Asset kya hota hai | एसेट क्या होता है

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Asset kya hota hai | एसेट क्या होता है 

By Javed / July ' 06,2023:


एसेट का मतलब संपत्ति होता है, इसके विभिन्न प्रकार हो सकते हैं जैसे नगद, कैश, जमीन, प्लॉट, मकान, इक्विटी शेयर और इस प्रकार की वस्तु जिसकी वैल्यू हमेशा बढ़ती हो या फिर वह वस्तु से हमेशा कोई आमदनी होती हो।

कोई भी व्यक्ति कितना धनवान है, यह उसके पास जो एसेट है उनकी वर्तमान समय में कितनी वैल्यू है यह उसके आधार पर तय होता है व्यक्ति कितना धनवान है।

आम व्यक्ति हो या कोई कंपनी वह अपनी कमाई बढ़ाकर अपना प्रॉफिट बढ़ाता है और अपने लिए ज्यादा से ज्यादा एसेट खरीदते हैं जिससे वह खुद को समय के साथ फाइनेंशियली ग्रो कर सकें। व्यक्ति एसेट खरीदकर खुदको ज्यादा अमीर बनाता है और कंपनी खुदको छोटे से बड़ा बनाती है।

एसेट की वैल्यू होती है, जैसे कोई व्यक्ति अपनी आमदनी से बचत करके खुद के लिए गोल्ड, स्टॉक, म्यूचुअल फंड, प्लॉट या मकान खरीदता है और इन एसेट की समय के साथ वैल्यू भी बढ़ती हो, और डिविडेंड, रेंट के रूप में आमदनी होती हो तो यह एक अच्छा एसेट हो सकता है व्यक्ति के लिए।


एसेट क्या होता है/Asset kya hota hai

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| शीर्षक | एसेट क्या होता है/Asset kya hota hai  |


| श्रेणी | बिज़नस |


| विवरण | एसेट क्या होता है, एसेट के प्रकार  |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत |



एसेट का मतलब क्या होता है?


एसेट का मतलब संपत्ति होता है। संपत्ति जैसे सोना, चांदी, प्रॉपर्टी, कैश आदि एसेट होते हैं, जिनकी वैल्यू होती है और हर अमीर आदमी अपने कमाए गए धन से अपने लिए संपत्ति खरीदता है, जिसे निवेश कहा जाता है।


एसेट अलग अलग प्रकार के होते हैं जिनका विवरण आपको आगे लेख में पढ़ने को मिलेगा। आदमी की अमीरी उसके पास मौजूद एसेट से नापी जाती है की वह कितना धनी है।


एसेट का बढ़ाना ही खुद को धनवान बनाना है। अगर आप एसेट के बारे में कम समझ रखते हैं तो आपको रॉबर्ट केयोस्की की किताब रिच डैड पूअर डैड ज़रूर पढ़ना चाहिए, जिससे आपको एसेट का महत्व समझ आएगा।


अगर कोई व्यक्ति अपने लिए शेयर, बॉन्ड्स, गोल्ड, सिल्वर, रियल एस्टेट खरीदता है तो वह अपने लिए एसेट खरीद रहा है और अपने कमाए हुए धन का सही वस्तु खरीदने में लगा रहा है। वह समय के साथ जितना संपत्ति खरीदेगा वह उतना अमीर होता चला जाएगा।


व्यक्ति चाहे कोई भी हो चाहे अमीर हो या गरीब हो उसके पास कुछ एसेट तो होते हैं। जैसे थोड़ा सोना, चांदी, कैश, जमीन जैसे एसेट आपको आम व्यक्ति के पास भी मिल जायेगी और जो वित्तीय समझ रखने वाले लोग होते हैं वह शेयर, बॉन्ड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़, कमर्शियल प्रॉपर्टी, रेंटल प्रॉपर्टी जैसे एसेट्स अपने लिए ज्यादा खरीदते हैं।


एसेट और लाइबिलिटी में क्या अंतर है:


अगर कोई व्यक्ति खुद को धनवान बनाना चाहता है तो उसे सबसे पहले एसेट और लाइबिलिटी के बीच का अंतर अच्छे से पता होना चाहिए। लेख में आप पहले हो पढ़ चुके हैं की जिसके पास जितने ज्यादा एसेट होंगे वह उतना अमीर व्यक्ति होगा।


एसेट वह हर वस्तु है जिसकी कोई वैल्यू हो और आपको कमाई देती हो। जबकि लायबिलिटी कहते हैं उस वस्तु को जो आप की जेब से धन खर्च करवाती हो। बस एसेट और लाइबिलिटी के बीच यही अंतर होता है।


उदाहरण:


एक व्यक्ति है वह सरकारी नौकरी करता है। उसे हर महीने ₹50 हजार सैलरी मिलती है, जिससे वह हर महीने अपने होम लोन की ईएमआई, कार की ईएमआई, और बहुत सी वस्तुएं जो उसने अपने लिए ईएमआई पर खरीदी हैं जैसे, घर का फर्नीचर, महंगा स्मार्ट फोन, वॉच जैसी चीजों पर खर्च करता है। तो वह अपने धन को लायबिलिटी खरीदने में खर्च कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह चीज़ें हर महीने उसकी जेब से रुपए निकाल रही हैं।


दूसरी ओर एक व्यक्ति है जो प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है, उसकी सैलरी ₹30 हज़ार है लेकिन उसके पास वित्तीय समझ है। उसे एसेट और लाइबिलिटी में अंतर पता है। वह अपने कमाए धन को अच्छे से मैनेज करता है, उसके पास अपना घर नहीं है, वह रेंट पर रहता है, ऑफिस जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करता है। वह सिर्फ अपनी जरूरी चीजों पर ही रुपए खर्च करता है, वह हमेशा रुपए की बचत करने पर और अपनी कमाई को बढ़ाने पर फोकस करता है, वह हर महीने रुपए बचाता है, और रुपए को सही एसेट खरीदने पर खर्च करता है। 


उसके पास हेल्थ इंश्योरेंस, इमर्जेंसी फंड होता है। वह कुछ रुपए म्यूचुअल फंड में निवेश करता है, रिटायरमेंट प्लान के रूप में। थोड़े रुपए जमा करके अच्छे कंपनी के स्टॉक में निवेश भी करता है और अपने लिए गोल्ड में भी निवेश करता है। इस तरह वह अपने लिए एसेट खरीदता रहता है। 


दोनों व्यक्ति अलग काम करते हैं और दोनों की साइकोलॉजी अलग होती है इसलिए दोनों अपने धन को अपने हिसाब से खर्च करते हैं। देखने में पहला वाला धनी दिखता है लेकिन उसके पास एसेट नहीं होते हैं जबकि दूसरा दिखने में गरीब है लेकिन उसके पास एसेट्स हैं तो सही में दूसरा व्यक्ति धनवान है पहले की तुलना में।


एसेट क्या है और इसका क्या महत्व है आपको यह बात तो समझ आ गई होगी। अब आगे आप लेख में जानेंगे एसेट कितने प्रकार के होते हैं और एसेट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।


Asset meaning in hindi:


हिंदी: Asset = संपत्ति, परिसंपत्ति, परिसंपदा, पूंजी।


एसेट्स में क्या आता है:


एसेट कहते हैं संपत्ति को और हर कंपनी के पास अलग प्रकार के एसेट होने को, एसेट के रूप में कंपनी के पास इसके अलग प्रकार के एसेट हो सकते हैं।

फिजिकल प्रॉपर्टी:


फिजिकल प्रॉपर्टी के रूप में कंपनी के पास रियल एस्टेट जैसे जमीन, बिल्डिंग, फ्लैट, गाड़ियां, मशीनरी जैसे एसेट होते हैं।

फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स:


फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के रूप में स्टॉक्स, बॉन्ड्स, सिक्योरिटी जैसे एसेट्स होते हैं।

इंटेंजिबल प्रॉपर्टी: 


इंटेंजिबल प्रॉपर्टी कहते हैं ऐसी एसेट्स को जिन्हें देखा और छुआ नहीं जा सकता है। जैसे किसी कंपनी की ब्रांड वैल्यू हो या ट्रेडमार्क। पेटेंट जैसी चीजें भी एसेट होती हैं जो दिखाई नहीं देती लेकिन उसकी वैल्यू होती है।

बिजनेस एसेट:


किसी भी बिजनेस को चलाने के लिए उसमें लगने वाले मशीनरी, इन्वेंटरी, स्टॉक को बिजनेस एसेट कहा जाता है।

यह सब एसेट होते हैं, हमने कंपनी के उदाहरण से समझाया है।

किसी व्यक्ति के पास गोल्ड, कैश, स्टॉक्स, बॉन्ड्स, रियल एस्टेट के रूप में एसेट होते हैं।

एसेट कितने प्रकार के होते हैं:


एसेट 6 प्रकार के होते हैं, करेंट एसेट, फिक्स्ड, टैंजिबल, इंटेंजिबल, ऑपरेटिंग, नॉन ऑपरेटिंग के नाम से जाने जाते हैं।

यह 6 प्रकार के एसेट एक दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं और सबका अपना अलग महत्त्व होता है। सबका इस्तेमाल भी व्यापार में अलग अलग रूप से किया जा सकता है।

करेंट एसेट क्या होता है:


करेंट एसेट का इस्तेमाल एक साल के अंदर पड़ने वाली जरूरत के लिए किया जाता है, जिसे लिक्विड एसेट भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल पूरे साल भर जरूरत पर खर्च करने के लिए किया जाता है।


कैश, मार्केटेबल सिक्योरिटी, अकाउंट रिसाइवेबल्स, इन्वेंटरी, सप्लाइज, प्रीपेड खर्च और अन्य लिक्विड एसेट में करेंट एसेट होते हैं।

फिक्स्ड एसेट क्या होते हैं:


फिक्स्ड एसेट के रूप में बिल्डिंग और जमीन, मशीन, इक्विपमेंट्स, फर्नीचर, वाहन, इंटेंजिबल एसेट्स, लीज होल्ड में किए सौदे, इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सभी एसेट फिक्स्ड एसेट की सूची में आते हैं।

टैंजिबल एसेट क्या होते हैं:


टैंजिबल एसेट प्रॉपर्टी, बिल्डिंग, मशीन, इन्वेंटरी, कैश जैसे एसेट होते हैं। टैंजिबल एसेट को आसानी से देखा और छुआ जा सकता है।

इंटेंजिबल एसेट क्या होते हैं:


इंटेंजिबल एसेट को देखा और छुआ नहीं जा सकता है। इंटेंजिबल एसेट के रूप में कंपनी के पास उसके द्वारा कराए गए पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, ब्रांड वैल्यू, सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन, कंप्यूटर प्रोग्राम लाइसेंस, कॉन्ट्रैक्ट, एग्रीमेंट, लीज एग्रीमेंट जिन्हें इंटेंजिबल एसेट कहा जाता है।

ऑपरेटिंग एसेट क्या होते हैं:


ऑपरेटिंग एसेट कहते हैं अपने दिन के कामकाज और बिजनेस को चलाने के लिए इस्तेमाल होने वाला कैश और लिक्विडिटी को, जिससे कंपनी अपने सारे ऑपरेशन को चलाती है।

नॉन ऑपरेटिंग एसेट क्या होते हैं:


नॉन ऑपरेटिंग एसेट संपत्ति में निवेश, इक्विटी या बॉन्ड्स में निवेश को कहते हैं, यह एसेट एक निवेश होता है, इनका इस्तेमाल किसी भी रूप से नहीं किया जाता है, बस यह संपत्ति के रूप में होता है।


जरूरी बात:

एसेट और लाइबिलिटी के बीच का अंतर हर व्यक्ति को पता होना चाहिए। जब तक व्यक्ति एसेट और लाइबिलिटी में फर्क कर सकता है वह अपने कमाए गए धन को सही चीज खरीदने में उपयोग नहीं कर सकता है और जब तक वह अपने धन को गलत जगह खर्चा करेगा वह धनवान नही बन सकता।


आपको ऊपर दिए गए दो व्यक्तियों के उदाहरण से बात समझ आ गई होगी। आपको अपना समय, धन, एनर्जी अपने लिए एसेट बनाने में खर्च करनी चाहिए। अपने धन और समय को बेफिजूल जगह खर्च नही करना चाहिए। आपको अपने अंदर वित्तीय समझ विकसित करना चाहिए।


यह लेख के माध्यम से हमने जाना की एसेट क्या होते है,और कितने प्रकार के होते हैं कोई भी बिजनेस में एसेट का उपयोग किस माध्यम से किया जाता हैं, हम इस ब्लॉग पर बिजनेस,बचत,निवेश,और शेयर बाजार से जुड़ी जानकारी इस ब्लॉग पर लिखते है, ऐसी और जानकारी के लिए आप इस ब्लॉग को पुश 🔔 नोटिफिकेशन दबा कर अभी फॉलो करें जिस से आप को हमारे द्वारा लिखी महत्वपूर्ण जानकारियां समय पर मिलती रहें।


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लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद

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