लिए कंपनी के वर्तमान के स्टॉक प्राइस को उसकी एक शेयर की बुक वैल्यू से विभाजित किया जाता है।



प्राइस टू बुक रेश्यो / P/B ratio से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां: 


  • प्राइस टू बुक रेश्यो को किसी भी कंपनी के मार्केट वैल्यू से उसकी बुक वैल्यू की तुलना कर निकाला जाता है।
  • किसी भी कंपनी के स्टॉक की मार्केट वैल्यू टिपिकली अपनी बुक वैल्यू से ज्यादा ही होती है।
  • प्राइस टू बुक रेश्यो का इस्तेमाल वैल्यू इन्वेस्टर्स द्वारा अच्छे निवेश की पहचान करने में  किया जाता है ।


p/b ratio कितना होना चाहिए?


वैल्यू इन्वेस्टर्स द्वारा 1.0 के नीचे आने वाला प्राइस टू बुक P/B रेश्यो सॉलिड इन्वेस्टमेंट समझा जाता है मतलब बहुत अच्छा निवेश जो आगे चलकर उन्हें बहुत हाई रिटर्न्स देने का पोटेंशियल रखते हैं।


एक अच्छा प्राइस टू बुक P/B रेश्यो बिजनेस और उसके इंडस्ट्री पर निर्भर करता है मतलब अलग-अलग इंडस्ट्रीज के अलग-अलग बिजनेस के प्राइस टू बुक P/B रेश्यो अलग हो सकते हैं।


प्राइस टू बुक रेश्यो फॉर्मूला/ price to book ratio formula:


प्राइस टू बुक P/B रेश्यो

मार्केट प्राइस पर शेयर/ बुक वैल्यू पर शेयर 


प्राइस टू बुक रेश्यो की गणना कैसे की जाती है:


प्राइस टू बुक P/B रेश्यो को कैलकुलेट करने के लिए फार्मूला यह है:


प्राइस टू बुक P/B रेश्यो

मार्केट प्राइस पर शेयर /बुक वैल्यू पर शेयर


​जिसमें ,

मार्केट प्राइस पर शेयर और की वर्तमान में चल रही मार्केट प्राइस है।


बुक वैल्यू कैसे निकालते हैं?


बुक वैल्यू पर शेयर = (टोटल असेट्स - इनटेंजिबल असेट्स - टोटल लायबिलिटीज) / नंबर ऑफ आउटस्टैंडिंग शेयर्स।



किसी भी शेयर की मार्केट में चल रही वर्तमान की वैल्यू के बारे में जानने के लिए आप स्टॉक ट्रैकिंग वेबसाइट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको इसके लिए जरूरत होगी कंपनी की बैलेंस शीट की। जिसमें आप उस कंपनी की कुल संपत्ति, कुल दायित्व और आउटस्टैंडिंग शेयर्स की जानकारी हासिल कर सकते हैं। ज्यादातर इन्वेस्टमेंट वेबसाइट इस तरह की फाइनेंशियल रिपोर्ट्स एक "फाइनेंशियल" टैब का इस्तेमाल करते हुए दिखाती हैं जिसमें वे स्टॉक से जुड़ी सारी जानकारी संक्षिप्त रूप में बताते हैं।


P/B रेश्यो के उपयोग क्या है?

प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  किसी भी कंपनी की इक्विटी की कीमत को उसकी बुक वैल्यू की कीमत से किस तरह मार्केट में जोड़ा गया है उसे दर्शाता है। 


आप कैसे निर्धारित करते हैं कि कोई कंपनी ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड है?


-बहुत से निवेशक प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  को अपनी कीमत से कम पर मिलने वाले स्टॉक को ढूंढने के लिए इस्तेमाल करते हैं। अपनी कीमत से कम मूल्य पर मिलने वाले स्टॉक को खरीद कर वह अपने रिटर्न्स को बढ़ाने की कोशिश करते हैं ,जब मार्केट को यह पता चलता है कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है और वह उसके प्राइस को वहां पहुंचाती है जहां उसे होना चाहिए - ऐसा बड़े निवेशकों का विश्लेषण होता है।


कुछ निवेशकों का मानना है की प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  एक कंपनी के भविष्य में होने वाले कैश फ्लो को दर्शाने वाला मैट्रिक है। हालांकि, जब आप प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  की गणना करने के लिए इस्तेमाल होने वाली जानकारी को देखते हैं, जिसमें इन फैक्टर्स का इस्तेमाल किया गया है: 


-वह प्राइस जो निवेशक शेयर की खरीद के लिए अभी देने के लिए तैयार हैं।


-कंपनी द्वारा कितनी मात्रा में शेयर्स को इश्यू किया गया है।  


-कंपनी के पास्ट की बैलेंस शीट की जानकारी होती है। 


इसलिए इसका निष्कर्ष यह है कि यह रेशियो किसी भी तरह कंपनी का फ्यूचर कैश फ्लो ना तो प्रिडिक्ट कर सकता है और ना ही दर्शाता है।


प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो निवेशकों को किसी भी कंपनी में होने वाली अच्छी ग्रोथ के लिए एक रीजनेबल प्राइस पर अच्छा और वैल्युएबल रियलिटी चेक प्रदान करता है। प्राइस टू बुक रेश्यो यानी p/b ratio को एक सही और रिलाएबल ग्रोथ इंडिकेटर के तौर पर रिटर्न ऑन इक्विटी के साथ इवेलुएट किया जाता है। यदि प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  और रिटर्न ऑन इक्विटी के बीच बहुत ही ज्यादा मात्रा में डिस्क्रिपेंसीज है तो यह निवेशकों के लिए एक रेड फ्लैग दर्शाता है।


अपनी कीमत से बहुत ज्यादा मूल्य पर मिलने वाले स्टॉक्स अधिकतर एक कम रिटर्न ऑन इक्विटी और एक ज्यादा प्राइस टू बुक रेशों दिखाता है। जबकि, सही तरह से और प्रॉपर्ली वैल्यूड स्टॉक्स जो होते हैं उनके रिटर्न ऑन इक्विटी और प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  लगभग लगभग बराबर ही होते हैं और बराबरी से ग्रो करते हैं क्योंकि यह स्टॉक्स हायर रिटर्न्स को जनरेट करते हैं इसलिए निवेशकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं साथ ही इनकी मार्केट में डिमांड भी बढ़ जाती है जिसके कारण स्टॉक की मार्केट प्राइस भी बढ़ती है।


किसी भी कंपनी के स्टॉक का ज्यादा बड़ा प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो यह दिखाता है कि वह स्टॉप ओवरवैल्यूड यानी अपनी कीमत से ज्यादा मूल्य पर मिल रहा है, जबकि एक कम प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो यह दर्शाता है कि स्टॉक अपनी कीमत से कम पर मिल रहा है।


और जैसे कि बाकी रेश्योस को देखते हुए भी होता है हर इंडस्ट्री का अपना एक अलग प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  एवरेज हो सकता है। यदि किसी कंपनी को उसके सामान स्ट्रक्चर वाली और एक समान इंडस्ट्रीज में काम करने वाली कंपनी के साथ तुलना की जाए तो यह असरदार हो सकता है, नहीं तो तुलनात्मक परिणाम मिसलीडिंग भी हो सकते हैं।


एक अच्छा P/B ratio  क्या होता है?

एक अच्छा प्राइस टू बुक रेशियो के लिए कोई निर्धारित नंबर देना कठिन हो सकता है लेकिन अगर किसी स्टॉक को उसकी कीमत के अनुसार अंडरवैल्यू है या नहीं यह जानना हो उसमें यह काम करता है और एक अच्छा इन्वेस्टमेंट ढूंढने में मदद करता है। एक अच्छा प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  को जानने के लिए कुछ फैक्टर्स को ध्यान में रखना जरूरी है जैसे कंपनी की ग्रोथ का क्या पोटेंशियल है और पीबी रेश्यो की गणना सही तरीके से की गई हो।


pb ratio में अच्छी कीमत क्या है?


कई दशकों से प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  वैल्यू इन्वेस्टर्स की पहली पसंद रहा है और मार्केट एनालिस्ट द्वारा बहुत ही बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया गया है। ट्रेडिशनल वैल्यू इन्वेस्टर्स द्वारा पसंद की जाने वाली प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  की कीमत 1.0 जो किसी भी स्टॉक को उसकी कीमत से कम मूल्य पर मिलना दर्शाती है हालांकि कुछ वैल्यू इन्वेस्टर्स किसी कंपनी के अच्छे फंडामेंटल्स को देखते हुए ऐसे स्टॉक्स को भी कंसीडर करते हैं जिनमें पी वी वैल्यू 3.0 से कम हो।



इक्विटी मार्केट वैल्यू वर्सेस बुक वैल्यू 


अकाउंटिंग प्रोसीजर्स के कारण मार्केट वैल्यू किसी भी कंपनी के स्टॉक की उसके बुक वैल्यू की सिक्योरिटी से ज्यादा होती है जिसकी वजह से स्टॉक के प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  को 1.0 से बढ़त प्राप्त होती है हालांकि कम अर्निंग्स के समय पर एक कंपनी का प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो 1.0 के नीचे भी जा सकता है।


उदाहरण के लिए, ज्यादातर कम्पनियों में, अपने प्रोडक्ट और सर्विस से जुड़ी रिसर्च और डेवलपमेंट पर किए जाने वाले खर्च की वजह से, उनकी बुक वैल्यू कम हो जाती है क्योंकि बुक वैल्यू की गणना में बैलेंस शीट में आने वाले खर्च भी शामिल होते हैं। 


हालांकि, यह रिसर्च और डेवलपमेंट आउटलेट किसी भी कंपनी के यूनिक प्रोडक्शन प्रोसेस को बना सकते हैं जिसका परिणाम उसमें नए पेटेंट्स द्वारा रॉयल्टी इनकम को बढ़ाना साबित हो सकता है। जबकि रिसर्च और डेवलपमेंट की कोशिशों को ध्यान में रखते हुए मार्केट पार्टिसिपेंट्स स्टॉक की प्राइस को बढ़ा सकते हैं 

जिसकी वजह से मार्केट वैल्यू और बुक वैल्यू में बहुत ज्यादा अंतर आ सकता है।


प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो का इस्तेमाल कैसे करें उदाहरण से समझें:


उदाहरण से Price to Book (P/B) ratio की गणना समझें:


मान लें कि एक कंपनी ABC की फाइनेंशियल रिपोर्ट्स  के अनुसार, 

ABC कंपनी की टैंगिबल एसेट्स 100 करोड़ रुपये की है। 


अब, यदि ABC कंपनी के बाजार में 50 करोड़ रुपये के मूल्य के शेयर मिल रहे हैं, तो हम P/B अनुपात की गणना कर सकते हैं।


P/B अनुपात = बाजार की मूल्य / पूंजी की मूल्य


यहां, बाजार की मूल्य = 50 करोड़ रुपये

और पूंजी की मूल्य = 100 करोड़ रुपये


P/B अनुपात = 50 करोड़ रुपये / 100 करोड़ रुपये = 0.5


इसका मतलब, ABC कंपनी का P/B अनुपात 0.5 होगा। तो, इसका यह मतलब है कि कंपनी की बुक वैल्यू कंपनी के मूल्य के समान है और कंपनी की मार्केट वैल्यू , उसकी बुक वैल्यू से कम है।


कम्पनी की Book Value और PB Ratio से जानें उसके बारे में खास बातें


किसी भी कंपनी में उसके शेयर की book value और pb ratio, यह दोनों बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं जिनकी मदद से एक निवेशक कंपनी के स्टॉक की सही कीमतों का आंकलन कर सकता है। Book value एक कंपनी की कुल संपत्तियों में से उसकी कुल देनदारियों को घटा कर निकाली जाती है और p/b ratio को निकालने के लिए आपको कंपनी के मार्केट प्राइस पर शेयर को उसकी बुक वैल्यू से डिवाइड करना पड़ता है।


Book value (बुक वैल्यू) क्या होती है:


Book value (बुक वैल्यू) एक कंपनी की कुल संपत्तियों के आधार पर उसके मूल्य को दर्शाती है, जो कंपनी की (लायबिलिटी) देनदारियों को संपत्तियों में से घटाकर निकाली जा सकती है। किसी भी कंपनी की बुक वैल्यू उसकी वित्तीय स्थिति को दिखाती है। जिस कंपनी की बुक वैल्यू हाई (ज्यादा) होती है,वह कंपनी की मजबूत वित्तीय स्थिति को दर्शाती है, जबकि कम बुक वैल्यू कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति का कमजोर होना दर्शाती है।


P/b ratio (पीबी रेश्यो) क्या होता है:


PB ratio निकालने के लिए कंपनी के शेयर की मार्केट प्राइस को उसकी बुक वैल्यू से डिवाइड किया जाता है। किसी भी कंपनी का pb ratio उसकी कीमत को दर्शाता है। अगर एक कंपनी का पीबी रेश्यो हाई है, तो वह अपने उचित मूल्य से महंगी है और अगर उसका पीबी रेश्यो कम है तो वह सस्ती है। एक आदर्श पीबी रेश्यो 1.0 को माना गया है, हालांकि कुछ वैल्यू इन्वेस्टर्स द्वारा किसी अच्छी ग्रोथ पोटेंशियल वाली कंपनी का शेयर 3.0 के pb ratio पर भी लेना देखा गया है।



Book value और PB ratio के उपयोग से एक निवेशक किसी भी कंपनी के सही मूल्य यानी प्राइस का आंकलन कर सकता है और यह जान सकता है की वह कंपनी उसके निवेश के लिए एक अच्छा विकल्प साबित होगी या नहीं। 


Book value और PB ratio आपको किसी भी कंपनी के बारे में क्या जानकारी देते हैं:


  • इनकी मदद से आप एक कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ के बारे में जान सकते हैं, की कंपनी मजबूत है की नही।
  • कंपनी का सही और उचित प्राइस क्या है, यह भी जान सकते हैं।
  • कंपनी में ग्रोथ होने की क्या संभावनाएं हैं।
  • किसी भी कंपनी के एवरेज book value और पीबी रेश्यो की तुलना करें।
  • कंपनी के pb ratio और book value में होने वाले बदलाव की हिस्ट्री को चेक करें।
  • कंपनी की फाइनेंशियल रिपोर्ट्स और दूसरे फैक्टर्स को भी जांचें।
  • कंपनी में किस प्रकार के और क्या क्या जोखिम हैं।


अगर आप भी निवेशक हैं, या बनने की सोच रहे हैं तो आपको कंपनी की रिसर्च के लिए उसकी book value और pb ratio को ध्यान में रखते हुए यह तय करना चाहिए कि कंपनी में निवेश करना एक अच्छा विकल्प है या नहीं, हालांकि इनके साथ आपको कुछ और भी फाइनेंशियल मैट्रिक्स की जांच करना होगी, सिर्फ इनके आधार पर आप अपना निवेश नहीं कर सकते हैं।

 

प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो की सीमाएं / Limitations of Price-to-book (P/B) Ratio:


निवेशकों को प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो उपयोगी इसलिए लगता है क्योंकि उन्हें इक्विटी की बुक वैल्यू से स्टेबल और अनुमानित माप मिलता है जिसकी वे आसानी से मार्केट प्राइस से तुलना कर सकते हैं। प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो का इस्तेमाल उन फर्म्स के लिए भी हो सकता है जिनकी बुक वैल्यू पॉजिटिव में हो और अर्निंग्स नेगेटिव में क्योंकि नेगेटिव अर्निंग्स प्राइस टू अर्निंग रेशों पर कोई असर नहीं डालते हैं और ऐसी बहुत ही कम कंपनीयां हैं जिनमें बुक वैल्यू नेगेटिव हो बजाय कंपनी की अर्निंग्स नेगेटिव होने के।


-इसके साथ ही प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो सर्विस और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनीज के केस में बहुत ही कम उपयोगी माना जाता है क्योंकि उनके बैलेंस शीट में बहुत ही कम टेंजिबल एसेट्स होती हैं। 


क्या pb ratio नेगेटिव हो सकता है?


-किसी भी कंपनी की लगातार होने वाली नेगेटिव अर्निंग्स यानी अगर कोई कंपनी लगातार लॉस में जा रही है तो इसका असर उसकी बुक वैल्यू पर पड़ता है जिससे बुक वैल्यू भी नेगेटिव हो जाती है जो प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो को एक अनुपयोगी माप बना देती है।


निवेशकों को निवेश करने से पहले प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो के साथ ही और अन्य मेजर्स को भी ध्यान में रखना चाहिए और विश्लेषण कर लेना चाहिए जिससे उन्हें सही स्टॉक के चुनाव में मदद मिले और वे अपने रिटर्न्स को बढ़ा सकें।



प्राइस टू बुक रेश्यो की तुलना किससे होती है? 

प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो दुनियाभर के फाइनेंशियल रेश्योस में से सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले रेश्योस में से एक है। इसकी जांच करने के लिए किसी भी शेयर की मार्केट वैल्यू को उसकी बुक वैल्यू से तुलना की जाती है। जिन कंपनीयों में अच्छी ग्रोथ होने की संभावना होती है , वह प्राइस टू बुक रेश्यो 1.0 या उससे अधिक दर्शाती हैं, जबकि वित्तीय समस्याओं का सामना करने वाली कंपनी 1.0 से कम प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो दिखा सकती हैं।



प्राइस टू बुक रेश्यो क्यों महत्वपूर्ण है?


प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो देखना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निवेशकों को किसी भी कंपनी के मार्केट प्राइस को उसकी बैलेंस शीट के आधार पर विश्लेषण करके उसके स्टॉक की कीमत को  समझने में मदद करता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई कंपनी बहुत ही ज्यादा प्राइस टू बुक रेश्यो दिखा रही है, तो निवेशकों को उस कंपनी के वैल्यूएशन को किसी दूसरे मेजर से चेक करना चाहिए जैसे कि उसकी रिटर्न ऑन असेट्स या अर्निंग पर शेयर में होने वाली ग्रोथ।



गुड प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो क्या होता है?

एक अच्छा प्राइस टू बुक रेश्यो को काउंट करने के लिए, निवेशक को कंपनी की वैल्यूएशन निकालनी होती है, वैल्यूएशन को निकालने के लिए निवेशक प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो  की जांच करता है लेकिन निवेशक को प्राइस टू बुक रेश्यो देखने के लिए कंपनी के सेक्टर की भी जांच करनी होती है जिससे कंपनी की सही वैल्यूएशन का पता लगाया जा सके क्योंकि विभिन्न तरह के सेक्टर में प्राइस टू बुक रेश्यो का आकलन अलग अलग हो सकता है। हर सेक्टर के हिसाब से कंपनी के प्राइस टू बुक रेश्यो देखा जाता है फिर कंपनी की सही वैल्यूएशन के बारे में अनुमान लगाया जाता है।


प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो एक नज़र में,

प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो निवेशकों के लिए एक कंपनी की वैल्यूएशन नापने का बहुत अच्छा टूल है, जिसकी सहायता से निवेशक किसी भी कंपनी के शेयर की सही कीमत का पता लगाते हैं। प्राइस टू बुक (P/B) रेश्यो यह दर्शाता है कि कंपनी का शेयर का प्राइस ओवर वैल्यू है या नहीं है। एक वैल्यू इन्वेस्टर 1.0 की वैल्यू के पीबी रेश्यो को अच्छा मानते हैं कि कंपनी का स्टॉक ओवरवैल्यूड नहीं है और इससे ज्यादा का रेशियो होने पर कंपनी का शेयर अपनी कीमत से ज्यादा पर ट्रेड कर रहा होता है। लेकिन कुछ स्टॉक के बिजनेस मॉडल और फ्यूचर ग्रोथ के कारण इससे ज्यादा पीबी रेश्यो के स्टॉक भी निवेशक खरीदते हैं क्योंकि कंपनी क्या भविष्य में अच्छे परफॉर्मेंस की उम्मीद के कारण निवेशक शेयर को ओवरवैल्यूड प्राइस पर भी खरीद लेते हैं।


p/b ratio meaning in hindi FAQs:


PB ratio कितना होना चाहिए?


प्रोफेशनल निवेशकों द्वारा 1.0 को एक अच्छा P/B रेश्यो के रूप में देखा जाता है, हालांकि कुछ निवेशक 3.0 से नीचे को भी उपयोग करते हैं।


एक अच्छा पीई और पीबी अनुपात क्या है?


प्रोफेशनल निवेशकों द्वारा एक अच्छा P/E रेश्यो 20 से 25 के बीच माना जाता है, इससे कम होने पर एक अच्छा निवेश और ज्यादा होने पर बुरा pe रेश्यो समझा जाता है। जबकि, P/B ratio 1.0 को अच्छा समझा जाता है, हालांकि कुछ निवेशक 3.0 से कम होने पर भी इसे अच्छा समझते हैं।


शेयर मार्केट में PB क्या है?


शेयर मार्केट में P/B Ratio एक निवेशक को कंपनी के स्टॉक की सही कीमत का पता लगाने में मदद करता है जैसे, स्टॉक अंडरवैल्यूड है या ओवरवैल्यूड। किसी स्टॉक का पीबी रेश्यो अगर 1.0 है, तो वह अपनी सही कीमत से कम भाव पर मिल रहा है और अगर किसी स्टॉक का पीबी रेश्यो 3.0 से अधिक है, तो ऐसे में वैल्यू इन्वेस्टर्स निवेश करने से बचते हैं क्योंकि यह अपनी कीमत से बहुत ज्यादा पर मिल रहा होता है।


पीबी अनुपात क्या दर्शाता है?


पीबी रेश्यो (P/B ratio) एक निवेशक को बताता है:


1.कंपनी में अच्छी ग्रोथ होने के अवसर,

2.कंपनी के शेयर की खरीद का सही समय,

3.कंपनी के शेयर की खरीद के लिए सही कीमत,

4.कंपनी का red flag यानी अगर कंपनी के शेयर का pb ratio और ROE में बहुत ज्यादा अंतर है तो यह निवेशकों को रेड फ्लैग यानी किसी गड़बड़ का होना बताता है।




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