3 karak, jin par Share bazar ka pradarshan nirbhar karta hai
By Javed / February, 2024:
शेयर बाजार में बढ़त के तीन कारण होते हैं, जिन्हें निवेशक को देखना चाहिए। पहला, वास्तविक बढ़त का होना, किसी भी कंपनी की आय और लाभांश में बढ़ोतरी हो रही हो। दूसरा, मुद्रास्फीति की बढ़त, पूरी अर्थव्यवस्था में हुए आम भाव की बढ़ोतरी, और तीसरा, स्पेक्युलेटिव बढ़त होती है या गिरावट, स्पेक्युलेशन में लोगों का रुझान, तय करता है, जब बहुत ज्यादा खरीद हो तो बढ़ोतरी और जरूरत से ज्यादा बेचने पर गिरावट होती है।
इन कारणों पर इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बुक के अध्याय तीन में भी चर्चा की गई है, एक निवेश को बहुत अच्छे से समझने के लिए।
यह लेख में हम वास्तविक बढ़त, मुद्रास्फीति बढ़त और स्पेक्युलेशन की वजह से समझने की कोशिश करेंगे, कैसे एक निवेशक इनका विश्लेषण कर सकता है। जिससे उसे पता हो की वर्तमान समय में होने वाली बढ़त का अनुमान कैसे लगाया जाता है और बढ़त की वजह की पहचान कैसे की जा सकती है।
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| शीर्षक | 3 karak, jin par Share bazar ka pradarshan nirbhar karta hai |
| श्रेणी | स्टॉक मार्केट |
| विवरण | 3 karak, jin par Share bazar ka pradarshan nirbhar karta hai |
| वर्ष | 2024 |
| देश | भारत |
वास्तविक बढ़त के बारे में:
वास्तविक बढ़त कंपनी के फाइनेंस से जुड़ी है। यह बढ़त, जब किसी कंपनी की आय बढ़ती है और वह अपने निवेशकों को ज्यादा डिविडेंड देती है, इसका मतलब कंपनी अच्छा प्रॉफिट कमा रही है। जिसके कारण वह लाभ भी अच्छा काम रही है जिससे कंपनी फाइनेंशियल ग्रोथ कर रही है। जिससे उसके शेयर की वैल्यू बढ़ सकती है। लोग उस कंपनी के शेयर खरीदने के लिए ज्यादा भुगतान करने के लिए तैयार हैं।
कंपनी कैसा प्रदर्शन कर रही है, यह उसकी फाइनेंशियल रिपोर्ट को पढ़कर पता किया जा सकता है, जिसे फंडामेंटल एनालिसिस कहते हैं। एक निवेशक इन एनालिटिक रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ता है। रिपोर्ट में बैलेंस शीट, कैश फ्लो, प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट को बारीकी से पढ़ा जाता है।
रिपोर्ट के माध्यम से मिले डाटा से कुछ महत्वपूर्ण अनुपात का विश्लेषण किया जाता है, जिसे प्रॉफिट, रिवेन्यू, डेप्ट और डिविडेंड यील्ड के माध्यम से एनालिसिस किया जाता है।
सबसे महत्वपूर्ण होता है, ईपीएस, अर्निंग्स पर शेयर रेश्यो, जो बताता है कंपनी एक शेयर के भुगतान पर कितनी कमाई कर रही है। पी ई रेश्यो, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि कंपनी का शेयर प्राइस अभी सस्ता है या महंगा। इसी तरह बुक वैल्यू, ROE जैसे अनुपात होते हैं और EPS और डिविडेंड यील्ड बढ़त के कारण होते हैं, जो वास्तविक बढ़त होती है।
मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के कारण भी बाजार में बढ़त हो सकती है। जब मुद्रास्फीति बढ़ती है तो वस्तु महंगी होती हैं और मुद्रास्फीति के कारण बाजार पर भी इसका असर दिखता है। मुद्रास्फीति क्या है और कैसे काम करती है, ब्लॉग में लेख उपलब्ध है, आप लिंक से जाकर उसे पढ़ सकते हैं।
स्पैक्यूलेशन के कारण भी बाजार में भाव तेजी से बढ़ता है या घटता है। मान लें, बाजार में तेजी है और हर तरफ बाजार में निवेश से रुपए बनने की खबर चल रही है, तो बाजार में बहुत से रिटेल निवेशक खुद खरीदारी करने लगते हैं। ज्यादा खरीदारी की वजह से स्टॉक के प्राइस बहुत तेजी से ऊपर जाते हैं, बिना किसी विश्लेषण के, शेयर के बढ़ते प्राइस को देखकर। स्पैक्यूलेशन लेख को भी पढ़े ज्यादा जानकारी के लिए।
जरूरी बात:
निवेश करने से पहले विश्लेषण बहुत जरूरी है और शेयर की प्राइस बढ़ रही है, इसका मतलब वह शेयर निवेश के लिए अच्छा है। किसी भी निवेश में निवेशक को सही दाम पर खरीदना और सही दाम पर बेचना आना चाहिए।
बाजार में जरूरत से ज्यादा बढ़त पर स्टॉक ओवर वैल्यूड हो जाते हैं और किसी कारण आई गिरावट में लोगों की ज्यादा बिकवाली की वजह से स्टॉक अंडर वैल्यूड हो जाते हैं।
बाजार की स्थिति कैसी भी हो आपको बगैर विश्लेषण के कोई भी शेयर नहीं खरीदना चाहिए। आपको एक सही कीमत का अनुमान लगाना सीखना चाहिए या फिर किसी सेबी रजिस्टर्ड वित्तीय सलाहकार की सहायता लेकर निवेश करना चाहिए।
अगर आप अनुमान लगाकर निवेश करते हैं, तो आप जुआ खेल रहे हैं, निवेश नहीं कर रहे हैं। एक निवेशक निवेश की हर नीति का सही उपयोग करता है, बारीकी से, अच्छे से विश्लेषण करता है।
एक समझदार निवेशक बढ़त, गिरावट, हर चीज का विश्लेषण करता है, जिससे वह अपने लिए निवेश की नीति बनाता है।
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लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद।