500 rupay se 5000 crore ki company ke kaise Dr. Velumani bane malik
By Javed / March, 2024:
Dr. Velumani भारत देश की जानी मानी कंपनी thyrocare के फाउंडर हैं। इनका जन्म अप्रैल, 1959, कोयंबटूर जिला, तमिल नाडू में हुआ था।
Thyrocare को डॉक्टर वेलुमनी और उनकी पत्नी सुमथी वेलुमनी ने एक साथ मिलकर बनाया। थायरोकेयर मेडिकल डायग्नोस्टिक, थायराइड टेस्टिंग, एनालिटिकल, बायोकेमिस्ट्री, न्यूक्लियर मेडिसिन जैसी सेवाएं लोगों को प्रदान करते हैं।
Dr. Velumani के माता पिता के बारे में:
Dr. Velumani के पिता का नाम अरोकिया सामी और माता का नाम सयम्मल था।
Dr. Velumani के दो बच्चे हैं - आनंद वेलुमनी और अमृता वेलुमनी।
Dr. Velumani ने अपनी पढ़ाई कोयंबटूर के श्री वेंकटेश्वर हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से अपनी कॉलेज की शिक्षा ली। जिसके बाद आगे की पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ मुम्बई में अपने काम के साथ पीएचडी भी की।
आज हम इस लेख में Dr. Velumani के जीवन और उनके करियर से जुड़ी बातें इस लेख के माध्यम से आपको बता रहे हैं। Dr. Velumani 500 रुपए लेकर आए थे मुम्बई और 5000 करोड़ की thyrocare कंपनी बना दी। लेख को पूरा पढ़ें, इनकी कहानी बहुत रोचक है।
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| शीर्षक | 500 rupay se 5000 crore ki company ke kaise Dr. Velumani bane malik |
| श्रेणी | ख़बर काम की |
| विवरण | 500 rupay se 5000 crore ki company ke kaise Dr. Velumani bane malik |
| वर्ष | 2024 |
| देश | भारत |
Dr. Velumani ने कैसे Thyrocare की शुरुआत की?
Dr. Velumani, 18 अगस्त, 1982, को कोयंबटूर से मुंबई आए। उनकी जेब में मात्र 500 रूपए अपने साथ लेकर, वह मुंबई अपनी नौकरी के इंटरव्यू देने के लिए आए थे, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में।
Dr. Velumani एक पॉडकास्ट में बताते हैं कि - "मैं तीन दिन तक लगातार रेलवे स्टेशन पर गया, जिस दिन मैं मुंबई आया उस दिन बहुत बारिश हो रही थी और जिस दिन मेरा इंटरव्यू था, उस दिन मुंबई में बहुत ज्यादा बारिश हुई। इंटरव्यू के लिए 300 लोग आने वाले थे, लेकिन बारिश की वजह से सिर्फ 100 लोगों ने ही इंटरव्यू दिया। मैंने इंटरव्यू दिया और मेरा सिलेक्शन हो गया।"
"मैं भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में एक अधिकारी के रूप में काम पर लग गया। मुंबई आने से पहले सिर्फ अपना ग्रेजुएशन B.Sc से किया था।"
"मेरे बॉस ने मुझसे कहा, क्या तुम अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते हो, मैं तुम्हारी सहायता करूंगा। फिर मैंने M.Sc और PhD मुंबई यूनिवर्सिटी से पूरा किया।"
नौकरी करते वक्त ही उनकी मुलाकात उनकी पत्नी से हुई थी और उन्होंने अपनी पत्नी को बहुत अनोखे ढंग से प्रपोज किया। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि मेरे पास शादी करने के पैसे नहीं, मेरे पास रहने के लिए अपना घर भी नहीं है और भी बहुत कुछ कहा, उसके बाद कहा क्या तुम मुझसे इस हाल में शादी करोगी, वह मान गईं।
" मैं अपनी नौकरी कर रहा था और मेरी पत्नी भी, मुंबई एसबीआई में नौकरी कर रही थीं। हमारे दो बच्चे हुए, सब कुछ अच्छा चल रहा था।"
" एक दिन अचानक, मैने नौकरी छोड़ने का फैसला ले लिया और अपनी पत्नी को बताए बगैर मैंने नौकरी से रिजाइन दे दिया। उस रात 2 बजे तक मुझे जागते देख पत्नी ने कहा, सो जाओ, कल काम पर नहीं जाना क्या? मैंने कहा - नहीं। मैने आज नौकरी से रिजाइन दे दिया है, अब मैं कल से नहीं जाऊंगा। पत्नी ने मुझसे कहा - तुम नहीं जाओगे तो मैं भी नहीं जाऊंगी।"
" जब मैने नौकरी छोड़ी, तब मेरे सेविंग अकाउंट में सिर्फ 2 लाख रुपए थे, उम्र 37 साल की थी, बेटा 5 साल का था और बेटी 3 साल की। यह बात 1996 की है, मेरे साथ मेरी वाइफ ने भी अपनी नौकरी से रिजाइन दे दिया। "
" मैंने और मेरी पत्नी ने एक साथ मिलकर Thyrocare की शुरुआत की। Thyrocare में हमेशा फ्रेशर को ही नौकरी पर रखा। मैंने 25000 नए लोगों को अपने वहां काम पर रखा है, अपने पूरे करियर में।"
ऐसा क्यों किया - " जब मैं नौकरी की तलाश कर रहा था तो मुझे सिर्फ इसलिए काम पर नहीं रखा क्योंकि मैं फ्रेशर था।"
" Thyrocare में मैंने सिर्फ 2 लाख रुपए निवेश करके शुरुआत की थी। मेरा प्रॉफिट अच्छा था, मैं कमाकर बिजनेस में पैसे लगा रहा था और अपने बिजनेस को बढ़ा रहा था। मैने अच्छी क्वॉलिटी सस्ते दाम पर बेचकर, Thyrocare को एक ब्रांड के रूप में स्थापित किया, जो आज देश का एक बहुत बड़ा ब्रांड है। "
" मैं करीब दो साल पहले, 2021 में, Thyrocare को 5000 करोड़ में बेच दिया, और मैं अपने फैसले से खुश हूं।"
जरूरी बात:
Dr. Velumani की यह कहानी बहुत ही इंस्पायरिंग है। कैसे कोयंबटूर का एक गरीब बच्चा, जो 25 पैसे ले लिए भी घंटों काम करता था 11 साल की उम्र में, और 13 साल की उम्र में पूरे दिन काम करने के 1 रुपए मिलते थे।
मां बाप की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी। हर दिन बहुत सारी मुसीबतें आती थी जिन्हें सुलझाना पड़ता था। उनके रिश्तेदार तक उनके घर नहीं आते थे। उन्होंने अपनी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई बिना किताबों के पूरी की, जैसे तैसे ग्रेजुएशन पास किया और एक अच्छी नौकरी की तलाश उन्हें मुंबई लाई। और फिर Thyrocare की शुरूआत, इस तरह 500 से लेकर 5000 करोड़ का सफर रहा।
कहानी से हम भी प्रेरणा लेना चाहिए, अगर कोई व्यक्ति पूरे दिल से किसी चीज को पाने की मेहनत करता है तो एक छोटी शुरूआत से बड़े काम को पूरा कर सकता है, अगर व्यक्ति के अंदर काबिलियत हो तो।
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लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद।