Value investing ke 10 niyam | वैल्यू इन्वेस्टिंग के 10 नियम

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Value investing ke 10 niyam | वैल्यू इन्वेस्टिंग के 10 नियम 

By Javed / 13 September, 2023:

वैल्यू इन्वेस्टिंग क्या है और वैल्यू इन्वेस्टिंग के क्या फायदे हैं यह अगर कोई सीखले और वैल्यू इन्वेस्टिंग के प्रिंसिपल्स मतलब नियम को समझ ले और उन्हें सही तरीके से फॉलो करे तो कोई भी व्यक्ति आसानी से अपने लिए बहुत ज्यादा संपत्ति बना सकता है। 


वैल्यू इन्वेस्टिंग एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को कहा जाता है, जिसके अंदर अच्छी कंपनी के स्टॉक को ढूंढकर लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाता है। जैसे समय के साथ कंपनी ग्रोथ करती है, उसके स्टॉक की प्राइस भी बढ़ती है, जिससे निवेशक को भी कंपनी के साथ लाभ होता है।


वैल्यू इन्वेस्टिंग में समय के साथ आपके द्वारा किया गया इन्वेस्टमेंट बहुत तेज गति से कंपाउंड होता है जिससे आपकी संपत्ति लगातार बढ़ती जाती है। बस इसके लिए आपको अपने धन को किसी ऐसी जगह निवेश करना होता है जहां कंपाउंडिंग इफेक्ट काम करता हो और कहां आप निवेश कर रहे हो उसका CAGR कम से कम 12% से 15% पर की सालाना ग्रोथ का हो, जिससे आपकी इन्वेस्टमेंट पर इनफ्लेशन का असर ना हो। जिस तरह निवेश समय के साथ बढ़ता है उसी तरह इनफ्लेशन भी बढ़ता है। इनफ्लेशन की वजह से हमेशा रुपए की वैल्यू हर दिन कम होती है, इसलिए आपके इन्वेस्टमेंट की 12% से 15% सालाना ग्रोथ तो होना चाहिए।


Value investing ke 10 niyam | वैल्यू इन्वेस्टिंग के 10 नियम

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| शीर्षक | वैल्यू इन्वेस्टिंग के 10 नियम  |


| श्रेणी | इंवेस्टमेंट |


| विवरण | वैल्यू इन्वेस्टिंग के 10 नियम, वैल्यू इन्वेस्टिंग एनालिसिस कैसे करें |


| वर्ष | 2023 |


| देश | भारत | 


वैल्यू इन्वेस्टमेंट एनालिसिस कैसे करें:


वैल्यू इन्वेस्टिंग के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम है इन्वेस्टिंग के लिए कुछ अच्छे स्टॉक्स का चुनाव जिनकी भविष्य में अच्छी ग्रोथ की संभावना हो। कंपनी किसी ऐसे सेक्टर में काम कर रही हो जो भविष्य में बहुत उपयोगी हो, कंपनी जो प्रोडक्ट या सर्विस बेचती हो उसकी मांग लगातार बढ़ने वाली हो जिससे कंपनी अच्छा रेवेन्यू कमाती हो और अच्छे प्रॉफिट कमा कर कंपनी के बढ़ने की बहुत ज्यादा उम्मीद हो।

किसी भी अच्छी कंपनी की तलाश के लिए निवेशक एक कंपनी के फंडामेंटल्स की जांच करते हैं और कंपनी की बैलेंस शीट, कैशफ्लो स्टेटमेंट और प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट को बारीकी से पढ़ते हैं और कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में जानने की कोशिश करते हैं जिससे भविष्य के बारे में अनुमान लगाया जा सके।


वैल्यू इन्वेस्टिंग के 10 नियम:


1. P/E रेश्यो | कम प्राइस टू अर्निंग्स रेश्यो:

वैल्यू इन्वेस्टिंग में निवेश करने के लिए सबसे पहले p/e रेश्यो को देखते हैं। P/E Ratio यह बताता है कि कंपनी का स्टॉक प्रति शेयर पर कितनी कमाई करता है। PE Ratio के माध्यम से निवेशक स्टॉक की सही कीमत का पता करते हैं। P/E रेश्यो के माध्यम से पता चलता है की स्टॉक अभी ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड। P/E रेश्यो का मतलब होता है प्राइस टू अर्निंग्स रेश्यो, जिसके बारे में इन्वेस्टिंग की बड़ी किताब जैसे इंटेलिजेंट इन्वेस्टर में लेखक ने PE रेश्यो के महत्व को समझाया है। हमारे इस ब्लॉग पर भी बहुत डीटेल में लेख मौजूद है जिसे आप जाकर पढ़ सकते हैं।


2. कैशफ्लो| लो प्राइस टू कैशफ्लो:

जब कोई निवेशक किसी भी कंपनी का एनालिसिस करता है तब वह कंपनी के कैशफ्लो की रिपोर्ट को अच्छे से जांचता है। कंपनी अपने प्रोडक्ट को बेचकर जो रेवेन्यू कमा रही है, उसे किन जगहों पर खर्च कर रही है, यह जानने के लिए वह कैशफ्लो स्टेटमेंट को देखता है। कुछ कंपनियां कमाई तो बहुत अच्छी करती हैं, लेकिन कंपनी का मैनेजमेंट सही न होना या फिर कंपनी पर जरूरत से ज्यादा कर्ज़ होना बड़ी समस्या होता है, जो कंपनी की ग्रोथ के रुकने का कारण बनता है , इसलिए निवेशक कैशफ्लो के माध्यम से भविष्य की ग्रोथ का अनुमान लगाते हैं। अच्छी कंपनी के पास हमेशा पर्याप्त कैशफ्लो होता है और वह इसका कुछ हिस्सा अपने शेयर धारकों को डिविडेंड के रूप में देती है। अपनी कमाई को और कंपनी को और बढ़ाने  के लिए सही से निवेश करती है, अच्छी कंपनी कर्जमुक्त होती है जिससे उनके पास पर्याप्त कैशफ्लो होता है।


3. लो प्राइस टू बुक वैल्यू:


बुक वैल्यू भी बहुत महत्वपूर्ण है वैल्यू इन्वेस्टिंग के लिए। जब कोई निवेशक अपने लिए अच्छा शेयर तलाशता है और उसमे निवेश करना चाहता है, तब वह कंपनी के शेयर को या तो उसकी बुक वैल्यू से कम कीमत या उसके पास की कीमत पर खरीदने की कोशिश करता है। वैल्यू इन्वेस्टर ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह जो स्टॉक खरीद रहा है वह उसे एक सही कीमत पर खरीदे और फिर होल्ड करता है, जब स्टॉक की कीमत बढ़ती है तो वह मुनाफा कमा कर बेचता है जिससे निवेशक को लाभ होता है। बुक वैल्यू क्या है , इसपर पूरी डिटेल में जानकारी ब्लॉग पर माजूद लेख में है जिसे आप पढ़ सकते हैं।


4. कंपनी की वैल्यू | value of the company:


हर कंपनी के स्टॉक की एक वैल्यू होती है। शेयर बाजार में हमेशा उतर चढ़ाव होता है जिस कारण से स्टॉक की प्राइस घटती बढ़ती रहती है। कभी कोई कंपनी अपनी इंट्रिंसिक वैल्यू से ज्यादा की कीमत पर होती है और कभी बाजार में गिरावट की वजह से या किसी और वजह से स्टॉक की कीमत कम होती है। जिससे अच्छी कंपनी के स्टॉक भी इंट्रिंसिक वैल्यू पर मिलते हैं। इंट्रिंसिक वैल्यू का पता निवेशक को कंपनी के एसेट, अर्निंग और कैशफ्लो से लगता है।


5. फाइनेंशियल मजबूती :


एक अच्छी कंपनी हमेशा मजबूत फाइनेंशियल स्थिति में होती है। निवेशक किसी भी कंपनी के स्टॉक का एनालिसिस करते हैं तो कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट को अच्छे से पढ़कर और समझकर हमेशा एक मजबूत फाइनेंशियल स्थिति वाली कंपनी जिसकी बैलेंस शीट में पॉजिटिव कैशफ्लो दिखता हो, हमेशा लायबिलिटी से ज्यादा एसेट होती है, जो यह दर्शाता है की कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति मजबूत है।


6. कैटलिस्ट फॉर रिकॉग्निशन:


जब भी कोई निवेशक किसी कंपनी में निवेश करता है तो वह कंपनी के प्रोडक्ट या मैनेजमेंट को देखकर कंपनी के स्टॉक में निवेश करता है। वह ऐसा इसलिए करता है की कंपनी भविष्य में अच्छा प्रदर्शन क्यों करेगी, इसका जवाब है, जैसे कोई आम निवेशक किसी कंपनी का स्टॉक उसके प्रोडक्ट की वजह से खरीदता है या फिर कंपनी आनेवाले दिनों में ऐसा प्रोडक्ट बाजार में लानेवाली है जिसकी बाजार में बहुत डिमांड होने वाली है। कंपनी के पास उस प्रोडक्ट या सर्विस का पेटेंट है, जिससे कंपनी भविष्य में बहुत ग्रोथ करेगी। 

इसी तरह कंपनी का मैनेजमेंट भी बहुत जरूरी है। किसी अच्छी कंपनी को भी खराब मैनेजमेंट बर्बाद कर सकता है और डूबती कंपनी को अच्छी स्थिति में एक अच्छा मैनेजमेंट ला सकता है। इसलिए निवेशक ऐसी कंपनी में निवेश करते हैं जिसका मैनेजमेंट बहुत अच्छे और अनुभवी लोग संभाल रहे हों। इसलिए किसी भी स्टॉक में निवेश से पहले मैनेजमेंट को देखना और अगर आप प्रोडक्ट को देख कर निवेश कर रहे हो तो यह देखें की कंपनी वह प्रोडक्ट बेचकर अपने रेवेन्यू का कितना प्रतिशत कमाती है, जिससे अंदाजा लगाया जा सके की प्रोडक्ट का कंपनी की ग्रोथ पर कितना असर होगा।


7. मार्जिन ऑफ सेफ्टी: 


मार्जिन ऑफ सेफ्टी एक वैल्यू इन्वेस्टर के लिए सुरक्षा कवर होता है। एक वैल्यू इन्वेस्टर हमें स्टॉक को इंट्रिसिक वैल्यू पर ही खरीदता है। स्टॉक का मार्केट प्राइस हमेशा बदलता है जैसे जब स्टॉक ओवर वैल्यूड होते हैं और जब मार्केट गिरता है या की अन्य कारण से स्टॉक के प्राइस अंडर वैल्यूड हो जाते हैं। वैल्यू इन्वेस्टर हमेशा अंडरवैल्यूड पर ही स्टॉक को खरीदते हैं।


उदाहरण के लिए कोई कंपनी है जिसकी इंट्रिसिक वैल्यू ₹100 की है और मार्केट प्राइस ₹80 हैं वैल्यू इन्वेस्टर उसे उसकी इंट्रिंसिक वैल्यू से ₹20 कम पर खरीदता है। जिससे निवेशक को कम कीमत पर ज्यादा कीमत की चीज मिलती है जिसे मार्जिन ऑफ सेफ्टी कहा जाता है।

एक निवेशक एंट्री के साथ अपनी एग्जिट भी प्लान करता है। निवेशक जो स्टॉक खरीद रहा है और वह स्टॉक यदि उसके अनुमान के उल्टी दिशा में जाता है तो वह कितना लॉस झेल सकता है, अपने कैपिटल के हिसाब से वह एग्जिट भी प्लान करता है।

वैल्यू इन्वेस्टिंग में स्टॉक के मार्केट प्राइस के ऊपर या नीचे जाने से निवेशक को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि निवेशक ने कंपनी के बिजनेस में निवेश किया है और बिजनेस समय के साथ और ज्यादा ग्रोथ करेगा , निवेशक अपने पोर्टफोलियो में अच्छी ग्रोथ वाले स्टॉक को ज्यादा खरीदता है। जिस भी कंपनी के प्रोडक्ट या बिजनेस समय के साथ थम जाते हैं जैसे रेवेन्यू कम होना, प्रोडक्ट की बिक्री कम होने के कारण, मैनेजमेंट में बदलाव होने के कारण, निवेशक स्टॉक से बाहर होता है।

मार्जिन ऑफ सेफ्टी के फायदे:

जोखिम कम करना।

मुनाफा कमाने की संभावना को बढ़ाना।

भावनात्मक निर्णय लेने से बचाव।

अनुशासन के साथ चलने में मदद।


8. इन्वेस्ट ओवर डाइवर्सिफाई:


अगर आप वैल्यू इन्वेस्टिंग करना चाहते हैं तो आपको अपने लिए एक ऐसा पोर्टफोलियो बनाना चाहिए जो ओवरडिवर्सिफाई ना हो। पोर्टफोलियो बनाना अच्छा होता है।

एक निवेशक अपने लिए अच्छा पोर्टफोलियो बनाता है जिससे उसका जोखिम कम हो। इसके लिए वह कुछ अलग सेक्टर की अच्छी कम्पनियों का चुनाव करके उनमें निवेश करता है। लेकिन आम तौर पर छोटे निवेशक बहुत थोड़ी राशि निवेश करते हैं, लेकिन अपने पोर्टफोलियो में बहुत ज्यादा कंपनियों के स्टॉक खरीद कर रखते हैं। ऐसा करने के कारण उनके रिटर्न बहुत कम होते जाते हैं।

एक अच्छा निवेशक कुछ बेहतर फंडामेंटल वाली कंपनी में निवेश करता है और कंपनी के स्टॉक इंट्रिंसिक वैल्यू से कम पर खरीदता है जिससे उनके रिटर्न में ज्यादा प्रॉफिट होने की संभावना होती है। वह अपने धन को कुछ चुनिंदा स्टॉक्स में ही निवेश करता है जिससे उनके पास क्वालिटी के साथ क्वांटिटी भी होती है।


9. Invest in what you know | जिसे जानते हैं उसमें निवेश करें:

जिसे जानते हैं वहीं निवेश करें, इसका मतलब जब भी आप किसी कंपनी के स्टॉक में निवेश कर रहे हों तो पहले यह देखें की उसके प्रोडक्ट या सर्विस को आप कितना समझते हैं, इससे आपको कंपनी के बिजनेस मॉडल की समझ होगी।

उदाहरण के लिए, कोई डॉक्टर है या मेडिकल स्टोर चलता है तो उसे दवाइयों के बारे में ज्यादा जानकारी है, या कोई ऑटो सेक्टर कंपनी में काम करता है या कोई गैराज चलाता हो तो उसे ऑटो पार्ट्स और गाड़ी की अच्छी समझ होगी ।

इसी तरह आपका पैसा क्या आप भी किसी ऐसी फील्ड में निवेश कर रहे हैं, अगर आप हाउसवाइफ हो, आप भी आप भी अपने स्टॉक आसानी से चुन सकते हो। आजकल सब से ज्यादा बेसिक नीड्स का सामान DMart से खरीदा जाता है, खाने का सामान कौनसी कंपनी का पसंद करते हैं या लोग कौनसे ब्रांड के कपड़े ज्यादा पहनना पसंद करते हैं ऐसे आपके सामने बहुत सी कंपनियों के नाम आ सकते हैं।

बाजार में निवेश में जोखिम तो होता है इसका कोई कोई इंकार नहीं कर सकता, इसलिए निवेश को सीखकर और समझकर करना चाहिए।


10. धैर्य रखें | Be patient:


वैल्यू इन्वेस्टिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश रणनीति है, इसमें बहुत सब्र और इंतजार की जरूरत होती है। अगर आप वैल्यू इन्वेस्टिंग करना चाहते हैं तो आपको  10 से 15 साल के हिसाब से अच्छी कंपनी में निवेश करना चाहिए। 

अगर आप अभी जिस कंपनी में निवेश कर रहे हैं, उदाहरण के लिए उसका मार्केट कैपिटल ₹1000 करोड़ का है, अब उसे ₹5000 करोड़ का मार्केट कैप वाली कंपनी बनने के लिए 10 साल की जरूरत तो होगी। 

वैल्यू इन्वेस्टिंग का उद्देश्य यह है कि आप बिजनेस में निवेश करते हैं, शेयर बाजार में नहीं। अच्छी कंपनी बाजार की गिरावट के कारण कम प्राइस पर आती हैं, लेकिन जैसे ही बाजार पलटता है यह बहुत तेज़ी से वापस ऊपर की ओर बढ़ते हैं।


जरूरी बात: 

हमने कुछ खास नियम वैल्यू इनवेस्टिंग के बारे में आपके साथ सांझा किए हैं। इसका उद्देश्य है आपको इन्वेस्टिंग के बारे में ज्यादा जानकारी हो। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो निवेश में जोखिम तो होता है इसलिए आप को सेबी रजिस्टर्ड वित्तीय सलाहकार की सहायता लेना चाहिए या अच्छे से रिसर्च करके निवेश करना चाहिए। किसी न्यूज़ पर किसी की टिप या कोई बड़ा निवेशक किसी शेयर पर पैसा लगा रहा है तो आप भी निवेश करदे , इससे आपको नुकसान हो सकता है। 


हम इस ब्लॉग के माध्यम से सिर्फ आपको जानकारी देते हैं, कोई सलाह या टिप नही देते हैं। हमारा ब्लॉग लिखने का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना और शिक्षा है।


लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद

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