शेयर स्प्लिट क्या होता है/share split kya hota hai
By Javed / July 12,2023:
शेयर स्प्लिट (stock split) का मतलब होता है शेयर विभाजन। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है की स्टॉक स्प्लिट किसी भी कंपनी के वर्तमान में चल रहे स्टॉक की प्राइस को कम करने के लिए कंपनी अपने शेयर को टुकड़ों में विभाजित कर देती है जिससे कंपनी के शेयरहोल्डर्स के पास मौजूद शेयर्स स्प्लिट होकर 1 से 2 या उससे अधिक जिस मात्रा में कंपनी ने स्प्लिट किया हो, शेयर की संख्या हो जाती है।
यह लेख के माध्यम से आपको शेयर स्प्लिट क्या होता है और शेयर स्प्लिट से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होंगी।
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| शीर्षक | शेयर स्प्लिट क्या होता है/share split kya hota hai |
| श्रेणी | स्टॉक मार्केट |
| विवरण | शेयर स्प्लिट क्या होता है, शेयर स्प्लिट के फ़ायदे, नुकसान, फॉर्मूला |
| वर्ष | 2023 |
| देश | भारत |
कंपनी शेयर स्प्लिट क्यों करती है:
कोई भी कंपनी अपने शेयर्स को दो मुख्य कारणों से स्प्लिट करती है:
1. लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए।
2. छोटे निवेशकों को आकर्षित करने के लिए।
1. लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए:
जब एक कंपनी अपने शेयर स्प्लिट करती है तो उसमें मौजूद शेयरहोल्डर अपनी पूंजी का निवेश कर अपने शेयर्स की क्वांटिटी बढ़ा लेते हैं, जिससे कंपनी में अतिरिक्त लिक्विडिटी आने लगती है। इसके साथ ही दूसरे निवेशक भी ऐसे समय पर कंपनी में निवेश करना शुरू कर देते हैं।
2. छोटे निवेशकों को आकर्षित करने के लिए:
क्योंकि एक कंपनी के शेयर की कीमत बहुत बढ़ जाती है, जिसके कारण छोटे निवेशक उनमें निवेश नहीं कर पाते हैं या यूं कह लें की निवेश करने से डरते हैं, जब कंपनी अपने स्टॉक यानी शेयर स्प्लिट करती है जिससे स्टॉक प्राइस पर असर पड़ता है और वह कम हो जाती है, जिससे छोटे निवेशक भी कंपनी में निवेश करना शुरू कर देते हैं।
शेयर स्प्लिट उदाहरण/stock split example:
Tata Steel, जिसका शेयर प्राइस ₹920 था, कंपनी ने अपने शेयर स्प्लिट 1:10 किया जिससे मौजूदा शेयरहोल्डर्स जिनके पास इस कंपनी का 1 शेयर था, उनके 1 शेयर के बदले 10 शेयर्स बन गए, जिनकी स्प्लिट होने के बाद 1 शेयर की कीमत ₹100 रह गई। लेकिन इससे कंपनी में दूसरे निवेशकों ने भी निवेश करना शुरू कर दिया, जिससे कंपनी को अच्छी खासी लिक्विडिटी प्राप्त होती है।
शेयर स्प्लिट फॉर्मूला/ Share split formula:
शेयर स्प्लिट होने पर आप अपने शेयरों की कीमत की इस प्रकार gadna कर सकते हैं:
शेयर स्प्लिट फॉर्मूला: नया शेयर मूल्य = पुराना शेयर मूल्य / शेयर स्प्लिट रेश्यो ।
शेयर स्प्लिट से शेयरहोल्डर्स को क्या फायदा होता है
जब भी किसी कंपनी के शेयर स्प्लिट होते हैं, तो इससे उसके शेयरहोल्डर्स को अपने निवेश की कीमत पर ही अधिक संख्या में शेयर्स मिल जाते हैं, इसमें तुरंत तो कुछ खास फायदा नहीं है, लेकिन जो निवेशक कंपनी में लंबे समय के लिए निवेशित रहते हैं, जब कंपनी का शेयर अपने उसी भाव पर पहुंच जाते हैं तो शेयरहोल्डर्स को अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद रहती है।
आसान भाषा में समझें तो, कोई भी चीज यदि 1 के दाम में 2 मिल रही हैं, जिनका आने वाले समय में भाव बढ़ना है, तो उसमें खरीददार के लिए फ़ायदे का सौदा होता है।
शेयर स्प्लिट होने पर शेयर में तेज़ी क्यों आती है
जब भी कोई कंपनी शेयर स्प्लिट करती है तो शेयर्स के भाव में अचानक से तेज़ी या उछाल देखा जा सकता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पहले से मौजूद शेयरहोल्डर्स के शेयरों की संख्या बढ़ जाती है, और शेयर काम कीमत पर मिलने से वे और शेयर्स खरीदना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही रिटेल इन्वेस्टर्स भी शेयर की कीमत अफोर्डेबल होने के फायदे उठात हुए इसमें खरीद शुरू कर लेते हैं। इससे मार्केट में शेयर की ट्रेडिंग भी बढ़ जाती है।
शेयर स्प्लिट के फ़ायदे/ benefits of stock split:
शेयर स्प्लिट होने पर कंपनी को बहुत से फायदे होते हैं:
1) लिक्विडिटी बढ़ जाती है:
शेयर स्प्लिट के कारण शेयर की कीमतें घट जाती हैं और छोटे निवेशकों के लिए अफोर्डेबल हो जाती हैं जिससे लिक्विडिटी बढ़ती है क्योंकि छोटे इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स शेयर खरीदने लगते हैं।
2) मार्केटिबिलिटी:
शेयर्स की कीमत में होने वाले बदलाव की वजह से बाजार में वॉलेटिलिटी देखने को मिलती है जिससे शेयर्स को खरीदना और बेचना आसान हो जाता है।
3) पॉजिटिव मार्केट सेंटीमेंट:
शेयर स्प्लिट होने से कंपनी के भविष्य और ग्रोथ पर सकारात्मक असर पड़ता है,जिससे निवेशकों को कॉन्फिडेंस मिलता है।
शेयर स्प्लिट के नुकसान / Risks of stock split:
1) टेंपरेरी प्राइस वोलेटिलिटी:
शेयर स्प्लिट होने की वजह से शॉर्ट टर्म में शेयर की कीमतों में बहुत उछाल या गिरावट आ सकती है, जिससे निवेशकों में संकोच की स्थिति बन सकती है।
2) कीमत का गलत आंकलन:
शेयर स्प्लिट होने के बाद शेयर की कीमत घट जाती है जिससे निवेशक यह भी सोच सकते हैं की स्टॉक चीप वैल्यू का है, जबकि शेयर की असल कीमत वही रहती है।
3) ट्रांजेक्शन लागत:
शेयर स्प्लिट होने से शेयर्स की संख्या बढ़ जाती है जिसके कारण ट्रेडिंग, ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन कॉस्ट बढ़ सकती हैं।
स्टॉक स्प्लिट (stock split) और बोनस शेयर (bonus share) में क्या अंतर होता है
Bonus share: बोनस शेयर कोई भी कंपनी अपने मौजूदा शेयरहोल्डर्स को अपने मुनाफे या रिजर्व में से बिना कीमत लिए देते हैं।
स्टॉक स्प्लिट में शेयर्स की संख्या बढ़ती है और कीमत कम होती है, जबकि बोनस शेयर में शेयर की क्वांटिटी भी बढ़ती है और कीमत भी वही रहती है।
यह लेख आपको शेयर स्प्लिट (stock split) क्या होता है और इसके फायदे ,नुकसान की जानकारी देने के लिए लिखा गया है, अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख अच्छा लगा हो तो आप हमें गूगल न्यूज़ और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें और इस ब्लॉग को पुश नोटिफिकेशन 🔔 दबा कर सब्सक्राइब करें।
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