Networth kya hoti hai | नेटवर्थ क्या होती है

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Networth kya hoti hai | नेटवर्थ क्या होती है

By Javed / July 25,2023:

नेटवर्थ किसी भी कंपनी या इंडिविजुअल की कुल संपत्ति होती है। जैसे की जिस के पास जितने ज्यादा और कीमती एसेट हों, उसकी उतनी ज्यादा नेटवर्थ होती है। नेटवर्थ की गणना एसेट और लाइबिलिटी के अंतर से नापी जाती है।

एसेट कहते हैं, कैश, जमीन, उपयोगी इक्विपमेंट, गोल्ड, ज्वैलरी, जैसी चीजों को। और लाइबिलिटी कहते हैं मॉर्टगेज, लोन, डेट, किसी भी तरह के उधार मतलब देनदारी को।

यह लेख में हमने नेटवर्थ से जुड़ी जानकारी आपके साथ सांझा की है।

Networth kya hoti hai | नेटवर्थ क्या होती है

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| शीर्षक | Networth kya hoti hai | नेटवर्थ क्या होती है  |


| श्रेणी | बिजनेस |


| विवरण | नेटवर्थ क्या होती है , नेटवर्थ की गणना कैसे की जाती है |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत |


Networth का मतलब क्या होता है:


नेटवर्थ कंपनी या व्यक्ति की कुल संपत्ति होती है। इसे व्यक्ति या कंपनी की कुल संपत्तियों में से उसकी देनदारियों को घटाकर आसानी से निकाला जा सकता है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी के पास कुल संपत्तियां ₹50 लाख की हैं और उसके ऊपर कर्ज़ ₹25 लाख है, 
तो ₹50 लाख संपत्ति में से ₹25 लाख की देनदारियों को घटाया जाए, तो ₹25 लाख की रकम बचेगी, इसका मतलब उसकी नेटवर्थ ₹25 लाख है, और इसके विपरीत अगर व्यक्ति के पास ₹50 लाख की संपत्ति है और ₹50 लाख कर्ज़ भी है, तो उसकी नेटवर्थ 0 होगी।

नेटवर्थ की गणना कैसे की जाती है:


कोई व्यक्ति या कंपनी कितना धनी है, यह उसकी नेटवर्थ ही बताती है, अगर कोई व्यक्ति अच्छा बिजनेस करता है और धन कमाता है और सारा धन वह अपनी देनदारी में खर्च करता है, उसके पास एसेट से ज्यादा देनदारी है, तो वह धनवान नहीं है, क्योंकि उसके पास एसेट की मात्रा कम है, उसकी नेटवर्थ 0 है।

दूसरी तरफ, कोई अच्छा बिजनेस करता है और धन कमाता है और वह एसेट खरीदता है और कर्ज़ से बचाता है, उसके पास एसेट ज्यादा है, लायबिलिटी के मुकाबले, तो वह धनवान है, क्योंकि उसके पास एसेट मतलब संपत्ति है।

कंपनी की नेटवर्थ (networth) क्या होती है:


जैसे एक कंपनी कोई प्रोडक्ट को बनाती है और उसके पास फैक्ट्री की जमीन है, प्रोडक्ट को बनाने के लिए, बहुत सी मशीनें हैं, जिनकी कीमत बहुत ज्यादा है और कंपनी का अपनी कमाई से खर्च कम है, साथ ही कंपनी का मैनेजमेंट अच्छा है, वह अपनी देनदारी समय पर चुकाता है और अपनी सेल्स और प्रॉफिट को बढ़ा रहा है। उनके पास पर्याप्त कैशफ्लो रहता है, तो कंपनी के ऊपर कर्ज कम और संपत्तियां ज्यादा हैं तो कंपनी की सारी एसेट की वैल्यू में से उसकी देनदारी की कीमत को घटाकर जो एसेट की वैल्यू होगी, वह उस कंपनी की नेटवर्थ होगी।

उदाहरण के लिए, मान लें एक कंपनी XYZ है, जिसकी कुल एसेट ₹100 करोड़ है, और उसके पास ₹25 करोड़ की जमीन, और ₹25 करोड़ की मशीनें हैं, जो उसकी एसेट हैं। कंपनी के पास ₹50 करोड़ कैश है, जिससे वह कंपनी की सारी गतिविधियां करती है जिसमें सैलरी का भुगतान, टैक्स का भुगतान, और अन्य जरूरी खर्च करती है, कंपनी को किसी भी तरह के डेट मतलब कर्ज की जरूरत नहीं, कंपनी के मैनेजमेंट के पास पर्याप्त कैशफ्लो है, जरूरी सामान और कुछ अन्य जरूरत हैं जैसे बकाया है, उदाहरण के लिए वह रकम ₹25 लाख है, तो कंपनी की नेटवर्थ ₹75 करोड़ होगी।

अगर इसी प्रकार कंपनी के ऊपर एसेट से ज्यादा देनदारी हो तो कंपनी की स्थिति बहुत खराब है। कंपनी कर्ज़ में है, उसके पास एसेट तो हैं, लेकिन उसकी वैल्यू से अधिक उसपर कर्ज़ है।

किसी भी कंपनी के ऊपर कितना कर्ज़ है इसको डेट टू इक्विटी रेश्यो से जांचा जा सकता है, एक अच्छा डेट टू इक्विटी रेश्यो 2:1 को माना जाता है जिसमें कंपनी के पास अपने कर्ज़ की कीमत से दोगुनी संपातियां होती हैं।

आम व्यक्ति की नेटवर्थ क्या होती है:


आम व्यक्ति की नेटवर्थ, अगर कोई व्यक्ति कहीं नौकरी करता है और उसकी सैलरी ₹20,000 है और उसके पास खुद का मकान है, जिसपर किसी प्रकार का कोई लोन नहीं है, इसके साथ ही उसके पास कुछ गोल्ड भी ज्वैलरी के रूप में है। व्यक्ति अपनी कमाई से कम कर्ज रखता हेयर वह क्रेडिट कार्ड , लोन नहीं लेता है और कमाई से बचाकर थोड़ी राशि रिटायरमेंट प्लान में डालता है, म्यूचुअल फंड या एनपीएस जैसी स्कीम्स में निवेश करता है। तो उस व्यक्ति की नेटवर्थ उसके मकान, और गोल्ड, रिटायरमेंट प्लान में जमा राशि की कुल वैल्यू होगी।

जैसे मान लें की , मकान ₹20 लाख, गोल्ड ₹2 लाख और प्लान में जमा राशि ₹5 लाख है, तो उसकी नेटवर्थ ₹27 लाख होगी।

व्यक्ति के ऊपर कर्ज नहीं है क्योंकि वह लोन लेता ही नही है।

Small business networth kya hoti hai:


अगर कोई व्यक्ति अपना छोटा व्यवसाय मतलब स्मॉल बिजनेस करता है। मान लीजिए कि वह एक रेस्टोरेंट चलाता है, किसी से दुकान किराए पर लेकर। उसमें रेस्टोरेंट खोलने से पहले जरूरत का सामान खरीदे जैसे, फर्नीचर, किचन का सामान फ्रिज, और अन्य जरूरत के सामान। फिर उसमे अपना बिजनेस शुरू करेगा। तो जो चीजें उसने बिजनेस चलाने के लिए खरीदी हैं वह उसकी एसेट हैं, जिसकी कीमत बढ़ भी सकती है और कम भी हो सकती है।

व्यक्ति ने अपने बिजनेस चलाने के लिए लोन लिया है और व्यवसाय पर कुछ नौकर भी रखे हैं जिन्हें वह तनख्वाह देता है और उसी बिजनेस से होनेवाली आय से उसे अपने और अपने घरवालों के खर्च भी चलाने हैं।

अब मान लीजिए, की व्यक्ति को इस बिजनेस से हर महीने ₹1 लाख रूपए इनकम होती है, जिसमें से ₹10 हज़ार दुकान का किराया, 5 कर्मचारियों की तनख्वाह ₹5000 एक व्यक्ति के हिसाब से ₹25,000 तनख्वाह देना, और बिजली बिल, ट्रांसपोर्ट और अन्य खर्च घटा कर उसके पास ₹20,000 बचता है और वह रकम भी उसे अपने और अपने परिवार के खर्चों में खत्म कर देता है जिससे उसके पास कुछ भी नही बचता है।

उसके पास खुद का घर है और सेविंग या किसी अन्य प्रकार की कोई प्लान में निवेश नहीं किया है। इसका मतलब व्यक्ति के पास जो स्मॉल बिजनेस चला रहा है, उसके पास एसेट के रूप में वह सामान है जो उसने बिजनेस चलाने के लिए खरीदा है।

मकान तो व्यक्ति की निजी संपत्ति है और दुकान किराए पर है,
अगर दुकान खुद की होती तो वह एसेट होती, कैश होता तो एसेट होता, उसके बिजनेस की नेटवर्थ सिर्फ उसके पास जो सामान है उसकी वैल्यू के बराबर है जो उसके स्मॉल बिजनेस की नेटवर्थ है।

नेटवर्थ कैसे बढ़ाएं:


अगर आप अपनी नेटवर्थ बढ़ाना चाहते हैं तो आपको धन के प्रति जागरूक होना होगा, आप कितना इनकम कमाते हैं, अपने कमाई के पैसों को कहां खर्च करते हैं, कितना कर्ज़ लेते हैं, आपके पास कितनी संपत्ति मौजूद है, इन सब को आपको ट्रैक करना चाहिए।

नेटवर्थ के लिए कुछ सवाल खुद से पूछें:


  • मैं कितना कमाता हूं?
  • क्या मैं कमाई से ज्यादा खर्च करता हूं?
  • मैं क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कितना करता हूं?
  • मैं अपनी कमाई का कितना हिस्सा लोन की emi में देता हूं?
  • मैं अपनी कमाई का कितना हिस्सा इन्वेस्ट करता हूं?
  • मेरे पास कितनी संपत्ति है?
  • मेरे ऊपर कितना कर्ज़ है?

इसे आपको आपकी वर्तमान फाइनेंशियल स्थिति के बारे में पता चलेगा। 

आपको अपनी संपत्ति को बढ़ाना है, और कर्ज़ और देनदारी को कम करना है, क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन लेने से बचना होगा और ज्यादा निवेश अपनी संपत्ति खरीदने में, आपको एसेट और लाइबिलिटी के बीच के अंतर का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और अपने लिए ज्यादा एसेट खरीदना चाहिए जिससे आपकी नेटवर्थ बढ़े और आप धनवान बनें।


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लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद
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