Aam Aadmi ko tax ki kitni samajh hoti hai

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Aam Aadmi ko tax ki kitni samajh hoti hai


By Javed / February, 2024:


आम व्यक्ति हमेशा यह सोचता है कि टैक्स सिर्फ सरकार अमीर आदमी से वसूल करती है और देश चलाती है। अमीर लोगों के बड़े बिजनेस होते हैं और उनकी कमाई भी बहुत ज्यादा इसलिए वह टैक्स देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता है।


अमीर लोग अपने बिजनेस को कॉरपोरेशन बनाकर चलाते हैं और टैक्स को कम करने के लिए वह हर कानून और नियम का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन्हें कम से कम टैक्स का भुगतान करना पड़े। उनके कॉरपोरेशन के लिए अच्छे वकील और अच्छे अकाउंटेंट होते हैं, जो उनके लिए काम करते हैं और उनके धन की सुरक्षा करते हैं, ज्यादा टैक्स भुगतान करने से।


अमीर लोग कॉरपोरेशन को चलाते हैं और काम करके रुपए कमाते हैं, फिर उसके बाद वह खर्च करते हैं, उसके बाद सबसे आखिरी में टैक्स का भुगतान करते हैं।


एक मिडिल क्लास, नौकरी पैसे वाले पहले काम करते हैं और फिर रूपये कमाते हैं। उन्हें तनख्वाह मिलते ही सबसे पहले उनकी सैलरी से टैक्स कटता है, फिर उसके बाद वह अपनी सैलरी को खर्च करते हैं।


आम व्यक्ति को सबसे पहले टैक्स देना होता है और कॉरपोरेशन सबसे आखरी में टैक्स देता है। अमीर लोग हमेशा टैक्स देने से बचते हैं और गरीब और मध्यम वर्ग शिक्षा की कमी के कारण जितना ज्यादा कमाते हैं, उतना ज्यादा टैक्स देते हैं।


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| शीर्षक | Aam Aadmi ko tax ki kitni samajh hoti hai |

| श्रेणी | बिजनेस |

| विवरण | Aam Aadmi ko tax ki kitni samajh hoti hai |

| वर्ष | 2024 |

| देश | भारत |


अमीर लोग टैक्स से कैसे बचते हैं?


अमीर आदमी एक कॉरपोरेशन चलाता है और सरकार उनके लिए अलग अलग कानून बनाती है, जिसके कारण उन्हें कई लाभ मिलते हैं और टैक्स के भुगतान में कमी करने का मौका।


कॉरपोरेशन अपनी कमाई से अपने सभी खर्च को करने के बाद टैक्स देता है।


उदाहरण के लिए:


मान लें, कोई अमीर व्यक्ति है, जो एक कॉर्पोरेशन चलाता है, वह एक उद्योगपति है, उसके लिए बहुत सारे लोग काम करते हैं, उसके अलग-अलग जगह पर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट है, जहां लोग काम करते हैं और उसके लिए प्रोडक्ट बनाते हैं।


प्रोडक्ट को बनाने के बाद, वह उसकी मार्केटिंग करता है और अपने प्रोडक्ट को बेचता है, जिससे उसके पास कमाई आती है, जिसे रेवेन्यू कहा जाता है।


अमीर उद्योगपति कोई प्रोडक्ट बनाता है और उसके कुछ प्लांट है और लोग भी उसके लिए काम करते हैं। यह सब करने के लिए उसे लोगों को सैलरी देनी पड़ती है। प्लांट के सभी खर्च जैसे इन्वेंटरी, मशीनरी और भी बहुत सारे खर्च होते हैं, जो करने होते हैं, जो लायबिलिटी कहा जाता है।


अमीर कॉरपोरेशन अपने व्यापार में ₹20 लाख कमाता है।


उसके बाद वह सैलरी और बाकी जरूरतों पर वह ₹19 लाख खर्च कर देता है।


खर्च करने के बाद उसके पास एक लाख का नेट प्रॉफिट है, जिस पर उसे टैक्स देना होता है।


आम व्यक्ति:


आम व्यक्ति किसी कॉर्पोरेशन में काम करता है और उसे सैलरी मिलती है, मान लें , ₹1 लाख जो उसकी कमाई है।


सैलरी मिलने के बाद, सबसे पहले उसके वेतन से टैक्स की कटौती कर ली जाती है, कुछ परसेंट के हिसाब से।


सबसे आखरी में उसे अपने खर्च के लिए रुपए मिलते हैं।


जरूरी बात:


अगर आप बिजनेस करते हैं या फिर निवेश आपको अपने प्रॉफिट में से कुछ परसेंट टैक्स सरकार को देना होता है, जिसे देश की सरकार, देश की उन्नति में खर्च करती है और टैक्स देना बहुत अच्छा है, देश के लिए भी और आपके लिए भी।


हमारे लेख लिखने का उद्देश्य है कि आम व्यक्ति को बहुत कम वित्तीय समझ होती है और उसे "टैक्स सिर्फ अमीर लोग देते हैं" यह गलतफहमी होती है, जिसे हमने लेकर माध्यम से समझाने की कोशिश की है।


टैक्स अमीर व्यक्ति भी देता है और मध्यम वर्ग भी लेकिन सबके लिए अलग-अलग नियम और कानून होते हैं। बड़े कारपोरेशन के पास वकील, CA, अकाउंटेंट होते हैं, जो उनके धन को मैनेज करते हैं और ज्यादा टैक्स भुगतान से उनके धन की सुरक्षा।


मध्यमवर्गीय व्यक्ति कॉरपोरेशन और सरकार के लिए काम करता है, जो उसे वेतन देते हैं और उसके वेतन में से ही टैक्स कटौती करके उसे वेतन दिया जाता है।


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लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद।




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