Face value of share hindi/फेस वैल्यू क्या होता है

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Face value of share hindi/फेस वैल्यू क्या होता है

By Javed / July 17,2023:

एक स्टॉक की फेस वैल्यू, उसके शेयर की ओरिजनल प्राइस को दर्शाती है जिसे कंपनी के द्वारा शेयर्स को इश्यू करने के समय तय किया जाता है। कंपनी के शेयर्स की अकाउंटिंग और लीगल फॉर्मेलिटी उसकी फेस वैल्यू पर ही होती है। कंपनी के स्टॉक की फेस वैल्यू उसके फाइनेंशियल और शेयर कैपिटल के हिसाब से तय की जाती है।

फेस वैल्यू को एक शेयर की par value पर issue किया जाता है। हालांकि, जब आप स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदते या बेचते हैं तो उसकी ट्रेडिंग प्राइस उसकी फेस वैल्यू से अलग होती है, क्योंकि शेयर की मार्केट वैल्यू उसके मार्केट फोर्स, शेयर की बाजार में डिमांड और सप्लाई, कंपनी के प्रदर्शन और दूसरे वित्तीय यानी फाइनेंशियल फैक्टर से प्रभावित होकर घटती या बढ़ती है।

एक शेयर की मार्केट वैल्यू की वजह से उसकी शेयर प्राइस हमेशा ही बदलती रहती है, इसलिए निवेशक और ट्रेडर स्टॉक की शेयर प्राइस के मूवमेंट यानी चाल पर फोकस करते हैं।

Face value of share hindi/फेस वैल्यू क्या होता है


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| शीर्षक | Face value of share hindi/फेस वैल्यू क्या होता है  |


| श्रेणी | स्टॉक मार्केट |


| विवरण | Face value of share hindi/फेस वैल्यू क्या होता है/calculation/formula/ face value of share और book value में अंतर क्या होता है। 

| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत | 


फेस वैल्यू से जुड़े रोचक तथ्य:

  • एक कंपनी अपने स्टॉक की फेस वैल्यू को अपने हिसाब से तय कर सकती है, हालांकि फेस वैल्यू हमेशा फिक्स रहती है।
  • किसी भी स्टॉक की फेस वैल्यू का उसके मार्केट प्राइस से कोई ताल्लुक नहीं होता है।
  • फेस वैल्यू को par value के नाम से भी जाना जाता है। फेस वैल्यू को आप हिंदी भाषा में "अंकित मूल्य" और अंग्रेजी भाषा में "MRP" के नाम से भी जाना जाता है।
  • किसी भी स्टॉक की फेस वैल्यू ₹1,2,5,10 या अधिक से अधिक ₹100 तक तय की जा सकती है।
  • आप देखेंगे ज्यादातर स्टॉक्स की फेस वैल्यू ₹10 होती है।
  • कंपनी के स्टॉक की फेस वैल्यू तय करने के लिए SEBI द्वारा कोई नियम लागू नहीं किए गए हैं।

Face value क्या होती है, समझते हैं:

जब एक कंपनी की शुरुआत होती है और वह अपने शेयर जारी करती है, तो इस समय उसके शेयर जिस कीमत पर जारी करती है, वह face value कहलाती है। 

सरल भाषा में समझें तो, फेस वैल्यू एक शेयर की वह कीमत होती है जो उस पर अंकित की जाती है, इसलिए इसे हिंदी में अंकित मूल्य कहा जाता है।

Face value of share meaning in Hindi 

फेस वैल्यू को एक उदाहरण से समझते हैं:

अभी हाल ही में utkarsh small finance bank limited (UTKARSHBNK) का IPO जारी किया गया, जिसमें इसके एक शेयर की फेस वैल्यू ₹10 थी। हालांकि इसके एक शेयर की ओपन प्राइस या इश्यू प्राइस ₹23 - 25 रही थी।

इश्यू प्राइस = फेस वैल्यू + मार्केट प्रीमियम 

यानी, उत्कर्ष बैंक के एक शेयर की फेस वैल्यू ₹10 थी और premium जो एक कंपनी निवेश करने वाले निवेशकों से भुगतान करने को कहती है वह ₹13 - ₹15 है जिससे इसका इश्यू प्राइस ₹23 - ₹25 बना।

जैसा कि आपको तथ्यों में पता चल ही गया था कि कंपनी अपनी मर्जी से फेस वैल्यू तय कर सकती है, लेकिन एक शेयर की मार्केट प्रीमियम कंपनी की भविष्य में होने वाली ग्रोथ, मुनाफे और अच्छा प्रदर्शन करने पर तय होती है। जिस कारण फेस वैल्यू के ₹10 होने के बावजूद भी कंपनी अपने फ्यूचर प्रोस्पेक्ट्स के बलबूते पर उसमें निवेश करने वाले निवेशकों से ज्यादा प्राइस की मांग कर सकती है।

Face value कैसे निकालते हैं/ how to calculate face value of share :

जब भी कोई निवेशक या एनालिस्ट किसी कंपनी के स्टॉक का एनालिसिस करता है, जिससे वह उसमें निवेश करने का निर्णय ले सके, इसमें फेस वैल्यू का कोई खास महत्व नहीं होता है, क्योंकि जैसा हमने आपको बताया था कि ज्यादातर कंपनियां अपने शेयर की फेस वैल्यू ₹10 ही रखती हैं और अक्सर यह ₹1,2,5,10 या ज्यादा से ज्यादा ₹100 रखती हैं।

Face value of share formula:

फेस वैल्यू को निकालने के लिए यह फॉर्मूला का उपयोग किया जाता है:

फेस वैल्यू = इक्विटी शेयर कैपिटल / कुल आउटस्टैंडिंग शेयर्स 

Face value = equity share capital / no.of outstanding shares.

जिसमें,
इक्विटी शेयर कैपिटल कंपनी के MOA यानी मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में बताई गई ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल होती है।
आउटस्टैंडिंग शेयर्स कंपनी द्वारा इश्यू किए गए शेयर्स की संख्या होती है।

फेस वैल्यू कब और कैसे तय की जाती है:

एक स्टॉक की फेस वैल्यू को कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और शेयरहोल्डर्स के द्वारा तय किया जाता है। इस वैल्यू को कंपनी के इनकॉरपोरेशन डाक्यूमेंट्स जिसमें MOA और AOA* यानी आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में मेंशन किया जाता है।

* MOA और AOA में कंपनी के स्थापना और ऑपरेशन यानी कार्यप्रणाली के नियम और शर्तों को लिखा और बताया जाता है।

फेस वैल्यू को तय करते समय इन बातों का ध्यान रखा जाता है:

1. कैपिटल स्ट्रक्चर:

फेस वैल्यू तय करते समय , कंपनी की ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल , इक्विटी शेयर्स, प्रिफरेंस शेयर्स और डिबेंचर्स की एलोकेशन को देखा जाता है।

2. मार्केट कंडीशंस:

फेस वैल्यू को कंपनी के कंपटीटर और मार्केट में कैसी कंडीशंस चल रहीं हैं, इसके आधार पर भी तय किया जा सकता है।

3. लीगल कंसीडरेशंस:

फेस वैल्यू को कंपनी के लीगल यानी कानूनी रूपरेखा का ध्यान रखते हुए तय किया जाता है।

4. इन्वेस्टर का परसेप्शन।

Face value का महत्व/ significance of face value of share:


1. शेयर इश्यू करते समय :

जब कंपनी अपने शेयर्स को पब्लिक या प्राइवेट में ऑफर करती है, तब वह शेयर्स के फेस वैल्यू पर ही अलॉटमेंट करती है।

2. अकाउंटिंग के लिए :

फेस वैल्यू का इस्तेमाल कंपनी की बैलेंस शीट और अकाउंटिंग रिकॉर्ड्स में किया जाता है।

3. डिविडेंड की गणना के लिए :

डिविडेंड पेमेंट को तय करने के लिए फेस वैल्यू का रेफरेंस प्वाइंट के तौर पर उपयोग किया जाता है। हालांकि, डिविडेंड का कैलकुलेशन शेयर प्राइस के अनुसार होता है।
उदाहरण के लिए:
वेदांता ने 18/05/2023 को ₹18.50 का डिविडेंड देने की घोषणा की जो उसकी फेस वैल्यू का 1850% है, क्योंकि इसकी फेस वैल्यू ₹1 है।

4. लीगल फॉर्मेलिटी में:

स्टॉक की फेस वैल्यू को कंपनी के रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट्स, प्रॉस्पेक्टस, MOA, AOA और दूसरे कानूनी दस्तावेजों में दर्शाया जाता है।

5. वोटिंग का अधिकार:

कंपनी लॉ के अनुसार, शेयरहोल्डर्स को उनकी शेयर्स की शेयरहोल्डिंग और फेस वैल्यू के आधार पर वोट करने के अधिकार प्राप्त होते हैं।

6. मार्केट प्राइस से तुलना:

फेस वैल्यू और मार्केट प्राइस की तुलना करने से निवेशकों के परसेप्शन यानी उन्हें कंपनी के स्टॉक में कितना भरोसा है और शेयर का वैल्यूएशन के बारे में पता लगाया जा सकता है।

7. स्टॉक स्प्लिट के लिए:

जब एक कंपनी अपने शेयर्स स्प्लिट करने की घोषणा करती है तो स्प्लिट के रेश्यो यानी अनुपात से फेस वैल्यू में भी बदलाव होता है।
उदाहरण के लिए: 
Tata steel share face value ₹1 हो गई थी जब टाटा स्टील कंपनी ने स्टॉक स्प्लिट की घोषणा की जिसमें रेश्यो 1:10 होने पर स्टॉक की शेयर प्राइस ₹920 से ₹92 हो गई थी और फेस वैल्यू ₹10 से ₹1 रह गई।

Face value कितना होना चाहिए/ what is good face value of share:


फेस वैल्यू कितनी भी हो सकती है हालांकि ₹1, 2, 5, 10, 100 ही रहती है, सेबी द्वारा ₹1 से कम ना रखने का नियम है।

कोई भी कंपनी अपने शेयर की फेस वैल्यू अपने अनुसार तय करती है और इसका खास असर नहीं होता है इसलिए इसमें SEBI द्वारा कोई नियम लागू नहीं किया गया है और ना ही निवेशक या ट्रेडर्स इसका स्टॉक के फंडामेंटल एनालिसिस में उपयोग करते हैं।

क्या शेयर की फेस वैल्यू चेंज हो सकती है/ can face value of share increases:


वैसे तो शेयर की फेस वैल्यू फिक्स होती है लेकिन अगर कंपनी शेयर स्प्लिट करती है जैसा की हमने आपको इसके उपयोग और महत्व में tata steel के उदाहरण से समझाया, तो ऐसे केस में यह भी बदल जाती है। 

फेस वैल्यू और बुक वैल्यू में अंतर/Face value of share vs book value:


Face value :    


डिफाइन  :  फेस वैल्यू किसी भी कंपनी के IPO के लिए शेयर जारी करते समय तय की जाती है।

फॉर्मूला   :   फेस वैल्यू = इक्विटी शेयर कैपिटल / कुल                                                                 आउटस्टैंडिंग शेयर्स। 

चेंज       :  फेस वैल्यू में सिर्फ स्टॉक स्प्लिट की स्थिति में रेश्यो के अनुसार चेंज होता है, वरना यह फिक्स होती है।

उपयोग   :   फेस वैल्यू का इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के लिए कोई उपयोग नहीं है, इसलिए वे इसपर ध्यान नहीं देते हैं।


Book value


डिफाइन  :   बुक वैल्यू किसी भी कंपनी के शेयरहोल्डर्स को लिक्विडेशन के समय उनके शेयर होल्डिंग पर मिलने वाला शेयर का मूल्य होता है।

फॉर्मूला   :    टोटल असेट्स - टोटल लाइबिलिटी/                                                               आउटस्टैंडिंग शेयर्स।

चेंज        :    बुक वैल्यू नियमित रूप से बदलती रहती है।

उपयोग    :    बुक वैल्यू का उपयोग वैल्यू इन्वेस्टर्स द्वारा कंपनी के शेयर प्राइस को जस्टिफाई करने के लिए किया जाता है जिससे उन्हें पता चलता है कि स्टॉक अंडर वैल्यू है या ओवर वैल्यू है।

फेस वैल्यू कैसे चेक करें/ how to check face value of share:


अगर आप निवेशक या ट्रेडर हैं, वैसे तो इसकी जांच की आवश्यकता नहीं होती, अगर आपको देखना है तो इसके लिए आप कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में बैलेंस शीट चेक कर सकते हैं।

आप NSE की ऑफिशियल वेबसाईट पर भी कंपनी के प्रोफाइल में इसकी जांच कर सकते हैं।

क्या फेस वैल्यू एक रुपए से कम हो सकती है?


फेस वैल्यू SEBI द्वारा न्यूनतम ₹1 तय की गई है और यह इससे कम कोई कंपनी नही रख सकती है।

सारांश; face value meaning in hindi:


फेस वैल्यू किसी भी कंपनी के एक शेयर की पहले से निर्धारित कीमत होती है, जिसे कंपनी द्वारा IPO जारी करते समय तय किया जाता है।

फेस वैल्यू को हिंदी में "अंकित मूल्य" और इंग्लिश में par value और MRP भी कह सकते हैं।

face value meaning in hindi Faqs:


फेस वैल्यू कैसे किया जाता है?

फेस वैल्यू को हिंदी में अंकित मूल्य, जो किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर अंकित हो यानी उसकी MRP भी कहा जाता है। इसे उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए एक कंपनी है XYZ Ltd जिसने अपने शेयर जारी किए हैं तो इस समय वह शेयर को उसके फेस वैल्यू ₹10 पर जारी कर रही है मतलब एक शेयर की फेस वैल्यू ₹10 है।



वैल्यू कैसे निकाली जाती है?

एक कंपनी अपने स्टॉक की फेस वैल्यू को अपने हिसाब से तय कर सकती है, हालांकि फेस वैल्यू हमेशा फिक्स रहती है।


म्यूचुअल फंड का फेस वैल्यू कैसे पता करते हैं?

म्यूचुअल फंड में फंड्स की एक यूनिट की कीमत बताने के लिए फेस वैल्यू का इस्तेमाल होता है। उदाहरण के लिए, abc म्यूचुअल फंड अपने ipo में एक यूनिट की फेस वैल्यू ₹10 है और आप 100 यूनिट खरीद रहे हैं तो इसकी कीमत होगी ₹10 × 100यूनिट्स = ₹1,000।



फेस वैल्यू को हिंदी में क्या कहते हैं?

एक कंपनी के आईपीओ जारी होने के समय उसके प्रति शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। फेस वैल्यू को हिंदी में शेयर वैल्यू, अंकित मूल्य और MRP कहा जाता है।



शेयर मार्केट में फेस वैल्यू का क्या मतलब होता है?

Face Value: फेस वैल्यू एक फाइनेंशियल टर्म है, जिसका उपयोग शेयर बाजार में कंपनी के आईपीओ जारी करने पर उसके प्रति शेयर के भाव को तय करने के लिए होता है। हालांकि, बाद में इसका कोई खास महत्व नहीं होता। हर कंपनी अपने शेयर की फेस वैल्यू, ₹1,2,5,10, या अधिक से अधिक ₹100 रखती है।



शेयर का बुक वैल्यू क्या है?


एक कंपनी की बुक वैल्यू निकालने के लिए उसकी कुल एसेट्स में से कुल लायबिलिटी को घटाया जाता है। इसका उपयोग शरेधारकों को कंपनी के लिक्विडिफिकेशन के समय उनके शेयर की संख्या से गुणा कर कीमत चुकाने के लिए किया जाता है।



क्या होगा अगर बुक वैल्यू शेयर प्राइस से ज्यादा है?

जब किसी स्टॉक की बुक वैल्यू उसके शेयर प्राइस से ज्यादा होती है तो यह निवेशक को संकेत देता है की स्टॉक अंडरवैल्यूड है मतलब अपने उचित मूल्य से कम पर ट्रेड हो रहा है। 



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