revenue kya hota hai | रेवेन्यू क्या होता है

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Revenue kya hota hai| रेवेन्यू क्या होता है 

By Javed / July 29,2023:

रेवेन्यू का मतलब होता है राजस्व। रेवेन्यू कहते हैं, वस्तु बेचकर या सर्विस प्रदान करके या कोई अन्य तरीके से की गई कमाई को। जब कोई कंपनी या बिजनेसमैन अपने द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को बेचता है या फिर सर्विस प्रदान करता है, तो उसे उस सर्विस या प्रोडक्ट को बेचकर जो राशि प्राप्त होती है, उसे रेवेन्यू कहा जाता है।

Renenue kya hota hai | रेवेन्यू क्या होता है

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| शीर्षक | Renenue kya hota hai | रेवेन्यू क्या होता है  |


| श्रेणी | बिजनेस |


| विवरण | रेवेन्यू क्या होता है, Revenue importance, revenue example, types of revenue, revenue formula |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत |


Revenue kya hai | रेवेन्यू क्या है:


रेवेन्यू अलग आय के स्त्रोत से प्राप्त हो सकता है, जैसे, संचालन आय, गैर संचालन आय, अवर्तक आय, गैर अवर्तक आय से कंपनी अपना रेवेन्यू उत्पन्न करती हो। रेवेन्यू सिर्फ वह आय होती है जो प्रोडक्ट बेचकर या सर्विस देकर कमाई गई हो। यह केवल आमदनी है, लाभ नहीं। लाभ कहते हैं कुल कमाई से सारे खर्च पूरे होने के बाद जो रकम बचती है।

Revenue example उदाहरण से समझते हैं:


जैसे कोई कंपनी अपना कोई प्रोडक्ट ₹100 में बेचती है, एक प्रोडक्ट की कीमत ₹100 है। कंपनी एक महीने में 5000 प्रोडक्ट को बेचती है, उसे जितनी राशि प्रोडक्ट बेचकर प्राप्त होगी, वह कंपनी के एक महीने का रेवेन्यू होगा।

जैसे कंपनी के प्रोडक्ट की कीमत है ₹100 और वह 5000 प्रोडक्ट बेचती है, तो,

₹100 × 5000 = ₹5,00,000 

कंपनी का एक महीने का कुल रेवेन्यू ₹5 लाख होगा।

Revenue मतलब राजस्व किसी भी कंपनी के वित्तीय मामलों में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी कंपनी के फाइनेंशियल की जांच करते समय कंपनी के रेवेन्यू को देखा जाता है। कंपनी का क्वार्टरली यानी तिमाही और इयरली यानी वार्षिक रेवेन्यू , कितना जनरेट करती है और समय के साथ रेवेन्यू में ग्रोथ है या नहीं, कंपनी का रेवेन्यू समय के साथ बढ़ रहा है तो यह दर्शाता है की कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस लोगों को पसंद आ रहे हैं, इसलिए वह ज्यादा सेल कर रही है और कंपनी की मार्केटिंग स्ट्रेटजी भी अच्छी है। कंपनी भविष्य में कैसा प्रदर्शन कर सकती है, यह उसके रेवेन्यू पर भी निर्भर करता है।

लेकिन ध्यान रखें, कोई कंपनी का प्रोडक्ट अच्छा है और लोग उसे खरीद रहे हैं, और कंपनी अच्छा रेवेन्यू जनरेट कर रही है, लेकिन खाली यह जानकारी एक निवेशक के लिए काफी नहीं होती, कंपनी जो रेवेन्यू कमा रही है, उसका उपयोग वह सही तरीके से कर रही है या नहीं, ये कंपनी के मैनेजमेंट के ऊपर निर्भर करता है। कोई कंपनी कमाई तो करती है, लेकिन उनके ऊपर जरूरत से ज्यादा कर्ज हो सकता है, मतलब कमाई से ज्यादा देनदारी, कंपनी कमा कर अपने कारोबार चला रही हो, और अपने डेट का इंटरेस्ट यानी ब्याज भर रही हो, उसके पास मुनाफा नही कमा रही हो तो लॉस में चलने वाली कंपनी में निवेश करना जोखिमभरा हो सकता है।

Revenue formula:


राजस्व = बिक्री की मात्रा × औसत बिक्री मूल्य


Revenue = sales quantity × average saleprice


जैसे, मान लीजिए, एक कंपनी के प्रोडक्ट की कीमत है ₹100 और बेचे जाने वाले प्रोडक्ट की मात्रा है 1,000, तो, फॉर्मूला के हिसाब से रेवेन्यू होगा ₹1 लाख।
किसी भी कंपनी का टोटल रेवेन्यू निकालने के लिए बेचे गए प्रोडक्ट की संख्या को, प्रोडक्ट के मूल्य से गुणा करके निकाला जाता है।

जिसमें,
औसत बिक्री मूल्य वह कीमत होती है जो कंपनी अपने प्रोडक्ट या सर्विस बेचकर ग्राहक से वसूलती है।

बिक्री मात्रा वह होती है, जिस मात्रा में कंपनी ने लोगों को अपने प्रोडक्ट बेचे हैं।

इस गणना के माध्यम से कंपनी के रेवेन्यू की गणना की जाती है, जिससे कंपनी के फाइनेंशियल को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।

जरूरी बात, रेवेन्यू एक कंपनी की टोटल आय को बताता है, यह कंपनी का लाभ नहीं होता है। रेवेन्यू में से कॉस्ट कटिंग, टैक्सेस, और अन्य खर्चों को काट कर या घटा कर लाभ निकलता है।

Revenue example:


रेवेन्यू को उदाहरण से समझते हैं, रेवेन्यू प्रोडक्ट या सर्विस बेचकर अर्जित किया जाता है, लेकिन सबका बिजनेस मॉडल अलग होता है। हर कंपनी के पास आय के अलग अलग साधन होते हैं। 
जैसे उदाहरण के लिए, Google का रेवेन्यू विज्ञापनों से होता है वहीं माइक्रोसॉफ्ट सोफ्टवेयर बेचकर रेवेन्यू जनरेट करती है। इसी तरह Apple आईफोन, आईपैड, के माध्यम से रेवेन्यू उत्पन्न करती है।

कुछ भारतीय कंपनी के उदाहरण:

1. Tata motors, वह कार बेचती है तो उसका रेवेन्यू कार बेचने से होता है।

2. Wipro, विप्रो आईटी सर्विस बेकरी है, तो उसे अपना रेवेन्यू अपनी सर्विसेस बेचकर प्राप्त होता है।

3. Jio, रिलायंस जियो टेलीकॉम सेक्टर में सर्विस देती है, तो वह वहां से रेवेन्यू जनरेट करती है।

ज़माना बहुत ही तेज गति से आगे बढ़ रहा है और नए नए तरीके कमाई के बन रहे हैं, जैसे आजकल कुछ कम्पनियां सिर्फ अपनी सदस्यता बेचती हैं, जैसे Netflix।

हर कंपनी का अपना एक बिजनेस मॉडल होता है और अपना कमाई करने का तरीका।

राजस्व का महत्त्व | Revenue importance:


Revenue राजस्व का महत्त्व क्या है, चलिए जानते हैं,

  • किसी भी कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ को नापने के लिए बहुत आवश्यक है की कंपनी के रेवेन्यू के बारे में जानना।
  • कंपनी के प्रॉफिट को भी रेवेन्यू की सहायता से निकाला जा सकता है।
  • कंपनी की भविष्य में ग्रोथ को उसके रेवेन्यू के आधार पर नापा जा सकता है।
  • कंपनी को उसके रेवेन्यू के आधार पर समान सेक्टर में काम कर रही कम्पनियों से कंपेयर यानी तुलना की जा सकती है।
  • अच्छा रेवेन्यू ग्रोथ निवेशकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

अगर कोई कंपनी अच्छा रेवेन्यू नही कमा सकती तो, वह ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती है, क्योंकि इसका मतलब है वह अपने प्रोडक्ट्स या सर्विस बेचने में नाकामयाब है, या फिर उसके प्रोडक्ट्स और सर्विस लोगों को पसंद नही आ रहे हैं, प्रोडक्ट ना बिकने के और भी कारण हो सकते हैं ।

और समय के साथ कंपनी के रेवेन्यू घटते बढ़ते रहते हैं, स्थाई एक जैसे हमेशा नही रहते हैं, इसमें प्रोडक्ट की मांग, अर्थव्यवस्था  या फिर कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।
जरूरी बात: आपको किसी भी कंपनी की रिसर्च में यह देखना बहुत ही जरूरी है की कंपनी जो काम कर रही है, उसके प्रोडक्ट या सर्विस क्या भविष्य में भी लोग इस्तेमाल करेंगे। बदलते युग में नई नई टेक्नोलॉजी आ रही हैं, कहीं ऐसा तो नहीं की कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस की भविष्य में मांग कम हो जाए।

उदाहरण के लिए, नोकिया कंपनी। शुरुआत में नोकिया कंपनी के फोन लोग बहुत खरीदते थे लेकिन समय के साथ कीपैड फोन का चलन काम हुआ और टच स्क्रीन फोन मार्केट में आए तो नोकिया का पुराना बिजनेस खत्म हो गया।

Types of revenue | रेवेन्यू कितने प्रकार के होते है


Revenue राजस्व के दो प्रकार होते हैं:

1. परिचालन राजस्व (operational revenue):


यह एक कंपनी में मुख्य व्यवसायिक गतिविधियों से उत्पन्न होता है। जो की प्रोडक्ट या सर्विस की बिक्री, या फीस, किराया, ब्याज हो सकती है।

2. गैर परिचालन राजस्व (non - operating revenue):


एक कंपनी मुख्य काम के साथ दूसरी जगह भी निवेश करके अपने लिए आय के स्त्रोत बना सकती है, संपत्ति की बिक्री कर के भी, अपने साथ जुड़ी अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदकर भी, बॉन्ड्स, सरकारी सिक्योरिटीज या अनुदान भी होते हैं।

यह दो प्रकार के राजस्व रेवेन्यू उत्पन्न कर सकती है। अगर कंपनी का रेवेन्यू अच्छा है, कंपनी लाभदायक है मतलब प्रॉफिटेबल है। उसके पास पर्याप्त कैश फ्लो है तो कंपनीनापनी नगदी का इस्तेमाल करके ब्याज से भी आय कमा सकती है। या फिर अपने प्रोडक्ट का ज्यादा प्रोडक्शन करने में भी इस्तमाल कर सकती है। 

नई जमीन, नए इक्विपमेंट खरीदकर अपने बिजनेस को बढ़ा सकती है और भविष्य में धीरे धीरे खुद को एक बड़ी कंपनी के रूप में बदल सकती है, अगर कंपनी स्मॉल कैप या मिड कैप है तो। अच्छी कंपनी में सेल्स ग्रोथ और रेवेन्यू  समय के साथ ग्रोथ होती रहती है क्योंकि उनके प्रोडक्ट और सर्विस को लोग पसंद कर रहे हैं और उनके सेल्स समय के साथ बढ़ेंगी और रेवेन्यू भी बढ़ेगा और कंपनी के पास लायबिलिटी कम है और एसेट ज्यादा हैं तो कंपनी प्रॉफिटेबल होगी और समय के साथ ग्रोथ होगी , और उसका रेवेन्यू और सेल्स समय के साथ बढ़ता रहेगा।

Sales Revenue kya hota hai | सेल रेवेन्यू क्या होता है


सेल्स रेवेन्यू कोई भी कंपनी अपने प्रोडक्ट या सर्विस को बेचकर उत्पन्न करती है। वह प्रोडक्टब्च भी हो सकता है, सर्विस कंपनी के बिजनेस मॉडल के हिसाब से हो सकती है। वह प्रोडक्टव्या सर्विस को अपने ग्राहक को बेचकर रेवेन्यू उत्पन्न करती है।

Investment revenue kya hota hai  |  इन्वेस्टमेंट रेवेन्यू क्या होता है


Investment revenue कहते हैं जब कंपनी अपने मुख्य काम के अलावा कहीं और निवेश करके ब्याज, रेंट या संपत्ति खरीद और बेच कर भी उत्पन्न कर सकती है।

Royalty revenue kya hota hai  | रॉयल्टी रेवेन्यू क्या होता है


जैसे कंपनी के पास कोई एसेट है, जैसे कंपनी का ट्रेडमार्क है, जिसे कंपनी की इजाजत के बगैर कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता है क्योंकि कंपनी के पास उसके सारे राइट्स हैं। अगर कोई और उसका इस्तेमाल करना चाहेगा तो उसे कंपनी की परमिशन लेनी होगी, कंपनी उसके ट्रेडमार्क के उपयोग करने पर चार्जेस ले सकती है। जैसे कोई लेखक की बुक को पब्लिकेशन रिलीज करता है, लेकिन उसका मालिक ऑथर होता है, जब भी कोई उस बुक को खरीदता है, तो लेखक की भी कमाई होती है रॉयल्टी के रूप में।

नेट रेवेन्यू और ग्रॉस रेवेन्यू में क्या अंतर होता है


Net revenue aur gross revenue में क्या अंतर होता है जानें, 

ग्रॉस रेवेन्यू क्या होता है 

Gross revenue मतलब सकल राजस्व


सकल राजस्व वह होता है जो एक कंपनी अपने प्रोडक्ट या सर्विस को बेचकर कुल राशि प्राप्त करती है, जिसमें से किसी भी प्रकार के खर्च की कटौती नहीं की गई है। साथ ही, ब्याज द्वारा कुल राशी और किराए द्वारा प्राप्त कुल राशी इसमें शामिल होती हैं।

नेट रेवेन्यू क्या होता है 

Net revenue मतलब शुद्ध लाभ


नेट रेवेन्यू कहते हैं किसी कंपनी के बिक्री से प्राप्त हुई कुल राशि जिसमे से सभी जरूरी खर्च को घटा दी गई हों, उसे नेट रेवेन्यू कहते हैं। 

वह रेवेन्यू प्रोडक्ट या सर्विस बेचकर या ब्याज और किराए के रूप में भी हो सकता है, रेवेन्यू की कुल राशि से सारे जरूरी खर्च घटा कर, नेट रेवेन्यू निकाला जा सकता है।

रेवेन्यू ग्रोथ क्या होता है


रेवेन्यू ग्रोथ मतलब राजस्व में वृद्धि। 
Revenue growth,  राजस्व में बढ़ोतरी के बहुत्व कारण होते हैं, जैसे ज्यादा बिक्री का होना, नए प्रोडक्ट या फिर नई सर्विस सेवा देना भी रेवेन्यू ग्रोथ का कारण हो सकता है।

जब कोई कंपनी अपने ग्राहक को अच्छी सर्विस या अच्छा प्रोडक्ट देकर या ऐसे प्रोडक्ट जो उनकी प्रॉब्लम को सॉल्व करते हैं, तो ग्राहक बार बार उनके उनके प्रोडक्ट और सर्विसेस खरीदते हैं, जिसके लिए वह कंपनी को एक तय कीमत का भुगतान करते है जो कंपनी का रेवेन्यू होता है। 

समय के साथ ज्यादा लोग कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदने हैं तो कंपनी की सेल्स ग्रोथ होती है जिससे रेवेन्यू भी बढ़ता है।

मान लीजिए एक कंपनी है XYZ जिसने सन् 2021 में ₹100 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट किया था।
सन् 2022 में ₹120 करोड़ का रेवेन्यू उत्पन्न किया 
तो उसकी राजस्व मतलब रेवेन्यू ग्रोथ रेट में सालाना 20% की बढ़ोतरी हुई ।

समय के साथ रेवेन्यू में ग्रोथ किसी भी कंपनी के भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद को दर्शाता है।

Revenue क्या होता है और कितना महत्त्वपूर्ण है किसी कंपनी के बिजनेस के लिए, हमने रिवेन्यू से जुड़ी जानकारी आप के साथ सांझा की है। अगर आप को यह लेख पसंद आया हो तो आप हमारे ब्लॉग को फ़ॉलो करें, पुश नोटिफिकेशन 🔔 दबाकर ब्लॉग को सब्सक्राइब करें, गूगल न्यूज़,और इंस्टाग्राम पर हमें फॉलो करें। हम इस ब्लॉग पर बचत, निवेश, बिजनेस, और शेयर बाजार से जुड़ी जानकारियां लिखते रहते हैं।

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