share bazar me 6 prakar ki company ke stock

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share bazar me 6 prakar ki company ke stock

By Javed / 10 November 2023:


शेयर बाजार , जिसमें कई प्रकार की कंपनियां लिस्टेड होती हैं जो अलग अलग सेक्टर , अलग तरह के बिजनेस करती है, जिनके परफॉर्मेंस को एनालिटिक्स रिसर्च करते हैं, कंपनी अपना बिजनेस किस प्रकार चला रही है और कंपनी का शेयर बाजार में किस तरह का प्रदर्शन कर रहा है, कंपनी का अगला और पिछला प्रदर्शन कैसा रहा है, कंपनी किस तरह से ग्रो हो रही है, यह सब पता करने की कोशिश करते रहते हैं।


पीटर लिंच जो खुद एक सफल निवेशक और ऑथर हैं उन्होंने अपनी किताब के माध्यम से लोगों को समझाने की कोशिश की है जिस का नाम वन अपॉन वॉल स्ट्रीट है, किताब में 6 तरह की विभिन्न कंपनियों के बारे में बताया है जो शेयर बाजार में लिस्टेड होती हैं और विभिन्न क्षेत्रों में काम करती हैं। 


6 तरह की श्रेणी वाली कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड होती है, धीमे विकास वाली (slow growth), तीव्र विकास वाली (speed growth), साइक्लिकल कंपनी, छिपी संपत्ति वाली कंपनी और टर्न अराउंड कंपनी, ग्रोथ कंपनी। निवेशक इस तरीके से कंपनियों की पहचान कर कंपनी में निवेश की रणनीति बना सकता है। 6 प्रकार की कंपनियों के बारे में इस लेख में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है, लेख को पूरा पढ़ें।


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| शीर्षक | share bazar me 6 prakar ki company ke stock  |

| श्रेणी | स्टॉक मार्केट |

| विवरण | share bazar me 6 prakar ki company ke stock |


| वर्ष | 2023 |

| देश | भारत |


शेयर बाजार में कितने प्रकार की कम्पनियां होती हैं :

1. धीमे विकास वाली कंपनी:


शेयर बाजार में हमेशा नई कंपनियां लिस्ट होती हैं, कुछ कंपनी समय के साथ ग्रोथ करके खुदको एक सफल और बहुत बड़ी कंपनी या ग्रुप के रूप में स्थापित कर लेती हैं। धीमी विकास वाली कंपनी का मार्केट कैपिटल बहुत ज्यादा होता है और वह अपने निवेशकों और ग्राहकों दोनों का ही विश्वास जीत चुकी होती है। ऐसी कंपनी को शेयर बाजार की भाषा में ब्लू चिप कंपनी भी कहा जाता है। ऐसी कंपनी में निवेश करने में ज्यादा जोखिम (रिस्क) नही होता है। 


धीमे विकास वाली कंपनी की सालाना ग्रोथ बहुत धीमी होती है। ऐसी कंपनी अपने निवेशकों को डिविडेंड भी अच्छा देती है। जब इनकी शुरुआत होती है तो यह कंपनी भी फास्ट ग्रोथ वाली होती है लेकिन समय के साथ इनकी ग्रोथ की क्षमता धीमी हो जाती है। 


उदाहरण के लिए, रिलायंस इंडस्ट्रीज, HDFC, इंफोसिस, विप्रो जैसी बहुत सी कंपनियों आपको मिल जाएंगी जिन्होंने अपने निवेशकों को बहुत ज्यादा रिटर्न बनाकर दिलाया है लेकिन अब इनका मार्केट कैप इतना बढ़ गया है की इनकी ग्रोथ स्लो हो गई है। हालांकि भारतीय बाजार में यह मजबूत कंपनियां हैं जिन पर निवेशक आज भी भरोसा करते हैं और कंपनी के फंडामेंटल भी अच्छे हैं और इनके प्रोडक्ट्स और सर्विस भी बाजार में पहले की तरह लोग पसंद करते हैं।


2. फास्ट ग्रोथ वाली कंपनी:


शेयर बाजार में फास्ट ग्रोथ वाली कंपनी की पहचान कर निवेशक इन कम्पनियों में निवेश करते हैं। ऐसी कंपनी का सालाना ग्रोथ दर 25% - 30% होता है। फास्ट ग्रोथ कंपनी में मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनी होती है जिसमें रिस्क भी होता है लेकिन इनमें जल्दी ग्रोथ के कारण निवेशक बहुत ज्यादा आकर्षित होते हैं।


उदाहरण के लिए, आपको हमारे भारतीय बाजार में डी मार्ट, ट्रेंट, पिडिलाइट, एशियन पेंट्स, हैवेल्स जैसी फास्ट ग्रोथ कंपनी देखने को मिलती हैं। यह कंपनियां बहुत तेज़ी से ग्रोथ करके बड़ी कंपनी में बदल गई अगर आप इनके चार्ट्स देखें तो आपको इनकी शुरुआत से ग्रोथ दिखाई देगी।


हर निवेशक की चाहत होती है उसके पोर्टफोलियो में कोई ऐसी फास्ट ग्रोथ कंपनी हो जो उनके प्रॉफिट को बहुत तेज़ी से बड़ा कर सके। जैसे हमारे देश के बेस्ट निवेशक राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में टाइटन जैसे फास्ट ग्रोथ कम्पनी थी जिसने उनको बहुत ज्यादा धन कमा कर दिया था।


3. साइक्लिकल कंपनी:


साइक्लिकल कंपनी की ग्रोथ उनकी बिक्री और फायदे पर निर्भर करती है। इस तरह की कंपनी का ग्रोथ ग्राफ कभी ऊपर कभी नीचे होता रहता है। इस प्रकार की कंपनियों के व्यापार की ग्रोथ उनके प्रोडक्ट और सर्विस पर निर्भर होती है जिससे यह कभी बढ़ता है कभी घटता है।


साइक्लिकल कंपनी ज्यादातर ऑटो सेक्टर में काम करने वाली या स्टील जैसे मेटल और केमिकल्स इंडस्ट्री में काम करने वाली कंपनी होती हैं। इन कंपनियों के व्यापार सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों से बहुत ज्यादा प्रभावित होती हैं। जब सरकार इनके हित में कोई अच्छा निर्णय लेती है तो इनकी ग्रोथ होती है या सरकार कोई ऐसा फैसला लेती है जिसके प्रभाव से इनकी ग्रोथ कम हो जाती है कई बार रुक जाती है।


4. टर्न अराउंड कंपनी:


टर्न अराउंड कंपनी ऐसी स्थिती में होती है जहां या दिवालिया होने वाली होती हैं जिनसे निवेशक को कोई उम्मीद नहीं होती है लेकिन कोई ऐसी घटना या खबर आती है जिससे कंपनी वापस पहले की तरह ग्रो होने लगती है। ऐसा होने के कारण अलग कंपनी और उसके क्षेत्र के हिसाब से अलग अलग हो सकते हैं।


उदाहरण के लिए, अभी हमारे भारतीय शेयर बाज़ार में yes bank, सुजलॉन जैसी कंपनियां हैं जो बहुत बुरे दौर से गुजर रही हैं लेकिन आए दिन कुछ ऐसी खबर आती रहती हैं जिनसे लगता है यह कंपनियां वापस अपनी अच्छी स्थिति में आ जाएंगी।


सुजलॉन विंड एनर्जी में काम करती है जिसका हर तरफ ट्रेंड है। अगर सरकार या कोई बड़ी कंपनी सुजलॉन के साथ मिल जाए तो सुजलॉन टर्न अराउंड कंपनी बन सकती है। यह हमने सिर्फ उदाहरण दिया है, हम इस ब्लॉग पर कोई निवेश टिप्स नही देते हैं।


5. छिपी संंपत्ति वाली कंपनी:


छिपी संपत्ति वाली कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ने पर आपको इनके पास ऐसे एसेट्स मिलते हैं जिनकी कीमत बहुत ज्यादा होती है। हालांकि बैलेंस शीट पर बहुत ही थोड़ी दिखती है, ऐसी कंपनी को छिपी संपत्ति वाली कंपनी कहते हैं जिनका अंदाजा बहुत कम निवेशक लगा पाते हैं।


उदाहरण से समझे:

जैसे कोई कंपनी है, जो एक कारोबार करती है। कंपनी का जहां मैन्युफैक्चर प्लांट है वह बीस एकड़ में फैला है और कंपनी की जब शुरुआत हुई थी तब वह जमीन ₹2 करोड़ ने खरीदी गई थी जो उसकी बैलेंस शीट पर है, लेकिन वर्तमान में उसी जमीन की कीमत बढ़कर ₹20 करोड़ रुपए हो गई है, तो यह छिपी संपत्ति हो सकती है।


छुपी संपत्ति अलग अलग सेक्टर में काम करने वाली कंपनी के पास अलग अलग रूप में हो सकती है जैसे कमोडिटी सेक्टर, मीडिया एंटरटेनमेंट और हेल्थ सेक्टर में काम करने वाली कंपनियां, जिनके पास जमीन, मेटल, पेटेंट और किसी प्रकार की छिपी संपत्ति जो कंपनी के पास हो सकती है।


6. शक्तिशाली कंपनी:


शक्ति शाली कंपनी अपने सेक्टर की बहुत बड़ी और अच्छी कंपनी होती है, यह अपने छेत्र में न.1 होती है। हर तरह से यह सक्षम होती है ऐसी कंपनी में म्यूचुअल फंड , एफआईआई, डीआईआई, पब्लिक सब तरह का भरोसा होता है, ऐसी कंपनी में जोखिम बहुत थोड़ा होता है।


शक्तिशाली कंपनी निफ्टी की टॉप 20 कंपनी होती है जिनसे हमारे देश का निफ्टी इंडेक्स चलता है लेकिन निफ्टी इंडेक्स में 50 कंपनियां होती हैं।


शक्तिशाली कंपनी के फंडामेंटल अच्छे होते हैं, कंपनी डिविडेंड भी बहुत अच्छा देती है और कंपनी के ऊपर कर्ज नहीं होता है। कंपनी लगातार कई सालों से प्रॉफिट कमा रही होती है। लगातार कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ, प्रॉफिट ग्रोथ बढ़ती रहती है। कंपनियों पास अच्छे एसेट भी होते हैं। इस तरह की कंपनियों को शक्ति शाली कंपनी कहा जाता है।


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