What is equity hindi | इक्विटी क्या होती है

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What is equity hindi | इक्विटी क्या होती है


By Javed / July 21,2023:


इक्विटी क्या होता है: इक्विटी कहते है, कंपनी के टोटल इक्विटी की शेयर वैल्यू को। एक कंपनी की इक्विटी में शेयर की हिस्सेदारी, कंपनी के प्रमोटर के पास और कुछ हिस्सा DII, FII और पब्लिक के पास भी होता है, जिसे आप कंपनी के शेयर होल्डिंग पैटर्न में देख सकते हैं।


जब कोई आम निवेशक किसी कंपनी का एक शेयर भी खरीदता है तो, वह कंपनी की इक्विटी के एक शेयर की वैल्यू के बराबर कंपनी के इक्विटी शेयर का मालिक बन जाता है।


कोई भी पब्लिक कंपनी जो शेयर बाजार में लिस्टेड है, उसकी इक्विटी में हिस्सेदार बना जा सकता है, कंपनी के स्टॉक को खरीद कर।


कोई भी कंपनी जब अच्छा प्रदर्शन करती है और अच्छा रेवेन्यू कमाकर अच्छा प्रॉफिट भी कमाती है और अपने लिए नए एसेट्स खरीदती है। साथ ही रेवेन्यू और प्रॉफिट समय के साथ बढ़ाती जाती है, तो कंपनी की इक्विटी की वैल्यू भी बढ़ती है, जिससे उसके स्टॉक प्राइस भी बढ़ते हैं, जिससे कंपनी का मार्केट कैपिटल भी बड़ा होता है।


कंपनी की ओनरशिप भी, कंपनी के प्रमोटर, इन्वेस्टर के बीच में उनकी इक्विटी के हिस्से के हिसाब से होती है, कौन कितने परसेंट का हिस्सेदार है। जब कोई सामान्य व्यक्ति स्टॉक खरीद रहा है तो वह इक्विटी में ही निवेश कर रहा है।



इक्विटी क्या होती है | what is equity hindi


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| शीर्षक | Equity: क्या होती है इक्विटी  |


| श्रेणी | स्टॉक मार्केट |


| विवरण | Equity: क्या होती है इक्विटी |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत |



शेयर मार्केट में इक्विटी का क्या मतलब है | Equity meaning in share market :



शेयर मार्केट में, इक्विटी एक कंपनी की ओनरशिप के शेयर्स को कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति एक कंपनी के कुछ शेयर्स खरीदता है, तो वह उस कंपनी में उतने कीमत की इक्विटी का मालिक बन जाता है, जिसमे कंपनी को लाभ होने पर वह उस व्यक्ति को उसकी इक्विटी के अमाउंट यानी जितने शेयर्स उसके पास हैं, उनके हिसाब से डिविडेंड देती है।


एक कंपनी की इक्विटी की कीमत उसके प्रदर्शन, बिजनेस मॉडल, इंडस्ट्री के भविष्य और कंपनी के मैनेजमेंट की कार्यकुशलता के अनुसार बढ़ती या घटती है।


उदाहरण के तौर पर आपने shark tank ki equity प्रोग्राम में देखा होगा की main sharks किसी बिजनेस आइडिया जो उन्हें पसंद आए, उसके लिए इक्विटी का प्रपोजल देते हैं, जिसमें उन्हें उस स्टार्टअप कंपनी की ओनरशिप हासिल हो जाती है।


इक्विटी क्या होती है | Equity meaning in hindi:



इक्विटी क्या है इसे उदाहरण से समझते हैं:



मान लीजिए एक कंपनी है, ABC Ltd. जिसमें उसके मालिक द्वारा ₹7 करोड़ लगाए गए हैं, जबकि कंपनी की कुल लागत ₹10 करोड़ है। तो कंपनी में ओनर की हिस्सेदारी हो गई 70% ।


अब कंपनी के लागत के लिए मालिक ने मान लीजिए अपने दोस्त लकी को पार्टनरशिप करने का ऑफर दिया, जिसे लकी ने मंजूर कर लिया, जिससे लकी की पार्टनरशिप से 30% हिस्सेदारी हो गई और कंपनी की इक्विटी पूरी 100% हो गई।


लेकिन अगर प्रमोटर यानी मालिक को बाकी 30% के लिए डेट लेना पड़ता तो कंपनी पर 70% इक्विटी होती और 30% डेट हो जाता।


Equity से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य:


  • शेयरहोल्डर्स इक्विटी कंपनी की बुक वैल्यू को रिप्रेजेंट कर सकती है।
  • कंपनी की इक्विटी उसकी फाइनेंशियल हेल्थ को जांचने के लिए एक अच्छा मेट्रिक होता है, जिसे आप कंपनी की बैलेंस शीट में चेक कर सकते हैं।
  • इक्विटी का उपयोग ROE जैसे रेश्यो की गणना करने के लिए किया जाता है।
  • शेयरहोल्डर्स इक्विटी या ओनर या कंपनी के मालिकों की इक्विटी के लिए जानी जाती है, जो कंपनी में ओनर्स और शेयरहोल्डर्स द्वारा लगाई गई हो।
  • कंपनी के लिक्विडेशन के समय पर जिस इक्विटी का शेयरहोल्डर्स को कंपनी का Debt चुकाने के बाद भुगतान किया जाएगा, वह भी इक्विटी के रूप में दिखाई जाती है।
  • अगर एक कंपनी का अधिग्रहण होता है, तो ऐसे केस में कंपनी की इक्विटी जिसमें से सभी देनदारियां चुका दी गई हों, फिर यह कंपनी की सेल्स वैल्यू के रूप में देखी जा सकती है।


इक्विटी की गणना कैसे करें| how to calculate equity:



किसी भी कंपनी में निवेश करने का फैसला लेने से पहले यह बहुत जरूरी है कि आप उसकी अच्छी तरह से जांच करें जैसे, रिसर्च करें, फंडामेंटल्स को जांचे, वित्तीय रिपोर्ट्स, हेल्थ और ग्रोथ को चेक करें। अगर उस कंपनी में इन सभी पैरामीटर्स पर 💚 सिग्नल मिलता है, तभी आप अपनी मेहनत से कमाए हुए धन का निवेश करें।


निवेश करने के लिए आप अपने लिए डिसकाउंट ब्रोकर या फुल टाइम ब्रोकर का चुनाव करें फिर डीमैट एकाउंट खोलें, जिससे आप आसानी से निवेश कर सकते हैं। 


कंपनी के फंडामेंटल्स को और उसकी फाइनेंशियल रिपोर्ट्स को चेक करने के लिए आप NSE, BSE, या moneycontrol.com या finology की वेबसाइट का उपयोग कर सकते हैं।


इक्विटी फॉर्मूला| Equity Formula:



Equity = total assets - total liabilities.


इक्विटी = कुल संपत्तियां - कुल दायित्व।


हम इसे उदाहरण से समझते हैं,



मान लीजिए एक कंपनी है XYZ जिसका मार्च 31'2023 की बैलेंस शीट में कुछ इस प्रकार का विवरण दिया गया है:

कुल संपत्तियां = ₹3.6 ट्रिलियन

कुल दायित्व = ₹1.8 ट्रिलियन

तो, अब हम इन वैल्यू को इक्विटी फॉर्मूला में डालेंगे और XYZ की इक्विटी निकालेंगे।

इक्विटी = कुल संपत्तियां - कुल दायित्व

= 3.6 - 1.8 = ₹1.8 ट्रिलियन

यानी XYZ कंपनी की इक्विटी ₹1.8 ट्रिलियन है।


अच्छी इक्विटी क्या होती है | what is good equity:



एक कंपनी में निवेश करने से पहले आपको कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ के बारे में जान लेना चाहिए। इक्विटी किसी भी कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ को जांचने का एक अच्छा और महत्वपूर्ण माप होता है।


यह हमें बताता है कि कंपनी के पास अपने कार्यों को सुचारू रूप से करने के लिए कितनी पूंजी है या वह अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड के रूप में कितनी रकम दे सकती है।


एक कंपनी के पास जितनी अधिक इक्विटी होती है, उतनी वह वित्तीय रूप से मजबूत होती है।


इक्विटी के प्रकार | types of Equity:



किसी भी व्यक्ति को निवेश करने के लिए अपने वित्त लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए कंपनी की विभिन्न प्रकार की इक्विटी में से चुनाव करना होता है।


चलिए जानते हैं की एक कंपनी में कितने प्रकार की इक्विटी होती हैं:


1. Common Stock kya hai:



यह सबसे सामान्य तरीके का इक्विटी हैजिसे आप ऑनलाइन ब्रोकर्स एप जैसे जेरोधा काईट पर एक कंपनी के प्रोफाइल से खरीद सकते हैं। इसमें आपको कंपनी के वोटिंग अधिकार, डिविडेंड, प्राप्त हो सकते हैं।


2. Preferred Stock kya hai:



यह कॉमन स्टॉक के विपरीत है, जिसमे कंपनी अगर मुनाफे में नहीं भी चल रही है तो भी वह आपको डिविडेंड देगी साथ ही अगर कंपनी कभी लिक्विडेशन करती है तो कॉमन स्टॉकहोल्डर्स से पहले आपको प्रायोरिटी दी जाएगी। हालांकि इसमें वोट के अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं।


3. Contributed surplus:



यह वह पूंजी होती है, जब कंपनी को उसके शेयरहोल्डर्स अपने शेयर्स की par value से ऊपर या ज्यादा अमाउंट देते हैं।


4. Retained Earnings:



एक कंपनी जब मुनाफा कमाती है तो साधारण तौर पर वह अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती है। हालांकि यह वह पूंजी होती है जिसे कंपनी द्वारा डिविडेंड ना देते हुए भविष्य में अच्छी ग्रोथ के लिए उपयोग किया जाता है अथवा अपना कर्ज़ चुकाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।


5. Treasury Stocks:



ये स्टॉक्स कंपनी द्वारा शेयरहोल्डर्स से वापस खरीद लिए जाते हैं। 


इनके अलावा और भी कई प्रकार की इक्विटी होती हैं जैसे कन्वर्टिबल बॉन्ड्स, वारेंटस, और ऑप्शंस जिनका उपयोग भावी निवेशकों द्वारा किया जाता है।


इक्विटी और डेट में क्या अंतर है | difference between Equity and Debt:



Equity:



परिभाषा:
इक्विटी, किसी कंपनी में एक निवेशक द्वारा लगाए गए पैसों पर उसे उतने हिस्से की हिस्सेदारी मिलने से, ओनरशिप को कहते हैं। 


पुनर्भुगतान:
एक बार लगाया गया धन की वापसी नहीं की जाती है, उसका उपयोग कंपनी द्वारा अपने कार्य करने में किया जाता है। हालांकि, इक्विटी शेयरहोल्डर्स को कंपनी के मुनाफे में हिस्सा मिलता है और बहुत से फायदे होते हैं।


रिटर्न्स:
इसमें अनिश्चित रिटर्न्स की संभावना रहती है, यानी अगर कंपनी बहुत अच्छा काम कर रही है और उसके बिजनेस की बाज़ार में डिमांड है तो बहुत अच्छे रिटर्न्स लगातार प्राप्त हो सकते हैं और इसके विपरीत केस में उल्टा भी हो सकता है।


वोट के अधिकार:
इक्विटी होल्डर्स को कंपनी के महत्वपूर्ण फैसलों में अपनी राय रखने और वोट करने के अधिकार प्राप्त होते हैं।


जोखिम:
इक्विटी में निवेश करने में जोखिम बहुत ही ज्यादा होता है हालांकि सही जानकारी और रिसर्च के साथ इसमें जोखिम को अच्छे तरीके से मैनेज किया जा सकता है और रिटर्न्स को बढ़ाया जा सकता है।


Debt



परिभाषा:
निवेशक द्वारा किसी कंपनी को दिया जाने वाला कर्ज़ या लोन, कंपनी डेट में आता है।


पुनर्भुगतान:
डेट को उसके ऊपर लगने वाले ब्याज के साथ चुकाना ही पड़ता है।


रिटर्न्स:
इसमें निवेशक को अपने दिए गए डेट पर फिक्स्ड रिटर्न्स प्राप्त होते हैं। जैसे मान लीजिए आपने कंपनी को डेट देने के लिए उसके डिबेंचर्स या बॉन्ड्स खरीदे, जिनके लिए कंपनी आपको फिक्स्ड रेट पर भुगतान करेगी और समय पूरा हो जाने पर आपको आपके दिए गए मूलधन के साथ इंटरेस्ट की रकम भी प्राप्त होती है।


वोट के अधिकार:
इसमें आपको किसी भी प्रकार का कोई वोटिंग अधिकार या कंपनी के फैसलों में शामिल नहीं किया जाता है।


जोखिम:
इसमें जोखिम बहुत ही कम होता है, जोखिम तभी होता है अगर कंपनी खड़े होने से पहले ही ठप हो जाए, ऐसे में आपके द्वारा दिए गए डेट को चुकाने के लिए कंपनी ओनर्स की कैपिटल का उपयोग किया जाता है।



इक्विटी और शेयर में क्या अंतर है | difference between Equity and shares:



Equity:


1. Ownership

एक व्यक्ति जो कंपनी की इक्विटी खरीदता है, वह उस कंपनी में उतने प्रतिशत का मालिक बन जाता है।


2. Types:

इक्विटी के रूप में कई प्रकार के निवेश हो सकते हैं जैसे, कंपनी के शेयर्स, बॉन्ड्स, वारेंट्स, सिक्योरिटीज़ आदि।


3. Risk:

इक्विटी एक बहुत ही जोखिम भरा निवेश माना जाता है क्योंकि इसमें आप कंपनी में एक अच्छा  खासा अमाउंट लगाते हैं, और कंपनी अगर घाटे में आजाए या भविष्य में असफल हो जयते खास कर यह स्टॉक्स के मुकाबले में ज्यादा वोलेटिल होती है और वैल्यू में फ्लक्चुएशंस भी ज्यादा होते हैं।


Stocks


1. Ownership:

स्टॉक्स खरीदने पर आपके पास उस कंपनी के शेयर्स रहते हैं और आप कंपनी में अपने पास मौजूद शेयर के हिस्से के मालिक बन जाते हैं।

 
2. Types:

स्टॉक्स में सिर्फ कंपनी के शेयर्स ही खरीदे जा सकते हैं।


3. Risk:

स्टॉक्स में आपके द्वारा लगाई हुई कैपिटल पर जोखिम होता है यदि आप उसके फंडामेंटल्स अच्छे से चेक ना करें और बिना रिसर्च के किसी के कहने मात्र से, या दोस्तों की बात सुनके निवेश करेंगे तो यह जोखिमपूर्ण होगा। हालांकि, अगर आप इन्हें ट्रैक करते रहें तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।



इक्विटी निवेशकों को क्या बताती है:




किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले एक निवेशक को उसके फंडामेंटल्स की और फाइनेंशियल रिपोर्ट्स की अच्छे से जांच करना चाहिए।


उदाहरण के लिए,

एक निवेशक जो xyz कंपनी में निवेश करना चाहता है, तो वह शेयरहोल्डर्स की इक्विटी को बेंचमार्क मानते हुए कंपनी की बुक वैल्यू को देखेगा जो 1.5 होने पर वह निवेश करने से पहले फिर सोचेगा कि कंपनी के भविष्य के क्या प्लांस हैं और इसमें क्या क्या संभावनाएं हैं।



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