Interest coverage ratio in hindi | इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो

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Interest coverage ratio in hindi | इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो

By Javed / 12 September, 2023:


इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो, जैसा की नाम है, किसी भी कंपनी की उसपर बकाया कर्ज पर जो ब्याज का कंपनी को भुगतान करना होता है, उसकी क्षमता को दर्शाता है। Interest Coverage Ratio जितना ज्यादा हो उतना बेहतर है।

हम Interest coverage ratio in hindi लेख के माध्यम से इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो से जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारियां जैसे ब्याज कवर अनुपात क्या है, अच्छा आईसीआर कितना होता है, आईसीआर कैसे निकाला जाता है, आदि, हम जानेंगे।


Interest coverage ratio in hindi | इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो

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| शीर्षक | Interest coverage ratio in hindi | इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो  |


| श्रेणी | स्टॉक मार्केट |


| विवरण | Interest coverage ratio in hindi | इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो क्या है, अच्छा आईसीआर कितना होता है, आईसीआर कैसे निकाला जाता है, आदि |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत | 


ब्याज कवरेज अनुपात क्या है?


एक कंपनी जब कर्ज लेती है तो उस कर्ज की रकम पर उसे हर साल ब्याज भरना होता है, इसे भरने में कंपनी कितनी सक्षम है, इस क्षमता को ही इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो के रूप में बताया जाता है।


सरल भाषा में कहें तो, इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो कर्ज और मुनाफे से जुड़ा ऐसा अनुपात है जो एक कंपनी की बकाया कर्ज पर ब्याज चुकाने की क्षमता को दर्शाता है।


इसका उपयोग देनदार और निवेशकों द्वारा किसी भी कंपनी की क्षमता को तय करने के लिए किया जाता है कि अगर कंपनी पर अभी कोई कर्ज है या वह भविष्य में उधार लेनेवाली हो तो क्या उसमें इसे भरने की क्षमता है। इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो जितना ज्यादा होता है उतना अच्छा होता है।


निवेशकों को किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले इसकी जांच जरूर कर लेनी चाहिए जिससे उन्हें यह पता चल सके की कंपनी अपने काम को लंबी अवधि में अच्छे प्रदर्शन और बढ़ती ग्रोथ के साथ चला सकती है या नहीं क्योंकि एक कंपनी अगर अपने काम को बेहतर तरीके से कर रही होगी तो वह अपने कर्ज को अच्छे से मैनेज करेगी जिससे भविष्य में भी उसे आवश्यकता पड़ने पर इसमें कोई परेशानी का सामना न करना पड़े, जबकि जिस कंपनी का मैनेजमेंट कंपनी के कर्ज को सही से मैनेज नहीं कर पाता है, वह हर दिन कर्ज के बोझ से दबती जाती है, जिसके कारण कंपनी जितना ज्यादा कर्ज लेती है उतना ज्यादा उसे ब्याज भरना पड़ता है जिसका असर उसके कैशफ्लॉ पर पड़ता है और इससे कंपनी भविष्य में लॉस में जा सकती है। इसलिए ज्यादातर निवेश सलाहकार निवेशकों को ऐसी कंपनियों में निवेश की सलाह देते हैं जो कर्जमुक्त हो या जिसमें कैश कर्ज से ज्यादा हो।


इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो की गणना करने के लिए आपको एक तय समयसीमा में कंपनी की EBIT को उसके ब्याज पर होने वाले खर्च मतलब इंटरेस्ट एक्सपेंस से डिवाइड करना होता है।



Interest Coverage Ratio की मुख्य बातें:


  • ICR का इस्तेमाल कंपनी की कर्ज पर ब्याज भरने की क्षमता को नापने के लिए होता है।
  • इसे एक तय समय सीमा में कमेंट के EBIT को उसके इंटरेस्ट एक्सपेंस से डिवाइड कर निकाला जाता है।
  • आम तौर पर ICR जितना ज्यादा होता है उतना अच्छा माना जाता है, हालांकि हर इंडस्ट्री के हिसाब से यह अलग हो सकता है।



Formula and Calculation of the Interest Coverage Ratio | इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो की गणना के लिए फॉर्मूला :


ICR में कंपनी द्वारा कितने समय के ब्याज का भुगतान अभी मौजूद आय से किया गया है, इसकी जानकारी "कवरेज" में होती है। आसान भाषा में कहें तो, coverage में कंपनी कितनी बार ब्याज भर सकती है इसकी जानकारी देता है।



इसकी गणना के लिए फॉर्मूला इस प्रकार है:


इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो = एबिट / इंटरेस्ट एक्सपेंस

Interest Coverage Ratio = EBIT / Interest Expense


जिसमें, 


EBIT = ब्याज और करों के घटने से पहले की अर्निंग्स।

 

किसी भी कंपनी की एनालिसिस रिपोर्ट में यह रेश्यो जितना कम दिखेगा, आप समझ लें की कंपनी उतना ज्यादा अपने कर्ज़ से जुड़े खर्च मतलब ब्याज चुकाने में अर्निंग्स का उपयोग कर रही है। 


Interest Coverage Ratio Interpretation | आईसीआर आपको क्या बताता है:


जब भी एक निवेशक किसी कंपनी के ब्याज कवर रेश्यो को देखता है, तो इससे उसे कंपनी की वित्तीय स्थिति का हाल ऊपरी तौर पर बहुत ही अच्छे से समझ में आ जाता है जबकि अगर वह उस कंपनी का पिछले कुछ सालों से चले आ रहे इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो को एनालाइज करे तो इससे और बेहतर तरीके से कंपनी की स्थिति को समझ सकता है।


चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं,


मान लीजिए एक कंपनी है ABC Ltd. जिसकी 2020 के पहले क्वार्टर में कुल अर्निंग्स थीं ₹8,00,000 और उसपर कुछ लंबी अवधि का कर्ज है जिसका हर महीने ब्याज का भुगतान किया जाता है ₹50,000 तो, चलिए अब हम इसका ब्याज कवर रेश्यो निकालते हैं-


सबसे पहले हमें महीने के ब्याज को क्वार्टरली बनाने के लिए 3 से गुणा करना होगा जिससे यह बनेगा ₹50,000 × 3 = ₹1,50,000


अब कंपनी का आईसीआर - ₹8,00,000 / ₹1,50,000 = 5.33, जो यह बताता है कि कंपनी में अभी किसी प्रकार की लिक्विडिटी की मतलब पैसों की मुश्किल नहीं है।


निवेशकों को ध्यान में रखना चाहिए की वह ऐसी किसी भी कंपनी में निवेश करने से बचें जिसका आईसीआर 1.5 या इससे कम हो, क्योंकि ऐसी स्थिति में कंपनी को किसी भी देनदार द्वारा पैसा नहीं दिया जाता है क्योंकि यह दर्शाता है की कंपनी अब पैसा चुकाने में बिलकुल असक्षम हो गई है, इसलिए ऐसी स्थिति को बहुत खतरे वाली बताया गया है।


और अगर किसी कंपनी का आईसीआर 1 से कम है तो उसकी अर्निंग्स अगर किसी महीने काम हो जाएं तो उसके दिवालिया होने तक के चांसेज बढ़ जाते हैं।



Types of Interest Coverage Ratios | आईसीआर के प्रकार:


एक निवेशक के लिए ब्याज कवर रेश्यो के EBIT में बदलावों की वजह से दो महत्वपूर्ण प्रकारों पर ध्यान देना आवश्यक है, जो हैं -


EBITDA


EBITDA, जिसमें ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन के घटाने से पहले की अर्निंग्स को लिया जाता है, अगर इसके आधार पर आईसीआर की गणना की जाए तो इसमें EBIT की तुलना में ऊपर का नंबर ज्यादा बड़ा होगा। हालांकि आईसीआर की गणना में इसे इंटरेस्ट एक्सपेंस से डिवाइड करना होगा जो EBIT के मुकाबले में बहुत ज्यादा आईसीआर दिखाएगा।


EBIAT


EBIAT, जो कि ब्याज से पहले लेकिन सभी करों के भुगतान के बाद की अर्निंग्स को दिखाता है। इसके कारण ऊपर की संख्या से टैक्स के भुगतान की कीमत को घटा दिया जाता है जिससे कंपनी के ब्याज खर्चों के भुगतान की सटीकता मिल सके। EBIT की तुलना में इसका उपयोग करना किसी भी कंपनी की ब्याज को कवर करने की क्षमता को ज्यादा बेहतर दिखा सकती है क्योंकि टैक्स बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व होता है। 


Limitations of the Interest Coverage Ratio | आईसीआर में कमियां:


किसी भी निवेशक को निवेश करने से पहले जांच करते समय विभिन्न रेश्यो की खामियों को भी ध्यान में रखना चाहिए और किसी एक को देखते हुए निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए।


बाकी सभी रेश्यो की ही तरह इसमें भी कुछ कमियां हैं, जिन्हें हम आपके साथ सांझा कर रहे हैं:


यह हर इंडस्ट्री में बहुत ही अस्थिर यानी बदलने वाला होता है।

जैसे, यूटिलिटी सेक्टर की कंपनी में अगर आईसीआर मतलब ब्याज कवर रेश्यो 2 भी है तो यह मान्य हो सकता है। 


यूटिलिटी सेक्टर में लगातार होने वाले प्रोडक्शन और रेवेन्यू आने से कम आईसीआर होने पर भी उसे भरोसेमंद माना जा सकता है।


जबकि, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में यह 3 या उससे अधिक होना चाहिए क्योंकि इसमें अचानक बहुत ज्यादा हलचल आ जाती है जैसे ऑटो मैन्युफैक्चरिंग में त्यौहारों के पहले से बहुत मांग बढ़ने से इसमें काम तेज हो जाता है तो कभी मंडी के दौर में बिलकुल ही नीचे चला जाता है। 


इन सभी के चलते जरूरी है की जब भी आईसीआर की तुलना करें तो एक जैसी इंडस्ट्री और एक जैसे बिजनेस मॉडल वाली कंपनी जिनका रेवेन्यू भी ज्यादा अलग ना हो, उनमें करें जिससे आपको सटीक जवाब मिल सके।



इसके अलावा, आईसीआर की गणना में सबसे महत्वपूर्ण है कंपनी का कर्ज, क्योंकि यह भी हो सकता है की कोई कंपनी अपने कुछ कर्ज को ना प्रदर्शित करे। जैसे जो कंपनियां अपने आईसीआर को दिखाती हैं उन्होंने कौनसे कर्ज के आधार पर इसकी गणना की है या क्या सभी तरह के डेब्ट्स को शामिल किया गया है यह देखना बहुत जरूरी है।



What Is a Good Interest Coverage Ratio? | एक अच्छा ब्याज कवरेज अनुपात क्या है?

 

1 से ऊपर रेश्यो यह दिखाता की कंपनी अपने कर्ज के खर्चों को अपनी अर्निंग्स से मेंटेन कर सकती है। जबकि निवेशकों और एनालिस्टों द्वारा आईसीआर 1.5 को मान्यता के लिए सबसे कम और 2 या उससे अधिक को अच्छा माना गया है। हालांकि जिन कंपनियों के रेवेन्यू में बहुत ज्यादा और जल्दी बदलाव होता रहता है, उनके लिए यह अच्छा नहीं माना जा सकता बल्कि उनके लिए आईसीआर का 3 से अधिक होना आवश्यक है।


What Does a Bad Interest Coverage Ratio Indicate?| एक बुरा ब्याज कवरेज अनुपात क्या है?


एक निवेशक के लिए किसी भी कंपनी का आईसीआर यदि 1 से कम है तो वह बुरा है क्योंकि यह दर्शाता है की कंपनी का रेवेन्यू उसके कर्ज को चुकाने के लिए काफी नहीं है जिसके कारण कंपनी और कर्ज लेगी जिससे उसके भविष्य में दिवालिया होने तक की स्थिति बन सकती है। 


Interest coverage ratio FAQs | ब्याज कवर अनुपात सवाल और जवाब:


आप ब्याज कवरेज अनुपात की गणना कैसे करते हैं?

ब्याज कवरेज अनुपात की गणना करने के लिए निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत आने वाले अर्निंग्स बिफोर इंटरेस्ट एंड टैक्स EBIT को ब्याज खर्च मतलब इंटरेस्ट एक्सपेंस से विभाजित कर निकाला जाता है।


ब्याज कवर अनुपात क्यों घटेगा?

अगर किसी कंपनी पर कर्ज है और वह और अधिक कर्ज लेती है, इससे उसके ब्याज की रकम में बढ़ोतरी होगी जिससे ब्याज कवर अनुपात घटेगा यदि रेवेन्यू एक जैसा रहता है तो।


क्या ब्याज कवरेज नकारात्मक हो सकता है?

अगर ब्याज कवरेज एक से कम है तो यह बहुत बुरी स्थिति को दिखाता है जिसमें कंपनी के राजस्व में कमी और कर्ज़ की बढ़त की वजह से कंपनी के दिवालिया हो जाने तक की स्थिति को पहुंच सकती है।


क्या उच्च ब्याज कवरेज अनुपात बेहतर है?

सामान्य स्थिति में 2 या उससे उच्च ब्याज कवरेज अनुपात बेहतर है, जबकि जिन कंपनियों के राजस्व में जल्दी और ज्यादा बदलाव होते हैं मतलब वह वोलेटाइल होती हैं तो ऐसे में 3 से अधिक आईसीआर को अच्छा माना जाता है।



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