Demerger kya hota hai | डिमर्जर क्या होता है

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Demerger kya hota hai | डिमर्जर क्या होता है 

By Javed / 08 November, 2023:


डिमर्जर का मतलब, सरल भाषा में कहें तो, अलग करना होता है। कॉरपोरेट जगत में काम करने वाली कम्पनी एक साथ अलग अलग व्यापार भी करती है, इसके लिए कंपनी के पास अलग अलग सब्सिडियरी कंपनी भी शामिल होती हैं। सब्सिडियरी कंपनी , कंपनी के लिए अलग अलग बिजनेस करती है। सब्सिडियरी कंपनी के लिए कोई खास प्रोडक्ट या सर्विस की सेवा लोगों को देती है जिससे कंपनी के पास रेवेन्यू आता है।


एक कंपनी के पास अपनी अलग अलग काम करने वाली कंपनी को होल्डिंग कंपनी भी कहा जाता है। एक कंपनी के पास बहुत सारे अलग ब्रांड्स होते हैं जिन्हें कंपनी सब्सिडियरी कंपनी के नाम से चलाती है। किसी भी कारण से मुख्य कंपनी जब अपनी सब्सिडियरी (होल्डिंग कंपनी) को खुद से अलग करने का निर्णय लेती है, उसे डिमर्जर कहते हैं।


डिमर्जर में एक कंपनी अपने इक्विटी शेयर को, या प्रोडक्ट की बिक्री को, वितरण करती है जिनके माध्यम से मुख्य कंपनी और सब्सिडियरी कंपनी का डिमर्जर होता है। डिमर्जर के माध्यम से मुख्य कंपनी अपनी होल्डिंग कंपनी को खुद से अलग कर लेती है। हर कंपनी का अपना अलग कारण हो सकता है, डिमर्जर का फैसला लेने के लिए; डिमर्जर क्या होता है, कैसे काम करता है और डिमर्जर कितने प्रकार के होते हैं , हम इस लेख के माध्यम से आप को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने की कोशिश करेंगे।


Demerger kya hota hai | डिमर्जर क्या होता है

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| शीर्षक | Demerger kya hota hai | डिमर्जर क्या होता है  |

| श्रेणी | स्टॉक मार्केट |

| विवरण | डिमर्जर क्या होता है, डिमर्जर कैसे काम करता है, डिमर्जर के प्रकार|

| वर्ष | 2023 |

| देश | भारत |


डिमर्जर कितने प्रकार के होते हैं?


डिमर्जर का मतलब विलय करना। जब कोई बड़ी कंपनी किसी कारण से अपनी होल्डिंग कंपनी (सब्सिडियरी कंपनी) का आपस में विभाजन करती है, उसे डिमर्जर कहा जाता है।


डिमर्जर के अलग अलग प्रकार होते हैं जैसे स्वयं विभाजन, बाहरी विभाजन, वित्तीय विभाजन, ऑपरेटिंग विभाजन शामिल हो सकते हैं जिनके माध्यम से कंपनी अपनी सब्सिडियरी कंपनी को विभाजित कर सकती है। हर कंपनी के पास विभाजन की अपनी वजह हो सकती है।


1. स्वयं विभाजन क्या होता है:


स्वयं विभाजन में एक कंपनी खुद को दो या उससे ज्यादा कंपनियों में विभाजित करती है। जब कोई कंपनी अपने एक बिजनेस को अलग अलग इकाई में बांटकर , अपने द्वारा बनाए गए अलग अलग प्रोडक्ट, या सर्विस को एक दूसरे से अलग कर के दोनों को विभाजित करके, दोनों को स्वतंत्र कंपनी के रूप में अलग अलग कर देती है।


2. बाहरी विभाजन क्या होता है:


बाहरी विभाजन कहते हैं, जब कोई कंपनी अपनी सब्सिडियरी कंपनी को किसी और कंपनी को बेचती है। कंपनी ऐसा इसलिए करती है, कंपनी अपनी होल्डिंग कंपनी को बेचकर कैश जुटाती है। कंपनी के अपने बहुत से निजी कारण हो सकते हैं।


3. वित्तीय विभाजन क्या होता है:


वित्तीय विभाजन में कंपनी अपनी परिचालन इकाई को बेचकर अपनी देनदारी को बरकरार रखती है। कंपनी ऐसा इसलिए करती है क्योंकि अपने एसेट को और ज्यादा कीमती बनाया जा सके और कंपनी की देनदारियां कम हो सकें मतलब कंपनी अपनी लाइबिलिटी को कम करके अपने पास ज्यादा कैश जमा करने में खुदको सक्षम बना सके।


वित्तीय विभाजन आसान शब्दों में कहें तो एक कंपनी के पास कोई कीमती एसेट है वह उसे बेच सकती है लेकिन अपने ऊपर कर्ज की राशि को बरकरार रखती है।


4. ऑपरेटिंग विभाजन क्या होता है:


ऑपरेटिंग विभाजन एक कंपनी अपने अलग इकाई को बेचती है, या अपनी अलग इकाई को विभाजित कर सब को अलग अलग परिचालन करना चाहती है, या उनको दूसरे को बेचना चाहती है, जिससे कंपनी को अलग अलग ऑपरेट किया जा सके।


डिमर्जर कैसे काम करता है:


डिमर्जर की भी अपनी एक प्रक्रिया होती है जिसे फॉलो करके कंपनी अपने सब्सिडियरी कंपनी को विभाजित कर के खुद से अलग कर देती है और जिसे डिमर्जर कहा जाता है।


1. सबसे पहले कंपनी अपने अलग बिजनेस या सब्सिडियरी कंपनी की पहचान करती है जिसे अलग करना है।


2. डिमर्जर के लिए एक बेहतर प्लान बनाती है।


3. इसमें होने वाली सभी कानूनी कार्यवाही को फॉलो करती है।


4. अपनी योजना के तहत कंपनी डिमर्जर क्यों कर रही है उसको, अपने मौजूदा इक्विटी को शेयरहोल्डर को वितरित करना है, या किसी नए निवेशक को बेचना है, यह जानकारी अपने मौजूदा निवेशक और सेबी और सरकार के तहत जारी जगह पर देती है। डिमर्जर के बाद कंपनी खुद अलग कर सब्सिडियरी कंपनी को खुद चलती है तो, अपने मौजूदा शेयर होल्डर को नई कंपनी के शेयर वितरित करती है। जब कंपनी सब्सिडियरी को बेचती है, तो आने वाले कैश को मौजूदा कंपनी के विस्तार के लिए या कर्ज को खत्म करने में इस्तेमाल कर सकती है जिससे मौजूदा कंपनी को ग्रोथ होने में सहायता मिल सके।


डिमर्जर क्यों महत्वपूर्ण है:


डिमर्जर किसी भी कंपनी के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है जब कोई कंपनी अपनी सब्सिडियरी कंपनी बहुत ज्यादा फायदा कमा रही हो या फिर सब्सिडियरी कंपनी के कारण कंपनी को बहुत ज्यादा लॉस हो रहा हो, डिमर्जर ऐसी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण होता है।


डिमर्जर के माध्यम से कंपनी खुदसे अपनी सब्सिडियरी को अलग करके उसे बेच देती है जिससे कंपनी की लायबिलिटी कम हो और कैश आए या फिर कंपनी अपनी सब्सिडियरी को अलग करके एक नई कंपनी की शुरुआत करती है।


जिससे सब्सिडियरी कंपनी को भी बड़ा बनाया जा सके जिससे कंपनी खुदको एक बड़े ग्रुप में बदल सके।


कंपनी डिमर्जर क्यों करती है?

इसे हम उदाहरण से समझते हैं:


अभी कुछ दिन पहले हमारे देश की सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी अपनी सब्सिडियरी कंपनी का डिमर्ज किया है, जिसमे नई कंपनी जियो फाइनेंशियल सर्विस का विस्तार हुआ है जो पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज का हिस्सा थी, अब वह जियो फाइनेंशियल सर्विस खुद एक अलग कंपनी बन गई है।


डिमर्ज करने का उद्देश्य रिलायंस ग्रुप का है, जियो फाइनेंशियल सर्विस को फाइनेंस क्षेत्र में बहुत बड़ी कंपनी बनाना , इसके लिए रिलायंस - जियो डिमर्जर हुआ।


डिमर्जर से रिलायंस के मौजूदा शेयर धारकों को भी फायदा हुआ, रिलायंस ने जियो फाइनेंशियल की इक्विटी को अपने मौजूदा शेयर धारकों को वितरित किया जिससे रिलायंस के शेयर धारक जियो की इक्विटी शेयर के मालिक बने।


हमारे द्वारा लिखा गया "डिमर्जर क्या होता है" लेख में आपको डिमर्जर से जुड़ी जानकारी दी गई है। अगर आपको ऐसी ही स्टॉक मार्केट, बिजनेस, निवेश और बचत से जुड़ी जानकारियां पसंद हैं तो आप अभी इस ब्लॉग को पुश नोटिफिकेशन बेल दबाकर सब्सक्राइब करें जिससे आपको बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां समय पर मिलती रहेंगी। 


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