Balance sheet kya hai | बैलेंस शीट क्या है

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Balance sheet kya hai | बैलेंस शीट क्या है:

By Javed / September 10, 2023:


बैलेंस शीट, एक कंपनी की फाइनेंशियल स्टेटमेंट की रिपोर्ट बताती है की कंपनी के पास कितने एसेट्स (संपत्तियां) हैं और उसपर क्या क्या लायबिलिटीज (देनदारियां) हैं और इसमें वर्तमान समय में शेयरहोल्डर्स की कितनी इक्विटी मौजूद है। एक निवेशक के लिए किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट की जांच करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी जांच से वह कंपनी के पूंजी के उपयोग को समझ सकता है और इसके आधार पर विभिन्न रेश्यो की खुद से गणना कर सकते हैं जिससे निवेश के बेहतर डिसीजन लेने में निवेशकों को मदद मिलेगी।


इसे सरल भाषा में समझें, बैलेंस शीट एक कंपनी के ऊपर कर्ज और उसकी कुल संपतियों को दिखाती है जिनके आधार पर निवेशक और एनालिस्ट अलग अलग रेश्यो की गणना कर सकते हैं।



Balance sheet kya hai | बैलेंस शीट क्या है

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| शीर्षक | Balance sheet kya hai | बैलेंस शीट क्या है  |


| श्रेणी | बिजनेस |


| विवरण | बैलेंस शीट क्या है, बैलेंस शीट में क्या आता है, कैसे बनती है आदि। |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत | 


बैलेंस शीट का मतलब क्या होता है?


बैलेंस शीट किसी भी कंपनी द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली तीन महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स में से एक है जिसके उपयोग से आप कंपनी के बिजनेस की वैल्यू को निकाल सकते हैं।


बैलेंस शीट में एसेट्स के बराबर कुल लायबिलिटी और शेयरहोल्डरों की कुल इक्विटी होती है।


बैलेंस शीट का उपयोग निवेशकों और कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस करने वालों द्वारा किया जाता है विभिन्न रेश्यो को कैलकुलेट करने के लिए जैसे, Debt-Equity Ratio, ROE, ROCE, ROA आदि।


बैलेंस शीट कैसे काम करती है | How Balance Sheets Work:


जैसा की हमने अभी समझा की एक कंपनी की वित्तीय स्थिति को समझने में उसके द्वारा जारी की जाने वाली तीन रिपोर्ट्स में, जिनमें बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट और कैशफ्लो स्टेटमेंट शामिल होती हैं, से बैलेंस शीट से निवेशकों को यह पता चलता है कि कंपनी के ऊपर वर्तमान समय में कितना कर्ज़ और देनदारी है, इसमें शेयरहोल्डर्स की इक्विटी कितनी है और क्या इसकी संपत्तियां इसके बराबर हैं। 


हालांकि, कंपनी के बिजनेस में क्या उतर चढ़ाव चल रहा है, इसे समझने के लिए आपको वर्तमान समय की बैलेंस शीट को इसके पहले के समय की रिपोर्ट्स के साथ जांच करना होगी जिससे आपको कंपनी के बिजनेस का ट्रेंड का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी की कंपनी का बिजनेस कैसा प्रदर्शन कर रहा है और भविष्य में कैसा रहेगा।


निवेशकों को इन रिपोर्ट्स की जांच करते समय अर्निंग्स जिनका लिंक दिया गया हो बैलेंस शीट में, सभी डाटा को बहुत ही अच्छे से जांचना चाहिए जिससे उन्हें कंपनी में चल रहे सिस्टम का इनसाइट मिल सके, की बैलेंस शीट में पारदर्शिता है या किसी प्रकार की कुछ मिसिंग या मिसलीडिंग ट्रांजेक्शन तो नहीं।



बैलेंस शीट निम्नलिखित सूत्र के अनुसार होती है, जिसमें एक तरफ कंपनी की सभी संपत्तियां शामिल होती हैं और दूसरी तरफ कंपनी की लायबिलिटी जिनमें शेयरहोल्डर्स की इक्विटी को जोड़ा जाता है, फिर इन्हें बैलेंस किया जाता है, इस कारण यह बैलेंस शीट कहलाती है। 



संपत्तियां = देनदारियां + शेयरहोल्डर्स की इक्विटी 

(Assets=Liabilities+Shareholders’ Equity)



यह फॉर्मूला साबित करता है कि जब भी एक कंपनी अपने बिजनेस को चलाने के लिए किसी भी प्रकार की संपत्ति खरीदती है तो इसके लिए या तो उसे पूंजी उधार लेना पड़ता है जिससे लायबिलिटी बढ़ती हैं और या फिर निवेशकों से लेती है जिससे शेयरहोल्डर्स को इक्विटी देनी पड़ती है, इस तरह से दोनों तरफ बराबर बैलेंसिंग होती है।


इसे एक उदाहरण से समझते हैं, 


चलिए मान लीजिए, एक कंपनी है ABC Ltd. जिसने

xyz बैंक से पांच - वर्षीय लोन लिया ₹200,000 का, इससे उसके एसेट कॉलम में कैश अकाउंट में ₹200,000 रुपए से बढ़त होगी और साथ ही लायबिलिटी कॉलम में लॉन्ग टर्म डेट अकाउंट भी ₹200,000 से बढ़ जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप दोनों कॉलम बैलेंस हो जाएंगे।


इसी तरह यदि यह कंपनी अपने निवेशकों से ₹500,000 की पूंजी लेती है तो इसके एसेट्स में और इसके शेयरहोल्डर्स इक्विटी में इतनी पूंजी की बढ़त दर्ज की जायेगी। इसके साथ ही कंपनी जितना ज्यादा रेवेन्यू जनरेट करती है उसमें से खर्चों को निकालने के बाद यह सारा पैसा शेयरहोल्डर्स के इक्विटी में जाएगा। इन सभी रेवेन्यू को कंपनी के बैलेंस शीट के एसेट वाले कॉलम में कैश, निवेश, इन्वेंटरी और दूसरे एसेट्स के रुप में लिखी जाती हैं।



अगर आप किसी कंपनी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपको उसकी बैलेंस शीट की जांच के साथ उसी सेक्टर या इंडस्ट्री के दूसरे बिजनेस की बैलेंस शीट से भी तुलना करना चाहिए जिससे आपको बेहतर निवेश करने में मदद मिलेगी।


ज़रूरी बात:


जैसा की आपने ऊपर पढ़ा की बैलेंस शीट में एसेट्स, लाइबिलिटी और शेयरहोल्डर्स की इक्विटी से जुड़ी जानकारी आपको मिलती है, जिसमें एसेट्स हमेशा लायबिलिटी और शेयरहोल्डर्स इक्विटी के जोड़ के बराबर होना चाहिए। इसे हम यह भी पता चलता है की अगर किसी कंपनी की बैलेंस शीट बराबर नहीं है तो कुछ न कुछ समस्याएं हैं जिसमें गलत डाटा का लिखना, इन्वेंटरी में किसी प्रकार की त्रुटी का होना या गलत गणनाएं होना शामिल हैं।


एक कंपनी के फाइनेंशियल रिपोर्ट्स में अलग अलग प्रकार के छोटे छोटे अकाउंट्स भी शामिल होते हैं जो विभिन्न सेक्टर में विभिन्न हो सकते हैं, जो बिजनेस की प्रकृति क्या है उसपर निर्भर करता है। जैसे, टेक्नोलॉजी सेक्टर में आपको एफएमसीजी सेक्टर से या प्रोडक्शन सेक्टर से अलग अकाउंट्स मिल सकते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य कंपोनेंट्स होते हैं जिनसे हर प्रकार के निवेशक ने कभी ना कभी सामना किया होगा।


बैलेंस शीट आपको क्या बताती है | What Does a Company Balance Sheet Tell You?

 

बैलेंस शीट में क्या आता है | Components of a Balance Sheet:


संपत्तियां(Assets):


संपत्तियों के कॉलम में लिखे जाने वाले सभी अकाउंट अपनी लिक्विडिटी मतलब नगद में तब्दील होने की क्षमता के अनुसार लिखे जाते हैं जैसे, करेंट एसेट्स जिन्हें एक साल के अंदर नगद में बदला जा सकता है वह सबसे ऊपर लिखे जायेंगे उसके बाद लंबी अवधि में नगद में बदल जाने वाले अकाउंट्स और फिर नॉन करेंट एसेट्स जिन्हें नगद में तब्दील नही किया जाता है।


करेंट एसेट्स में सामान्यतः लिखे जाने वाले अकाउंट्स, जो इस प्रकार हैं:


नगद (cash) और नगद रूपी (cash equivalents) सबसे अधिक लिक्विड संपत्तियां माने जाते हैं जिनमें शामिल हैं नगद, बैंक बैलेंस, ट्रेजरी बिल्स और डिपॉजिट के शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट्स।


बाज़ार में बेची जा सकने वाली प्रतिभूतियां (Marketable securities) जो इक्विटी और डेब्ट सिक्योरिटीज होती हैं जिन्हें उनके बाज़ार से कभी भी नगद करवाया जा सकता है।


अकाउंट्स रिसिवेबल, जो किसी भी कंपनी को उसके कस्टमर द्वारा दिए गए हों जिस कीमत का कंपनी को ग्राहक से लेना अभी बाकी हो। इसमें ऐसे लोगों के एलाउंस शामिल होते हैं जिनसे कंपनी को समय पर भुगतान करने की उम्मीद नहीं होती है।


इन्वेंटरी में बेचने के लिए उपलब्ध माल को शामिल किया जाता है जो अपने उचित मूल्य से कम या मार्केट प्राइस से कम पर मिलता है।


प्रीपेड खर्चों में वह कीमत शामिल होती है जिनका एडवांस में मतलब अपने भुगतान के समय से पहले ही भुगतान किया जा चुका है जैसे, इंश्योरेंस, एडवरटाइजिंग की लागत और किराया आदि।


लॉन्ग टर्म एसेट्स में विभिन्न संपत्तियां शामिल की जाती हैं जैसे,


लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट, लंबी अवधि में कैश की जाने वाली प्रतिभूतियां।


फिक्स्ड एसेट्स में ऐसी संपत्तियां शामिल होती हैं जिन्हें आप छू और देख सकते हैं और यह नगद में नहीं होती हैं। जैसे जमीन, मशीनरी, इक्विपमेंट, बिल्डिंग्स आदि जिनमें बहुत पैसा लगता है हालांकि इनकी कीमत इनके लगातार इस्तेमाल से समय के साथ घटती जाती हैं।


इंटेंगिबल एसेट्स में वो संपत्तियां आती हैं जिन्हे देखा और छुआ नहीं जा सकता लेकिन महसूस किया जा सकता है और यह कंपनी की वैल्यू बढ़ाती हैं, जैसे कंपनी की गुडविल (अगर है तो)। इन संपत्तियों की कीमत का ऊपरी तौर पर अंदाजा लगाया जाता है, यदि किसी कंपनी का अच्छा खासा नाम हो यह उसकी बैलेंस शीट में गुडविल से दर्शाती जाएगी।


देनदारियां (Liabilities):


एक कंपनी की देनदारियों में उसके द्वारा लिया गया कर्ज, जिसका भुगतान कंपनी द्वारा दूसरे लोगों या पार्टी को करना होता है। जैसे सप्लायर्स के बिल का भुगतान, बॉन्ड्स पर इंटरेस्ट का भुगतान, किराया, यूटिलिटीज, कर्मचारियों की सैलरी, मजदूरों के वेजेस आदि शामिल होते हैं।


इसमें सबसे पहले ऐसी देनदारियों को शामिल किया जाता है जिनका भुगतान का समय एक साल के अंदर हो और फिर लंबी अवधि में चुकाए जाने वाली देनदारियों को लिखा जाता है।


करेंट लायबिलिटी में एक कंपनी के द्वारा भुगतान किया जानेवाला लॉन्ग टर्म का डेट पर जो ब्याज बनता है और जो इसकी राशि कंपनी को चुकानी है उसे इंट्रेस्ट पेबल में शामिल किया जाएगा।


इसके साथ ही इसमें एक साल के अंदर चुकाए जाने वाले सभी खर्च, कर्ज, और बिल आते हैं।


इसके बाद डिविडेंड पेबल, वेजेस पेबल, सेल्स रिटर्न्स , अकाउंट्स पेबल आदि शामिल हैं।


लॉन्ग टर्म लाइबिलिटी में ऐसी देनदारियों को लिखा जाता है जिनका भुगतान इस वर्ष नही बल्कि आने वाले समय में करना हो जैसे, लंबी अवधि के लोन पर ब्याज, कर्मचारियों के पेंशन फंड्स, टैक्सेस जो जिनका भुगतान अगले साल करना होगा आदि।


हालांकि, कुछ देनदारियों को बैलेंस शीट में नहीं लिखा जाता है जैसे,


शेयरहोल्डर्स इक्विटी:

शेयरहोल्डर्स की इक्विटी वह पैसा होता है जो बिजनेस ओनर या शेयरहोल्डर्स द्वारा लगाए गए कैपिटल पर उनके बदले मिलने वाले दाम होते हैं। इन्हें नेट एसेट्स के तौर पर भी जाना जाता है क्योंकि यह कंपनी की संपतियों में से उसकी देनदारियां और उसके लेनदारों को भुगतान किया जाने वाला पैसा हटाकर निकाला जाता है।


रोकी गई अर्निंग्स(retained earnings):


यह वह पूंजी होती है जिसका कंपनी बिजनेस को बढ़ाने में या कर्ज को चुकाने में उपयोग करती है। इसमें जो रकम बचती है वह शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड के रूप में भुगतान कर दी जाती है।


ट्रेजरी स्टॉक्स:


यह कंपनी द्वारा बेचने के बाद वापस खरीदे गए स्टॉक्स होते हैं। जिन्हें भविष्य में जरूरत पड़ने पर कैश उठाने के लिए या किसी जबरन टेकओवर करने वाली कंपनी से बचाव के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।


बैलेंस शीट क्या है और इसका महत्व क्या है | Importance of Balance Sheet:


एक निवेशक के लिए कंपनी में निवेश करने से पहले उसके फाइनेंशियल रिपोर्ट्स की जांच करना बहुत जरूरी है, जिसमें बैलेंस शीट को समझना, उनको पढ़ना, और एनालाइज करना बहुत जरूरी होता है।


सबसे पहला, कंपनी की बैलेंस शीट उसमें क्या जोखिम और फायदे हो सकते हैं इसको जानने में आपकी मदद करती है। इसमें कंपनी के पास क्या क्या संपत्तियां हैं और कितना कर्ज़ है, यह पता चलता है जिसके आधार पर आप जान सकते हैं की कंपनी पर कर्ज ज्यादा है या क्या यह इसका भुगतान करने की क्षमता रखती है या नहीं, क्या उसकी संपत्तियां तुरंत नगद में बदली जा सकती हैं, क्या इसके पास अपने दैनिक कार्यों को करने के लिए नगद उपलब्ध है, आदि। 


दूसरा, इनका उपयोग पूंजी की सुरक्षा के लिए होता है। एक कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ कैसी है, बिजनेस भरोसेमंद है या नहीं, कंपनी अपने कर्ज का भुगतान करने की क्षमता रखता है या नहीं, यह सब आप उसकी बैलेंस शीट की जांच करके समझ सकते हैं।



तीसरा, कंपनी का मैनेजमेंट अपनी कंपनी की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए बैलेंस शीट में दिए गए डाटा से महत्वपूर्ण रेश्यो की गणना कर सकते हैं। इसके लिए वह अलग अलग समय पर अपनी कंपनी का डाटा, और अपने ही सेक्टर की दूसरी कंपनियों के डाटा से तुलना करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।



आखिर में, एक कंपनी की बैलेंस शीट बेहतरीन टैलेंट को अपनी तरफ आकर्षित करती है। जिसमें कर्मचारियों को उनकी जॉब की सुरक्षा मिले, साथ ही अच्छा वातावरण मिले और उन्हें पता हो की कंपनी अच्छी वित्तीय स्थिति में है, तो यह उनमें आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना उत्पन्न करती है।



बैलेंस शीट की कमियां | Limitations of Balance Sheet:


किसी भी कंपनी की हेल्थ चेक करने के लिए उसकी बैलेंस शीट के साथ बाकी रिपोर्ट्स को भी जांचना जरूरी है क्योंकि बैलेंस शीट कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ का सही चित्रण नहीं करती है, यह इसमें कमी है।



एक कंपनी की बैलेंस शीट में प्रदान किया जाने वाला डाटा बहुत ही संकीर्ण होता है मतलब एक तय दिन या तारीख का बैलेंस बताता है, इसका तुलनात्मक रूप नहीं दिखाता है की कंपनी की जरूरत क्या और कितनी है।


बैलेंस शीट में जारी किया गया डाटा विभिन्न अकाउंटिंग सिस्टम में और डिप्रीशिएशन और इन्वेंटरी की गणना के तरीके से अलग अलग हो सकती हैं जिसके कारण कंपनी का मैनेजमेंट बैलेंस शीट में इससे छेड़ छाड़ कर इसे लाभदायक दिखा सकते हैं। बैलेंस शीट के नीचे दिए गए फुटनोट्स में देखें की अकाउंटिंग के लिए कौनसे तरीकों का उपयोग हुआ है जिससे आपको इसमें रेड फ्लैग्स का पता चल सके।


आखिर में, बैलेंस शीट में कंपनी द्वारा कुछ अनुमानित गणनाएं होती हैं जिनका आना या जाना असल में नहीं हुआ होता है बल्कि कंपनी ने डाटा के अनुसार अनुमान लगाया होता है। जैसे, अकाउंट रिसीवेबल की बात करें तो कंपनी बैलेंस शीट में इसकी गणना लिखती है हालांकि असल में कंपनी को वह मिला या नहीं इसका पता नही चलता है।




बैलेंस शीट क्यों आवश्यक है? | Why Is a Balance Sheet Important?


कंपनी द्वारा जारी की जाने वाली बैलेंस शीट का उपयोग अलग अलग निवेशकों और जांचकर्ताओं के साथ ही विभिन्न मैनेजमेंट द्वारा भी किया जाता है, उसके बिजनेस के वित्तीय स्थिति की मजबूती को बेहतर ढंग से समझने के लिए। तीनों वित्तीय रिपोर्ट को साथ में जांचकर एक निवेशक यह जान सकता है की कंपनी का भविष्य में कैसा प्रदर्शन होगा।


बैलेंस शीट में देखकर निवेशक को कंपनी की नेटवर्थ, उसके पास उपलब्ध नगद, उसके कार्यकलापों को करने की क्षमता और कंपनी के ऊपर उसके प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कितना कर्ज़ है यह सब जानकारी प्राप्त कर सकता है और इसके आधार पर अपना निवेश करने का फैसला सही दिशा में ले सकता है।



बैलेंस शीट में क्या आता है | What Is Included in the Balance Sheet?


कंपनी की बैलेंस शीट में कंपनी की संपत्तियां कितनी है और इसपर देनदारियां कितनी हैं, इससे जुड़ी जानकारी शामिल होती है। कंपनी के बिजनेस की प्रकृति के अनुसार अलग अलग कंपनियों की बैलेंस शीट में कुछ कंपोनेंट्स में आप फर्क देख सकते हैं। हालांकि मुख्य एसेट्स और लाइबिलिटी एक जैसे ही होते हैं।


बैलेंस शीट किसे बनाना चाहिए | Who Prepares the Balance Sheet?


बैलेंस शीट का बनाना कंपनी के साइज और उसके नेचर पर निर्भर करता है, हालांकि हर छोटे और बड़े धंधे या बिजनेस को बैलेंस शीट बनाना आवश्यक है। छोटी फर्म्स में बैलेंस शीट फैक्ट्री के ओनर यानी मालिक या बुक कीपर द्वारा बनाई जा सकती है और बड़ी कंपनियों में इसके लिए कंपनी एक अंदरूनी अकाउंटेंट को रखती है जिसके बाद संभवतः बाहरी अकाउंटेंट से जांच करवा सकती है।


हालांकि, बड़े पैमाने पर चलने वाली कंपनियों को पब्लिक अकाउंटेंट्स द्वारा पूरी उचित रूप से जांच करवाना बहुत आवश्यक है। इसके लिए GAAP के लागू किए गए नियम अनुसार बनाना और SEC पर नियमित रूप से फाइल करना जरूरी है।


बैलेंस शीट क्या है और इसका उद्देश्य क्या है? | What Are the Uses of a Balance Sheet?


किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट एक तय समय पर उसकी क्या वित्तीय स्थिति है यह बताती है। जबकि, इनकम स्टेटमेंट एक तय समय में कंपनी की आय से जुड़ी जानकारी देती है और बैलेंस शीट उसकी हेल्थ बताती है।


विभिन्न बैंकों, वित्तीय इंस्टीट्यूशन और कर्ज़ देने वाले कंपनी की बैलेंस शीट का उपयोग करते हैं उसकी वित्तीय स्थिति की जांच करने के लिए जिसके बाद ही वह इन कंपनियों में निवेश करते हैं या इन्हें कर्ज देते हैं।


एक कंपनी अपनी बैलेंस शीट देखकर पूंजी से जुड़े आंतरिक फैसलों में मदद ले सकती है जैसे कैश कितना उपलब्ध है, क्या इसे और पूंजी की आवश्यकता है, यदि है तो कैसे उठाए डेट द्वारा या शेयरहोल्डर्स की इक्विटी द्वारा आदि।


बैलेंस शीट कैसे निकालते हैं?| What Is the Balance Sheet Formula?


कंपनी की बैलेंस शीट में उपयोग किया जाने वाला फॉर्मूला है:

कुल संपत्तियां = कुल देनदारियां + कुल इक्विटी।

(total assets = total liabilities + total equity)


जिसमें, 


कुल संपत्तियां, करेंट एसेट्स, फिक्स एसेट्स और लॉन्ग टर्म एसेट्स को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है।


कुल देनदारियां, कंपनी की सभी करेंट लायबिलिटी और लंबी अवधि के कर्ज़ और दूसरी देनदारियों को जोड़ कर मिलती है।


कुल इक्विटी, नेट इनकम, रिटेंड अर्निंग्स, ओनर के कंट्रीब्यूशन और शेयर्स स्टॉक को जोड़ कर प्राप्त किया जा सकता है।


यह लेख में हमने आपके साथ "बैलेंस शीट क्या है" से जुड़ी जानकारियां सांझा की हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो आप इस ब्लॉग को पुश नोटिफिकेशन बेल दबाकर सब्सक्राइब करें और गूगल न्यूज़ पर भी फॉलो करें जिससे आपको लेटेस्ट अपडेट्स रोजाना प्राप्त होती रहेंगी।

लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद
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