ETF kya hota hai | ETF क्या होता है

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ETF kya hota hai | ETF क्या होता है

By Javed / August 06,2023:


ETF (Exchange Traded Funds) एक तरह का सुरक्षित निवेश है, जिसे आप आसानी से स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीद भी सकते हैं और बेच भी सकते हैं। ETF funds या तो किसी index को फ़ॉलो करते हैं और या फिर कमोडिटी को। ETF में कंपनी के शेयर्स की ही तरह ट्रेड होता है, इसमें अलग अलग कंपनी के स्टॉक्स या बॉन्ड्स को शामिल किया जाता है, जिसकी मदद से इंडेक्स को ट्रैक किया जाए। वैसे तो, ETF म्यूचुअल फंड की तरह ही होते हैं, लेकिन इनमें समय सीमा का फर्क है, क्योंकि ईटीएफ को आप ट्रेडिंग के समय सीमा के अंदर कभी भी बेच सकते हैं।


ETF kya hota hai | ETF क्या होता है

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| शीर्षक | ETF kya hota hai | ETF क्या होता है |


| श्रेणी | इंवेस्टमेंट |


| विवरण | ETF क्या होता है, types of ETF, ETF fullform |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत |



ETF क्या है | ETF meaning in hindi


आम तौर पर, ETF निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है क्योंकि इसमें आप कई तरह से निवेश कर सकते हैं, इसके साथ ही इसमें निवेश करने के लिए खर्चा भी कम होता है। हालांकि, आपको निवेश करने से पहले इसमें शामिल जोखिमों को भी अच्छे से जांच लेना चाहिए जिससे आपके निवेश की सुरक्षा हो सके और इसमें किए गए निवेश पर सरकारी नीतियों के अनुसार क्या टैक्स प्रभाव पड़ेगा, उसे भी अच्छे से जान लें, फिर ही निवेश करें।


निवेशक ETF में कैसे निवेश करें:


किसी विशेष मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करें:

उदाहरण के लिए, अगर आप निफ्टी फिफ्टी के इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करना चाहते हैं मतलब आपको निफ्टी फिफ्टी जैसा रिटर्न प्राप्त करना है तो इसके लिए आपको किसी ऐसे ईटीएफ का चुनाव करना होगा, जो निफ्टी फिफ्टी को ट्रैक करता हो। आपको ऐसे ईटीएफ के शेयर्स को खरीदना होगा।


किसी विशेष कमोडिटी सेक्शन में ट्रेड करना:

इसमें विशेष बॉन्ड्स में निवेश शामिल किया जाता है, जो किसी बॉन्ड के इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं, जिसके शेयर्स खरीदने पर आपको भी अपने निवेश पर उस विशेष बॉन्ड इंडेक्स के बराबर रिटर्न की प्राप्ति होगी।


अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करना:

अगर आप पहले से ही निवेश करते हैं या निवेश की जानकारी रखते हैं और आपके पोर्टफोलियो में स्टॉक्स शामिल हैं, तो आप अपने पोर्टफोलियो में जोखिम को बैलेंस करने या कम करने के लिए किसी बॉन्ड इंडेक्स के शेयर्स को खरीद सकते हैं, इसके विपरीत अगर आपने बॉन्ड्स में निवेश कर रखा है तो आपको स्टॉक्स वाले इंडेक्स जैसे निफ्टी फिफ्टी, सेंसेक्स इंडेक्स जैसे ETF funds में निवेश करना चाहिए।


ETF में निवेश करना एक निवेशक के लिए अच्छा और सुरक्षित निवेश माना जा सकता है, अगर आप अच्छी रिसर्च करके और संभावित जोखिमों को समझते हुए इसमें निवेश करें तो आपको अपने निवेश पर अच्छे रिटर्न्स प्राप्त हो सकते हैं।


ETF फ़ायदे | ETF Benefits:


एक निवेशक के लिए, ETF में निवेश करने पर म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले में ज्यादा फायदे मिलते हैं, उदाहरण के तौर पर, जैसे:


कम लागत का लगना:

ETF फंड्स में निवेश करने पर आपका एक्सपेंस रेश्यो, म्यूचुअल फंड्स की तुलना में काफी कम लगता है, जिससे आपको कुल रिटर्न्स की राशि में फायदा होता है।


लिक्विडिटी:

ETF के सीधे तौर पर एक्सचेंज पर ट्रेड होने के कारण निवेशकों द्वारा इसमें दिन भर खरीद-बेच लगा रहता जिससे इसमें लिक्विडिटी भी अच्छी खासी होती है। 


डायवर्सिफिकेशन:

जब आप अपने पोर्टफोलियो में ETF फंड्स को शामिल करते हैं, तो इससे आपको डाइवर्सिफिकेशन मिलता है मतलब आप अलग स्टॉक्स, बॉन्ड्स, कमोडिटी, करेंसी में निवेश करने के बजाय सीधे इनसे जुड़े ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं, जिससे आपके पोर्टफोलियो में विभिन्न प्रकार के असेट्स शामिल हो जाएंगे।


ETF जोख़िम | ETF Risk:


हालांकि, ETF फंड्स में निवेश करने में कुछ जोख़िम भी शामिल हैं, जैसे:



सटीकता से ट्रैक ना कर पाना:


ETF में निवेश करने पर आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि यह इंडेक्स को पूरी तरह ट्रैक करते हुए, उसके बराबर रिटर्न्स निकाल सकते हैं, इनमें कुछ काम या ज्यादा हो सकता है। निवेशक को अपनी उम्मीद के मुताबिक रिटर्न्स प्राप्त करने में असफलता भी मिल सकती है।


रिटर्न्स पर टैक्स प्रभाव:


ETF में अलग अलग ईटीएफ फंड के हिसाब से अलग अलग टैक्स लगाया जाता है।


जैसे, अगर आपने इक्विटी ईटीएफ में निवेश किया है और इसमें आपको मुनाफा हुआ है तो जब आप इसे बेचने जाएंगे, मान लीजिए आपने निफ्टी बीस के शेयर्स खरीदे और इस पर होनेवाले मुनाफे को आपने 3 साल तक होल्ड किया, तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के अनुसार ₹1,00,000 तक के मुनाफे पर छूट और उससे ज्यादा राशि पर 10% के हिसाब से टैक्स लगेगा।

जबकि, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के मामले में यह दर 15% हो जाएगी साथ ही जो सरकारी अन्य खर्च भी लगेगा। 

नोट: LTCG - एक साल से ज्यादा समय तक होल्ड किया जाए, तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।

STCG - 12 महीने के अंदर अंदर यदि मुनाफे को बुक किया जाए, तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।


जबकि, अन्य ETFs मतलब गोल्ड ईटीएफ, डेट ईटीएफ, बॉन्ड्स ईटीएफ आदि में निवेश करने पर LTCG पर 20% और STCG पर आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होता है।




ETF fullform in hindi:


ETF (Exchange-Traded Fund) ka poora naam hota hai "विनिमय-व्याप्त निधि"। यह एक ऐसा सुरक्षा (security) है जो किसी इंडेक्स, समूह (basket) के संपत्तियों या कमोडिटी का पीछा करती है। ETFs को शेयरों की तरह एक्सचेंज पर व्यापारित किया जाता है, और उनके भाव दिनभर में बदलते रहते हैं।


ETF (Exchange-Traded Fund) को हिंदी में "विनिमय-व्याप्त निधि" कहते हैं। ETF एक ग्रुप होता है, यूं समझें कि यह एक टोकरी है, जिसमें अलग अलग स्टॉक्स या बॉन्ड्स या कमोडिटीज का एक झुंड होता है जिसमें निवेशक निवेश करता है, और यह उससे जुड़े बेंचमार्क इंडेक्स को ट्रैक करते हुए निवेशक को उसी के मुताबिक कुछ कम या ज्यादा रिटर्न्स निकालकर देता है।


ETFs हमारे देश में सन् 2001 में पहला ईटीएफ फंड "निफ़्टी बीस" , जिसे बेंचमार्क म्यूचुअल फंड द्वारा लॉन्च किया गया था। यह ETF निफ़्टी फिफ्टी के इंडेक्स को ट्रैक करता है और NSE में लिस्टेड है।


हमारे देश में ETFs की शुरुआत बहुत ही धीमी रही, सिर्फ कुछ गिनती के हो ईटीएफ लॉन्च किए गए हालांकि, जब बाज़ार में आने वाले सालों में तेजी देखी गई, तो 2010 तक NSE पर 50 से भी ज्यादा ETFs लिस्ट हो चुके थे।


ETFs के कम लागत के होने, इनमें खरीदने और बेचने में आसानी होने और रेगुलेटरी द्वारा ETF को मिलने वाले सपोर्ट की वजह से बाजार में इसकी प्रसिद्धि बढ़ती जा रही है।


हाल के समय में 200 से भी अधिक ETFs NSE में लिस्टेड हैं। भारत में ETF के अंदर आने वाले एसेट्स जो सन् 2002 में ₹16 करोड़ से शुरू हुए थे 2021 में इनकी कीमत ₹3.16 लाख करोड़ रुपए हो गई है।



ETF meaning in hindi | ETF हिंदी में:


ETF को हिंदी में कहते हैं -


एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF)

शेयर बाजार में कारोबार किए जाने वाले फंड (ETF)

इंडेक्स फंड (ETF)

विविधतापूर्ण निवेश (ETF)



ETFs से संबंधित कुछ अन्य शब्द:


इंडेक्स फंड - यह एक तरह का म्यूचुअल फंड है जो किसी इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करता है और उसी के जैसे कुछ कम या ज्यादा रिटर्न्स निकालकर देता है।


नेट एसेट वैल्यू (NAV) - NAV, ETF के एक शेयर का मूल्य होता है जिसे निकालने के लिए आपको ETF में शामिल संपत्तियों के कुल मूल्य को ETF के कुल शेयर्स की संख्या से डिवाइड करना होता है।


ट्रैकिंग एरर - यह एक ETF फंड और जिस इंडेक्स को फंड ट्रैक कर रहा है उनके प्रदर्शन के बीच का अंतर होता है।


ETF ट्रेडिंग फीस - यह ईटीएफ को खरीदने और बेचने के लिए निवेशकों द्वारा चुकाया जाने वाला शुल्क होता है।




ETFs के प्रकार | Types of ETF



1. इक्विटी ETF:


इक्विटी ETF में हमारे देश में निफ़्टी बीस ETF एक अच्छा विकल्प है, जिसके माध्यम से निवेशक निफ्टी फिफ्टी की टॉप 20 कंपनी के शेयर में निवेश कर सकता है।


इक्विटी ETF निफ्टी बीस में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है, एक आम निवेशक के लिए वह इसलिए क्योंकि निफ़्टी बीस ETF एक यूनिट की प्राइस ???? में निवेश का धन देश की इंडेक्स की टॉप 20 कंपनी में निवेश होता है, निफ्टी बीस के माध्यम से।



2. गोल्ड ETF:


गोल्ड ETF कहते हैं गोल्ड एक्सचेंज फंड को जो निवेश के लिए गोल्ड में निवेश का बेहतर विकल्प है।


बढ़ती महंगाई दर के कारण अपने रिस्क को मैनेज करने के लिए निवेशक और म्यूचुअल फंड भी अब गोल्ड ETF में अपनी निवेश को बढ़ा रहे हैं।


एक समझदार निवेशक अपना एक बेहतर पोर्टफोलियो बना कर रखता है, जिसे वह समय और स्थिति के हिसाब से उसी में परिवर्तन करता है।


एक अच्छा पोर्टफोलियो शेयर, बॉन्ड्स, ETF गोल्ड के मिश्रण से बनता है, जिसके माध्यम से निवेशक अपने कैपिटल को मैनेज करता है।



3.बॉन्ड ETF:


बॉन्ड्स से जुड़े ETFs किसी विशेष प्रकार के बॉन्ड इंडेक्स को देखते हुए काम करते हैं, जैसे, 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड इंडेक्स।



उदाहरण के लिए, निफ़्टी भारत बॉन्ड ईटीएफ, जो 10 साल या उससे ज्यादा की मेच्योरिटी वाले बॉन्ड्स के ग्रुप के इंडेक्स मतलब निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स को ट्रैक करता है।



4.इंडेक्स ETF:


इंडेक्स ईटीएफ इक्विटी ईटीएफ की ही तरह विशेष स्टॉक्स के इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करता है।



5.सेक्टोरल ETF:


इस प्रकार के ETFs अर्थव्यवस्था से जुड़े किसी विशेष सेक्टर के प्रदर्शन को ट्रैक करते हुए चलता है जैसे आईटी या हेल्थकेयर।


उदाहरण के तौर पर, आप निफ्टी आईटी ETF को देखें जो निफ्टी आईटी इंडेक्स को फ़ॉलो करता है जिसमें इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टॉक्स शामिल हैं।



6.थेमेटिक ETF:


जैसा की नाम ही बता रहा है की इस प्रकार के ETFs किसी एक विशेष थीम से जुड़े स्टॉक्स के इंडेक्स को फ़ॉलो करता है जैसे, क्लीन एनर्जी।


उदाहरण के लिए आप निफ्टी क्लीन एनर्जी ETF को देखें जो निफ्टी क्लीन एनर्जी इंडेक्स को फ़ॉलो करता दिखता है जिसमें एनर्जी सेक्टर के स्टॉक्स होते हैं।



7.लीवरेज ETF:


लीवरेज ETF फंड्स अपने रिटर्न्स को बढ़ा चढ़ाकर प्रदान करने वाले होते हैं। उदाहरण के तौर पर समझें निफ्टी फिफ्टी 2× लीवरेज ETF  जो निफ़्टी फिफ्टी इंडेक्स के रिटर्न्स का दोगुना निवेशकों को प्रदान करने की कोशिश करता है। 



8.इनवर्स ETF:


यह किसी विशेष बाज़ार इंडेक्स के प्रदर्शन से विपरीत ट्रैक करने वाले ETFs होते हैं, मतलब जिस इंडेक्स के प्रदर्शन को यह ट्रैक करते हैं, अगर वह ऊपर जाता है तो ETF एक्सचेंज पर नीचे जाएगा और अगर वह नीचे जाएगा तो ETF ऊपर जाता है।


उदाहरण: निफ़्टी फिफ्टी इनवर्स ETF।



ETF से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य | ETF facts 



भारत में पहला ETF सन् 2001 में बेंचमार्क म्यूचुअल फंड द्वारा निफ्टी इंडेक्स फंड के नाम से लॉन्च हुआ था।


मार्च 2023 तक, NSE और BSE एक्सचेंज पर 200 से भी अधिक ETFs लिस्ट हो चुके हैं।


मार्च 2023 तक, भारत में ट्रेड होनेवाले ETFs का कुल AUM ₹2.9 ट्रिलियन था।



भारत में सबसे ज्यादा प्रचलित इक्विटी ETF हैं, जो निफ्टी और सेंसेक्स के स्टॉक इंडेक्स को ट्रैक करते हैं।


भारत में इक्विटी ईटीएफ के अलावा और भी जैसे, डेट ईटीएफ, बॉन्ड्स ईटीएफ, कमोडिटीज ईटीएफ और इंटरनेशनल ईटीएफ भी उपलब्ध हैं।


ETFs ऐसे निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है जो किसी विशेष इंडेक्स या एसेट क्लास के प्रदर्शन को ट्रैक करना चाहते हैं।


ETFs का म्यूचुअल फंड्स की तुलना में एक्सपेंस रेश्यो बहुत कम होता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह पैसिव रूप से मैनेज किए जाते हैं, हालांकि म्यूचुअल फंड्स को एक्टिव रूप से मैनेज किया जाता है।


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